'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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कविताएं

ढक्कन

बोतल का ढक्कन बहुत मामूली चीज है खोने पर हम इसे खोजते जरूर हैं लेकिन इसके लिए अपना कोई काम नहीं रोकते मामूली से मामूली काम भी नहीं जैसे बिस्तर पर उल्टी पड़ी तकिया को सीधा करना जल्दी ही हम इसे भूल भी जाते हैं और किसी कोने में पड़ी बोतल, ढक्कन के इंतजार में मुंह खोले पड़ी रहती है …

मैं तुम सबको देख रहा हूं –

मैं तुम सबको देख रहा हूं. मैं तुम्हारा हर झूठ रिकॉर्ड कर रहा हूं. मैं तुम्हारी हर तोड़-मरोड़कर बताई गई बातों को संग्रहित कर रहा हूं. मैं इब्राहीम टरोरे हूं और आज मैं तुम्हारे नक़ाब उतार रहा हूं. हां, तुमने सही सुना. मैं, जिसे तुम एक नौजवान सैनिक शासक कहते हो, जिसे तुम एक खतरनाक उग्रपंथी कहते हो, जिसे तुम …

आखिरी सलाम…

कॉमरेड हम तुम्हें आखिरी सलाम भी नहीं दे पाये तुम भी तो हमारा इंतजार कर रहे होगे अख़बार में तुम्हारी खुली आंखे देख कर तो यही लगा लेकिन हम क्या करते हमारे तुम्हारे बीच सत्ता की लौह दीवार जो खड़ी हो गई सोचा था कि शायद एक मुट्ठी तुम्हारी राख तो मिल ही जाएगी फिर मैं उसे मुट्ठी में भरकर …

फटे जूते

मेरे जुराबों के नीचे कई छेद हैं जिन्हें छुपाने की जद्दोजहद में फट गए हैं जूते मेरे मेरे जूतों और सड़क के बीच एक शत्रु भाव भी है और मित्रता भी दोनों एक दूसरे के पूरक हैं जिस समय, समय हो जाता है निरपेक्ष मेरे जूते और सड़क और समय का एक चेहरा रहता है सापेक्ष फटी जुराबों को छुपाने …

नून रोटी

सदाशिव के ध्यान में एक निहित वक्रोक्ति है जिस समय तुम किसी दिशा पटानी के तिर्यक में बरमूडा में भटके हवाई जहाज़ सा गोते लगाते हो मैं एक आग में झुलसी हुई स्त्री का चेहरा अपने हाथों में ले कर किसी नंदन वन की सैर पर हूं पूछोगे नहीं मुझसे कितनी घृणा है मुझे मुझ पर जितनी मुझे तुमसे है …

दिल्ली में कम्युनिस्ट

दिल्ली में कम्युनिस्ट होना सरल है बनिस्बत हमारे शहर के और भी कठिन है, हमारे जिले के किसी गांव के दिल्ली में कम्युनिस्ट से कोई नहीं घबराता है सोचते हैं कि कविता-वविता लिखता होगा अकादमियों में भाषण देता होगा शराब पी कर नारे लगाता होगा तब इसे ज्यादातर लोग मत्त समझ कर आगे बढ़ जाते होंगे कम से कम कम्युनिस्ट …

औरत

महिलाएं चूल्हे पर चावल रख रही हैं जिनके चेहरों की सारी सुन्दरता और आकर्षण गर्म चूल्हे से उठती गर्मी दिखाई देने लगी. गांव की लड़कियां जिनके भाई प्राइवेट कॉलेजों में पढ़ रहे थे उन्हें पांचवीं कक्षा तक शिक्षा दी गई तथा सिलाई-कढ़ाई भी सिखाई गई. बेटा मारे, बेटी सज़ा पाए. जिनकी शादी दस साल की उम्र में कर दी गई …

लाशों के भी नाखून बढ़ते हैं…

1. संभव है संभव है कि तुम्हारे द्वारा की गई हत्या के जुर्म में मुझे फांसी पर लटका दिया जाए यह भी संभव है कि तुम्हारे द्वारा फैलाए गए झूठ को सच नहीं मानने की सज़ा मुझे अपनी जान दे कर चुकानी पड़े संभव है कि तुम्हारे द्वारा खींची गई लकीरों को किसी देश की सीमा मान कर मुझे देश …

ख़ूबसूरत कौन- लड़की या लड़का ?

अगर महिलायें गंजी हो जायें, तो बदसूरत लगती हैं… अगर महिलाओं की मुंछें आ जायें, तो बदसूरत लगती हैं… अगर महिलाओं के सिक्स पैक्स एब्स निकल आये, तो खराब लगती हैं… और आप कहते है कि, महिलायें खूबसूरत हैं…??? अब पुरुष की बात करते हैं… यानी लड़कों की… अगर लड़के क्लीन शेव रहें, तो खूबसूरत लगते हैं… और दाढ़ी रखें, …

‘हिन्दू राष्ट्र’ के फासिल्स

कल को जब ‘हिन्दू राष्ट्र’ के फासिल्स तलाशे जाएंगे तो भावी इतिहासकार हैरान रह जाएंगे यह जानकर कि हिन्दू राष्ट्र का निर्माण महिलाओं के नग्न शरीर पर हुआ था फासिल्स में मंदिरों, त्रिशूलों के अवशेष तो मिलेंगे ही बड़ी मात्रा में महिलाओं के नग्न शरीरों के अवशेष भी मिलेंगे निश्चित ही क्षत-विक्षत इतिहासकार हैरान होंगे कि अभी भी उनकी आंखें …

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