राम लाल पेशे से कुम्हार था. दिन भर मेहनत करके बमुश्किल अपने बीवी बच्चों को खाना नसीब करवा पाता था. दिये, गुल्लक, छोटी मोटी मूर्तियां, मिट्टी के खिलोने तो जैसे उसके हाथ लगते ही जीवित हो उठते थे. राम लाल की कला का दीवाना लगभग आसपास का सारा इलाका था. लेकिन चीन की झालर और मूर्तियों ने उसके व्यापार का …
कमलेश
