'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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लघुकथा

कमलेश

राम लाल पेशे से कुम्हार था. दिन भर मेहनत करके बमुश्किल अपने बीवी बच्चों को खाना नसीब करवा पाता था. दिये, गुल्लक, छोटी मोटी मूर्तियां, मिट्टी के खिलोने तो जैसे उसके हाथ लगते ही जीवित हो उठते थे. राम लाल की कला का दीवाना लगभग आसपास का सारा इलाका था. लेकिन चीन की झालर और मूर्तियों ने उसके व्यापार का …

अपना-अपना भालू

एक बार एक वैज्ञानिक जंगल में किसी काम से जा रहा था. तभी उसने ‘सोनू आर्या’ नामक एक शख्स को एक गुफा के बाहर धूप-अगरबत्ती करते हुए देखा. कौतूहल में आकर वैज्ञानिक ने इसका कारण पूछा तो सोनू आर्या ने जवाब दिया – ‘इस गुफा में एक पवित्र भालू रहता है, जिसकी हम पूजा करते हैं.’ वैज्ञानिक – ‘आपने कभी …

विचित्र पत्थर

वाराणसी से कलकत्ता तक पानी वाले जहाज का संचालन शुरू हो गया है. अभी सिर्फ मालवाहक जहाज ही चल रहे हैं और दो एक साल में पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी शुरू हो जाएगा. बीते 30 मार्च को एक जहाज वाराणसी से बनारसी लंगड़े आमों की खेप लेकर कलकत्ता के लिए निकला. जहाज पर लगभग तीस हजार टन आम लदे हुए थे. …

फैसला

दिल्ली में दिसम्बर की ठिठुरन वाली एक सुबह. ओस की बूंदे चादर बनकर पत्तों का आलिंगन कर रही थी. ठंडी हवा रोम-रोम में ठंडक भर रही थी. हर रोज़ की तरह सरिता जल्दी-जल्दी उठकर नाश्ता बनाने की तैयारी में थी. घर की सबसे छोटी और अपने तीन भाइयों की दुलारी बहन थी सरिता. पढ़ाई के साथ-साथ घर की जिम्मेदारियों का …

ज्ञानियों की गति

चार मेढ़क नदी किनारे के एक लट्ठे पर बैठे थे. अचानक लट्ठा धारा में आ गया और धीरे-धीरे बहने लगा. मेढ़क खुश हो गए और लट्ठे के साथ तैरने लगे. इससे पहले उन्होंने कभी भी नाव की सवारी नहीं की थी. कुछ दूरी पर पहला मेढ़क बोला – ‘यह वास्तव में ही बहुत चमत्कारी लट्ठा है. ऐसे तैर रहा है …

कैमराजीवी

किसी युग में एक कैमराजीवी हुआ करता था. इतिहास की पुस्तकों में उसका नाम ठीक-ठीक नहीं मिलता मगर इतना अवश्य ज्ञात होता है कि उसके नाम के अंत में इन्द्र जैसा कोई शब्द था – सुरेन्द्र, धनेन्द्र, सत्येन्द्र, धर्मेन्द्र, वीरेन्द्र या नरेन्द्र टाइप कुछ. वैसे उसका सबसे प्रचलित नाम कैमराजीवी था. उस समय दुनिया में किसी से पूछने पर कि …

सोमवार को स्नान के बाद इस कथा को पढ़ें !

बाप अकेला रहता था. बेटे उससे दूर एक शहर में रहते थे, अचानक एक दिन बाप के घर के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी. देखा तो सामने एक बेटा खड़ा था. पांवों में छाले पड़े हुए थे. हाल बेहाल था. बुरी तरह से थका हुआ था. कंधे पर एक पोटली टंगी हुई थी. बाप हैरान परेशान. बेटे से पूछा …

‘ओ लोगों, क्या मैं इसे मार दूं ?’

वह जूडाई का गवर्नर था. जूडाई रोमन राजाओ का जीता हुआ इलाका था. साम्प्रदायिक तनाव के बीच एक अशान्त एशियन इलाका. झगड़े झंझट रोज की बात थे. रोमन सैनिक से पॉलिटिशियन तक का सफर तय करने वाले पाइलेट को, गवर्नर बने रहना रहना था. गवर्नर होने का मतलब इलाके को शांत रखो, कब्जे में बनाये रखो और ज्यादा से ज्यादा …

वामपंथियों ने इतिहास से लुप्त कर दिया एक कड़वा सच : ममी की पुकार

वामपंथियों ने इतिहास से लुप्त कर दिया एक कड़वा सच – गोरखपुर के नजदीक एएसआई की खुदाई चल रही थी. वहां एक ममी पाई गई, जो बिल्कुल मिस्री परम्परा के मुताबिक बनाई हुई थी. भारत के इतिहास में ममी का मिलना अपने आपमे एक नई घटना थी, जिससे इतिहास के नए सफहो पर प्रकाश पड़ता. चार फुट की उस ममी …

शराबी बुजुर्ग – ‘अब कोई बांझ नहीं कहेगा’

आधी रात का समय था. रोज की तरह एक बुजुर्ग शराब के नशे में अपने घर की तरफ जाने वाली गली से झूमता हुआ जा रहा था. रास्ते में एक खंभे की लाइट जल रही थी. उस खंभे के ठीक नीचे एक 15 से 16 साल की लड़की पुराने फटे कपड़े में डरी सहमी सी अपने आंसू पोछते हुए खड़ी …

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