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आजादी

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मन मस्त हवा के पंखों से
मत पूछ
आजाद उड़ानें कैसी हैं
कैसी हैं
चंचल पतवारें,
सागर में
गोते खाते
आजाद ये मौजें
कैसी हैं

मदमस्त जीवन का
संगीत तराना
सारा सरगम
गीत की प्रीतें
ये
कैसी हैं

धरती अम्बर के
मिलन बिन्दु पर
आजाद ख्याल की
बीछी सीमाएं
कैसी हैं

हम नए युग के वाशिंदे
बधे बहो पास से
फिर भी
बंधन में
आजादी की बातें
कैसी हैं

मत पूछ
यह आजादी कैसी हैं
इसका रखवाला
कैसा है….

आजादी का मतवाला
बहका-बहका मन
मत पूछ
जमाना
कैसा है

हमने भी पाले हैं
सपने
उडने के
उनका देखें
ठौर ठिकाना
कैसा है

उत्ताल तरंग में
हृदय का स्पंदन
उमंग भरा
मन का
कोना कोना
कैसा है

मानवता के
शिखर बिन्दु का
यह
आजाद
फशाना
कैसा है

समझ रहे हो
बुझ रहे हो
आजादी का
आजाद
दिवाना
कैसा है

हम लड भी रहे
हम भीड भी रहे
यह रण का
कर्कश
बाजा
कैसा है

बतला ओ !
आजाद वतन
तेरी गलियों में
शोर यह
अब
कैसा है

आदमी हो कर
यह आजादी
कैसी हैं
पूछ रहा
हूं
मुल्क आजाद
कैसा है ?

  • डॉ. नवीन

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ROHIT SHARMA

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