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देविंदर सिंह का ‘सीक्रेट मिशन’

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देविंदर सिंह का ‘सीक्रेट मिशन’

कश्मीरी पुलिस के डीएसपी दविन्द्र सिंह, जो आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई में पुरस्कृत भी किये जा चुके थे, की गिरफ्तारी से पूरी भाजपा और उसके आईटी सेल को समेत देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह (ये यही व्यक्ति हैं, जिसे देश की अदालत ने तड़ीपार किया और समाज में रहने लायक नहीं माना था) को मानो काठ मार गया हो. ऐसा लगता है कि इस गिरफ्तार पुलिस अधिकारी के साथ इन तमाम लोगों के अन्योनाश्रय संबंध रहे होंगे, जिस कारण लोकसभा चुनाव के ठीक पहले पुलवामा में 44 जवानों की चिथड़े उड़ गये और संभवतः अब दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अब फिर वही संभावित घटनायें दिल्ली में अंजाम दिये जाने की तैयारी थी, जिसके लिए यह गिरफ्तार डीएसपी आतंकवादियों को दिल्ली ले जा रहा था, जिसकी घोषणा मोदी मीडिया और गृहमंत्री अमित शाह लगातार कर रहे थे कि आतंकवादी दिल्ली में पहुंच गये हैं. किसी बड़ी बारदात की तैयारी कर रहे हैं. वहीं लोकसभा चुनाव के पहले 500 आतंकवादियों के दिल्ली पहुंचाने की सूचना जारी की गई थी. इतनी सटीक जानकारी आतंकवादियों के किसी सरगना को ही हो सकती है.

डीएसपी देविन्द्र सिंह गिरफ्तारी के पहले गिरफ्तार करने वाले अधिकारी को कहते हैं कि आप गेम खराब मत कीजिए. यह कौन-सा और कैसा गेम हैं, जिसकी बात यह अधिकारी कर रहे हैं. इस ‘गेम’ (सीक्रेट मिशन) में कौन-कौन और किस प्रकार शामिल हैं, इसका खुलासा पुलवामा हमले की तरह शायद ही कभी हो पाये. इसमें मजे कि बात यह है कि इस ‘गेम’ की जांच करने के लिए एनआईए की टीम को नियुक्त किया गया है, जिस पहले से ही बड़े-बड़े मामलों को छिपाने, लीपापोती करने का आरोप लग चुका है. अगर हम इनके कार्यशैली को ठीक से देखे तो इस जांच का परिणाम इस रूप में निकल सकता है कि गिरफ्तार पुलिस अधिकारी डीएसपी देविन्द्र सिंह को खामोश कर दिया जाये और उसे गिरफ्तार करने वाले अधिकारी डीआईजी अतुल गोयल को किसी फर्जी मामले में फंसाया जा सकता है. यहां सोशल मीडिया पर लिखे गये दो पोस्ट दिये जा रहे हैं, जिसे अवश्य देखा जाना चाहिए.

गिरीश मालवीय : देविंदर सिंह की गिरफ्तारी से एक ऐसा अध्याय खुल गया है जिससे देश की आम जनता अनजान ही रहती है. आतंकवाद के नाम पर हमें जो दिखाया जाता है, जरूरी नही है कि इसका स्वरूप वही हो जो हमें दिखाया जाता हो.

2001 में संसद पर हुए हमले के मास्टरमाइंड कहे जाने वाले अफजल गुरु ने अपने वकील को लिखी चिट्ठी में लिखा था कि देविंदर ने उसे हिरासत में लेकर काफी यातनाएं दी थी. देविंदर के कहने पर ही उसने मोहम्मद नाम के एक आदमी को दिल्ली पहुंचाया और वहां उसके रहने का इंतजाम भी किया. बाद में पता चला था कि मोहम्मद भी संसद हमले में शामिल आतंकवादियों में से एक था. हालांकि, सूत्रों से पता चला है कि अफजल की इस चिट्ठी के बाद भी देविंदर पर न तो कोई कार्रवाई की गई और न जांच की गई. अफजल गुरू की पत्नी ने यह भी कहा था कि उसने 1 लाख की रकम अपने गहने बेच कर देविंदर को दी थी.

अब खबर आ रही है कि यह सब जानकारी दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के पास भी थी. देविंदर कई बार दिल्ली आया था. करोल बाग, इंद्र विहार और साउथ दिल्ली के इलाके में वह ठहरा था. सेल ने सीक्रेट तरीके से इस मामले में हाथ डालने का प्रयास भी किया, लेकिन देविंदर सिंह अपने ऊंचे रसूख के चलते इस सारी मुहिम को एक सीक्रेट ऑपरेशन का नाम दिलाने में कामयाब रहा था लेकिन इस बार उसका यह ‘सीक्रेट मिशन’ नाकामयाब रहा.

इस बार भी देविंदर सिंह को जब आतंकवादियों के साथ कार में जब देखा गया तो उसकी कार बहुत स्पीड में थी. अगर वे जवाहर टनल पार करके बनिहाल दाखिल हो जाते, तो उन्हें रोकना नामुमकिन हो जाता. कार में आतंकियों के साथ दविंदर सिंह को बैठे देखकर दक्षिण कश्मीर के DIG अतुल गोयल अपना आपा ही खो बैठे. एक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने वहीं दविंदर सिंह को कई थप्पड़ भी जड़ दिए थे. क्योंकि अगर शनिवार शाम थोड़ी भी देर हो जाती, तो डीएसपी दविंदर सिंह आतंकियों को कश्मीर से बाहर निकलवाने में सफल हो जाता.

DIG के सामने आतंकियों संग पकड़े जाने पर देविंदर बहाने बनाने लगा. पहले तो उसने कहा कि जिन आतंकियों के साथ उसे पकड़ा गया है वो उसके व्यक्तिगत सुरक्षा अधिकारी हैं. इसके बाद उसने कहा कि मैं एक ऑपरेशन पर था, अगर ये ऑपरेशन सफल हो जाता तो प्रदेश पुलिस की वाहवाही होती. इतना ही नहीं आरोपी डीएसपी ने पूछताछ कर रहे DIG से कहा कि आप सभी ने मेरे प्लान पर पानी फेर दिया.

2018 में DIG अतुल गोयल की नियुक्ति हुई थी. माना जा रहा है कि वह शुरू से ही देविंदर पर नजरें जमाए हुए थे. दरअसल आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने की गतिविधियों में गोयल का खासा अनुभव है. लंबे समय तक वह एनआईए में रह चुके हैं. DIG बनने से पहले वह आरएस पुरा में प्रोबेशनर डीएसपी, डीएसपी कोठीबाग, एसपी साउथ श्रीनगर, एसपी कठुआ और एसएसपी जम्मू के पद पर भी तैनात रह चुके हैं.

अब देविंदर सिंह की गिरफ्तारी से देश की प्रमुख सुरक्षा एजेंसियां भौंचक रह गयी है. दरअसल अब यह आशंका जताई जा रही है कि देविंदर के द्वारा सुरक्षाबलों की तैनाती और गुप्त आपरेशनों के बारे में भी आतंकियों को जानकारी मुहैया कराई गई हो सकती हैं. केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के साथ-साथ मिलिट्री इंटेलीजेंस भी इस मामले की गहन जांच में जुट गई हैं.

पूर्व में ऐसी कई आतंकी घटनाएं हुई हैं जिसमें सूचनाएं लीक होने की आशंका जाहिर की गई थी, जिनमें सेना एवं सुरक्षा बलों के काफी जवान मारे गये थे, यानी पुलवामा हमले का राज अब खुल सकता है. देविंदर सिंह स्वयं पुलवामा के त्राल का रहने वाला है. यह वही इलाका है जो हिज्‍बुल मुजाहिदीन का गढ़ माना जाता है. आतंकी बुरहान वानी और जाकिर मूसा इसी इलाके के रहने वाले हैं. त्राल में देविंदर सिंह की पैतृक संपत्ति भी है. उसका एक घर जम्‍मू में भी है. उसका एक बंगला भी श्रीनगर में बन रहा है, जो सैन्य छावनी से लगी हुई जमीन पर है.

सबसे बड़ी बात तो यह है कि आखिर अब तक कौन इस डीएसपी देविंदर सिंह को बचा रहा था ? क्या कभी उस शख्स के नाम का खुलासा हो भी पाएगा ?

हिमांशु कुमार : जैसे नरेंद्र मोदी ने पुलवामा करवाया था चुनाव जीतने के लिए, वैसे ही अटल बिहारी वाजपेई ने संसद पर हमला करवाया था चुनाव जीतने के लिए. संसद पर हमले में फांसी चढ़ चुके अफजल ने अपने बयान में बताया था कि ‘हम लोगों को पुलिस अधिकारी देविंदर सिंह किसी काम का बहाना बताकर दिल्ली लाया था और बाद में कुछ लोग उस घटना में मारे गए और मुझे बस अड्डे से पकड़ा गया और मुझे संसद पर हमले का मास्टरमाइंड बना दिया गया.

आईबी अधिकारी का बयान कुछ साल पहले मैंने सोशल मीडिया पर शेयर किया था, जिसमें आईबी अधिकारी ने खुलासा किया था कि संसद पर हमला अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने करवाया था.

आतंकवाद सरकार का ही धंधा है और वह चुनाव जीतने के लिए कराया जाता है. भारत में कोई इस्लामी आतंकवाद नहीं है, मैं कई बार लिख चुका हूं. आतंकवाद पूरी तरह से सरकारी नाटक है और यह तब से शुरू हुआ है जब से सरकारों ने लोक कल्याणकारी राज्य को तिलांजलि देकर पूंजीवाद की सेवा का रास्ता चुना. तब जनता को सरकार की क्या जरूरत है ? यह बताने के लिए जनता से कहा गया कि तुम खतरे में हो और सरकार तुम्हारी रक्षा कर रही है. लेकिन खतरा तो था नहीं इसलिए खतरा पैदा किया गया.

जहां सारी दुनिया में इस्लामी आतंकवाद का हव्वा खड़ा किया गया. वहीं भारत ने भी इस्लामी आतंकवाद का हव्वा खड़ा किया गया और फर्जी आतंकवाद सरकारी एजेंसियों ने खड़ा किया और बम विस्फोट कराए गये. ज्यादातर मामलों में भगवा आतंकवादी पकड़े गए. प्रज्ञा ठाकुर, असीमानंद, कर्नल पुरोहित वगैरह ने बम विस्फोट करे थे ताकि मुसलमान बदनाम हो. उसमें यह भगवा आतंकवादी लोग पकड़े भी गए लेकिन मोदी ने सत्ता में आते ही उन सारे आतंकवादियों को छुड़वा लिया.

इन घटनाओं में बेकसूर मुसलमानों जवानों को फंसाया गया. फंसाये गये बेकसूर नौजवानों ने सारे मामलों का खुलासा किया. मैंने खुद ऐसी किताब की भूमिका लिखी है जिसमें 14 केसों का खुलासा किया गया है, जिसमें निर्दोष मुसलमानों को आतंकवादी कह कर पकड़ा गया.

अब एक पुलिस अधिकारी देवेंद्र सिंह कुछ कश्मीरी युवकों को दिल्ली ला रहा था, 26 जनवरी से पहले कोई वारदात करने के लिये. उसके पास से विस्फोट बरामद हुए हैं.

इसी तरह से आज हमारा गृहमंत्री बेफिजूल में पाकिस्तानी और बांग्लादेशी घुसपैठियों का हव्वा खड़ा करके पूरे देश में करोड़ों मुसलमानों को परेशान करके हिंदुओं को खुश कर अगला प्रधानमंत्री बनना चाह रहा है और मुसलमानों को सताने के लिए एनआरसी लेकर आया है.

सरकार के मंसूबे समझना कोई मुश्किल काम नहीं है. आप जरा खबरों पर और घटनाओं पर नजर बनाए रखिए और थोड़ी अक्ल का इस्तेमाल करिए. आपको सब कुछ साफ-साफ दिख जाएगा.

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