Home कविताएं अंधी सड़कें

अंधी सड़कें

0 second read
0
0
44

अंधी सड़कें नहीं देख पाती
शार्क के खुले जबड़े
आदमी मच्छी के कांटे सा
फंसा हुआ है
उसके नुकीले दांतों के बीच

गांव दर गांव
शहर दर शहर
कंकाल के हाथ
लाल सलाम कहते हुए
लाल कार्ड
सरकारी बनिये की चौखट पर
कीड़े में चावल बीनते कीड़े
एक संप्रभु राष्ट्र की
धर्म ध्वजा है
जिसे बनाए रखने के लिए
करोड़ों टन काग़ज़
चाट दिए जाते हैं हर दिन

काग़ज़ के पीछे
सिसकते हैं कटे हुए जंगल
जहां रह रह कर
तुम्हें डरायेंगे
खदान की फिसलन
और लोहे के दैत्य

गोबर से अनाज चुनने के दिन हैं
लेकिन, सड़क पर बह रहे
दूध चाटने के लिए
आदमी की जीभ
विकासवाद की प्रयोगशाला के बाहर बनी है

सबके अलक्ष्य में
जब वे कर रहे थे
आततायियों की पहचान कपड़े से
ठीक उसी समय
करोड़ों पैदा हो रहे थे नंगा

उस समय हम क़ैद थे घरों में
गैस चेंबर बदल लिया था
ठिकाना अपना
अब वह निर्वासित था
खेतों खलिहानों में
जहां पके फसल हंसुए की प्रतीक्षा में
दुख में हिला रहे थे अपना सर

पेट के अंदर एक सिंहासन बतीसी है
हम सब उसकी न्यायप्रियता के क़ायल हैं
लेकिन, कुछ लोग आज भी
महल के बाहर खड़े होकर
खींच रहे हैं रस्सी
जो अंदर खाने में एक घंटी से बंधी है
इन लोगों में शामिल हैं
मच्छी के कांटे भी

शार्क के जबड़े से
टपकता हुआ लार
टाट का पैबंद है
जिसके पीछे
औरतें बिंदास जनती हैं
आदमी के बच्चे

2

पूरे सफ़र में
तुमसे सरगोशियां होतीं रहीं
पूरे सफ़र में चुप रहे रास्ते
सर झुकाए खड़े रहे
अपनी अपनी जगहों पर पेड़

पूरे सफ़र में बदलते रहे मौसम
बदलते रहे आसमान के रंग
हवाओं की दिशा
और गंतव्य की दूरियों के शिला पट्ट

पूरे सफ़र में
वही शख़्स मुझसे अजनबी रहा
जिससे करता रहा मैं बातें

और
जिसकी चुप्पी ने बिंध लिया मुझे
एक भाले की नोक पर
जो गंतव्य था मेरा

  • सुब्रतो चटर्जी

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • अल्पमत

    बहुत से लोग दाएं हाथ से लिखते हैं लेकिन कुछ लोग बाएं हाथ से भी लिखते हैं.. दाएं हाथ से लिख…
  • एक पहिया

    लग रहा है : यहां कोई आने वाला है, लेकिन कोई नहीं आता. मेरे भविष्य की राह खोलने के लिए लेकि…
  • मौत

    कच्ची गोलिय़ां नहीं खेले हैं वे वे सयाने हैं वे जानते हैं किस तरह तुम्हारी खाल में घुसकर तु…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

गंभीर विमर्श : विभागीय निर्णयों की आलोचना के कारण पाठक ने कुलपति का वेतन रोक दिया

बिहार के एक विश्वविद्यालय के कुलपति का वेतन शिक्षा विभाग ने इसलिए रोक दिया कि वे विभाग और …