'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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इलेक्टोरल बॉण्ड पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला किसके पक्ष में है ?

देश की जनता के बीच बुरी तरह बदनाम हो चुकी सुप्रीम कोर्ट ने खुद की साख बचाने के लिए चन्द्रचूड़ के नेतृत्व में एक नया पहल लिया है, जिसमें उसने कुछ तो बिना मतलब वर्षों से जेलों में बंद जी. एन. साईंबाबा जैसे भारत के प्रगतिशील बुद्धिजीवियों को जेलों से रिहा करने का कार्य किया तो वहीं चुनावी चंदा जैसे …

आज की दुनिया को नीतिगत तौर पर राजनेता नहीं, वैश्विक वित्तीय शक्तियां संचालित कर रही है !

नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने कहा, ‘हम आपस में मूल्य साझा करते हैं.’ ये मूल्य क्या हैं ? ये हैं लोकतंत्र, मानवाधिकार, किसी भी तरह के नस्ल भेद या धर्म भेद का विरोध, विश्व शांति आदि. लेकिन, बाइडन के इस वक्तव्य पर सीएनएन के एक पत्रकार की टिप्पणी थी, ‘वे मूल्य नहीं, हित साझा …

पार्टी का संगठनात्मक ढांचा मोदी के सामने सिर के बल खड़ा है

  “एक बार जब किसी सरकार का सुप्रीमो मतदाताओं के मन-मस्तिष्क पर सीधी पकड़ स्थापित कर लेता है, तो मतदाताओं के सामने बाकी के मुद्दे महत्वहीन हो जाते हैं.” कांग्रेस से भिन्न भाजपा में कभी जीवंत संसदीय कार्यकारी कमेटी और परिषदें अपने सदस्यों-कार्यकर्ताओं के निर्णयों को सरकार के सुप्रीमों (मुखिया) तक पहुंचाने के बजाय उसकी ‘हां’ में ‘हां’ मिलाने और …

भारत से लोकतंत्र नहीं ख़त्म होगा मोदी जी, आप ख़त्म हो जाएंगे

कल से एक ख़बर आ रही है. मोदी के उड़ीसा दौरे के समय एक अधिकारी को इसलिए सस्पेंड कर दिया गया कि उसने मोदी के हेलिकॉप्टर की तलाशी ली थी. शायद यह अधिकारी अपनी ड्युटि निभा रहा था, वर्ना प्रधानमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था को भेद कर तो कोई ऐसा कर ही नहीं सकता. शायद वह बस चुनाव आचार संहिता का …

नामांकन पॉलिसी में बदलाव के खिलाफ जेएनयू में विरोध-प्रदर्शन और चुनाव के लिए आम संदेश

नामांकन पॉलिसी में बदलाव लाने के खिलाफ और साथ ही गत 14 मार्च को सोशल मीडिया में एक प्रोस्पेकटस के उजागर हो जाने के बाद गत दो सप्ताहों में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) विरोध-प्रदर्शनों से उबल रहा है. इस उजागर हो गये प्रोस्पेक्टस के मुताबिक जेनरल कैटेगरी के विद्यार्थियों के लिए नामांकन की फीस तीन विषयों के लिए 1200 रूपये …

मोदी के सवाल पर बहुजन युवा भ्रमित क्यों ?

बहुजन समाज के एक ग्रुप में चर्चा करते हुए किसी ने पूछा कि ‘2019 के संसदीय चुनाव में कौन जीतना चाहिए ?’ एक युवा ने तुरंत जवाब दिया, ‘मोदी..!!’ मैं सोचने लगा की आख़िर क्यों हमारे युवा मोदी/भाजपा का समर्थन करने लगते हैं ? उसी बात को समझने के लिए यह लेख लिखा हूं. लेख बड़ा है क्योंकि इससे छोटे …

हम समझते हैं इस सब को, इसलिये जीतेंगे हम ही

भारत सरकार ने आन्तरिक सुरक्षा का बजट बहुत बढ़ा दिया है. इसके बाद ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों  में 76,578 रिक्तियां भरने के लिए एक बड़ा भर्ती अभियान शुरू किया है. इसका मतलब बिल्कुल साफ है. आदिवासी इलाकों में और ज़्यादा सैनिक भेजे जायेंगे. सैनिक जंगलों में आदिवासियों को सुरक्षा देने के लिये नहीं भेजे जाते, …

मोदी सरकार का बिजली बिल में खतरनाक संशोधन

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बड़ा चौंकाने वाला खुलासा किया है कि मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से ठीक पहले शीतकालीन सत्र के दौरान दिसम्बर 2018 में Electricity Act 2003 में एक खतरनाक संशोधन ला रही है. इस संशोधन के जरिये सभी अधिकार राज्यों से छीनकर केंद्र सरकार अपने पास रख ले रही है. इस नए बिल …

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