'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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भाजपा राजनीति के जिस रास्ते पर बढ़ रही है वह ज्यादा दूर तक नहीं ले जाता

मान लीजिये भारत में संघ की मनमानी चलने दी जाय तो ये ज्यादा से ज्यादा क्या कर लेंगे ? ये मुसलमानों, ईसाईयों, कम्युनिस्टों, सेक्युलर बुद्धिजीवियों, को मिलाकर मार ही तो डालेंगे ? बुरे से बुरे हाल में ये भारत में आठ दस करोड़ लोगों को मार डालेंगे, लेकिन उससे ना तो दुनिया से मुसलमान समाप्त होंगे, ना इसाई, ना कम्युनिस्ट …

पार्टी का संगठनात्मक ढांचा मोदी के सामने सिर के बल खड़ा है

  “एक बार जब किसी सरकार का सुप्रीमो मतदाताओं के मन-मस्तिष्क पर सीधी पकड़ स्थापित कर लेता है, तो मतदाताओं के सामने बाकी के मुद्दे महत्वहीन हो जाते हैं.” कांग्रेस से भिन्न भाजपा में कभी जीवंत संसदीय कार्यकारी कमेटी और परिषदें अपने सदस्यों-कार्यकर्ताओं के निर्णयों को सरकार के सुप्रीमों (मुखिया) तक पहुंचाने के बजाय उसकी ‘हां’ में ‘हां’ मिलाने और …

वीडियोकॉन घोटाला : इस देश का अब भगवान ही मालिक है …

अब भी लोगों की आंखें नहीं खुल रही है तो इस देश का अब भगवान ही मालिक है … ! अचानक पता चला कि वीडियोकॉन में बैंको का फंसा हुआ कर्ज कोई 10 या 15 हजार करोड़ नहीं है, बल्कि यह रकम 5 गुना से भी अधिक करीब 90 हजार करोड़ है. कल कंपनी रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने वीडियोकॉन के विभिन्न …

17वीं लोकसभा के चुनाव में खड़े तमाम प्रत्याशियों के नाम एक खुला पत्र

[ बेलसोनिका ऑटो कम्पोनेंट इंडिया इम्पलॉइज यूनियन की ओर 17वीं लोकसभा के चुनाव में खड़े तमाम प्रत्याशियों के नाम एक खुला पत्र जारी किया है. इस पत्र में उसने अपने साथ-साथ देश की मजदूर, किसान और मेहनतकशों की ओर से अधिकांश समस्याओं को उठाया है और इन प्रत्याशियों से जवाब मांगा है. हम उम्मीद करते हैं लोकसभा चुनाव में बने …

‘सर्जिकल स्ट्राइक’ जो सत्ता की तामाम विफलताओं पर पानी फेर दे, हर राजनैतिक पार्टी के नेता को किंकर्तव्यविमूढ़ बना दे.

वर्ष 2014 में मतदाताओं ने सत्ता के बदलाव के हक़ में मतदान किया था, 2019 में वह सत्ता को बनाये रखने – न रखने पर मतदान करेंगे. भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, कर्ज के बोझ से कराहते किसान आदि-आदि समस्याओं से जूझ रहे देश में 2014 में चुनी हुई सरकार कितना बदलाव ला सकी ? प्रमुख टीवी चैनल, अंग्रेजी व अन्य भाषायी अखबार …

2019 में आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा चुनावी मुद्दा है

अपने समर्थकों को संगठित रखने, विरोधियों को बांटने या उनको तरह तरह से भयाक्रांत करने के लिए सत्ता की सामर्थ का बेशर्म उपयोग करने, तरह तरह के प्रपोगण्डा का स्तेमाल कर उन्हें दिग्भ्रमित करने में फिलहाल तो भाजपा अजेय ही नजर आ रही है. उसकी इस सामर्थ को राष्ट्रीय या राज्य स्तर पर चुनौती देती कोई पार्टी उभरती दिख नही रही. …

देश में भाजपा विरोधी एक ही पार्टी है

अखिल भारतीय स्तर पर कांग्रेस ही एक अकेली राजनैतिक पार्टी है जो भाजपा विरोधी है. गठबंधनों के इस दौर में उसे हर हाल में अपने इस चरित्र को सुरक्षित रखना होगा. सत्ता की दौड़ में जनसंघ (भाजपा से पूर्व) ने 1980 में अपनी साख को मिट्टी में मिला दिया था. परिणाम सबके सामने है. उसे दुबारा दूसरे नाम भाजपा से …

कांग्रेस और भाजपा एक सिक्के के दो पहलू

कांग्रेस, आरएसएस का अपना पुराना घर है. कांग्रेस, आरएसएस का पहला प्यार है. जैसा कि आप सभी जानते हैं कि पहला प्यार कभी भूलता नहीं है. भारतीय राजनीति में पर्दे के पीछे रहते हुए आरएसएस हमेशा अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाया है. अपने पुराने और नये घर या प्रेम के जरिए संघ अपने राजनीतिक हस्तक्षेप को छुपाते हुए सांस्कृतिक संगठन के रूप में …

भगवा परचम उठाये लोग भगवा का ककहरा भी नहीं जानते

[ भारतीय राजनीति के वर्तमान परिद्रश्य को समझने के लिए हमें अपने अतीत में झांकना होगा. एक ऐसा धुप्प अंधेरा अतीत, जिसमें झांकने के लिए इतिहास की रौशनी की कोई भूमिका नहीं है. यह एक ऐसा अतीत है, जिसे इतिहास ने नहीं, “मान्यताओं के प्रति हमारी अटूट आस्थाओं” ने बनाया है. इसी विषय पर प्रख्यात विचारक और राजनीतिक विश्लेषक विनय …

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