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यूक्रेन और इजरायल कंगाली के चलते दुनिया के मानचित्र से आत्महत्या के मुहाने पर आ गए हैं

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अमरीका जानता है इजरायल-यूक्रेन हर हाल में तबाह होगा
अमरीका जानता है इजरायल-यूक्रेन हर हाल में तबाह होगा

जबसे अमरीकी खुफिया एजेंसियों ने ईरान के पास परमाणु बम होने की बात कही है तबसे नाटो देशों में भगदड़ मची हुई है. इजरायल पर ईरानी मिसाइलों के कोहराम से सन्न अमरीका ने ईरान के पास एक हास्यास्पद प्रस्ताव रखकर अपनी अपने शक्तिशाली होने की छवि का पोस्टमार्टम कर दिया है. ईरानी रक्षा विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक अमरीका ने ईरान से कहा कि ‘आप ईरान का कोई एरिया खाली करा दो और इजरायल सिर्फ वहीं पर मिसाइलें मारेगा.’

इस अजीबो-गरीब प्रस्ताव से ईरानी रक्षा विभाग ने खुद को अलग कर लिया और दो टूक शब्दों में कहा कि ‘ईरान पर हमले का खामियाजा इजरायल को भुगतना ही होगा.’ क्रेमलिन ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा है कि ‘सरदार पागल हो चुका है.’ चूंकि ईरानी हमलों को रूस द्वारा यूक्रेनी हमलों के अनुभव साझा किए जा रहे हैं इसलिए सौ फीसदी गारंटी के साथ ईरानी हमलों की कामयाबी बताई जा रही है.

उत्तर कोरिया राष्ट्रपति किम जोंग उन की तरफ से ईरान को सुपरसोनिक मिसाइल दिये जाने की घोषणा के बाद अरब क्षेत्र में तनाव चरम पर पहुंच गया है. साथ में दावा किया जा रहा है कि इजरायल के आयरन डोम उस स्थिति में कचरा हो जायेंगे, जब चीन व रूस निर्मित मिसाइलें इजरायल में कहर बरपाने के लिए छोड़ी जायेंगी. पुतिन ने ईरानी राष्ट्रपति को पहली रक्षा पांत के सभी फाइटर जेट, टैंक, एयर डिफेंस सिस्टम भेज दिया है.

यह सब जानते हैं कि यूक्रेन युद्ध में अमरीका-नाटो के सारे शक्तिशाली हथियारों को रूसी सेना कचरा करा डाले हैं. इस समय नाटो देशों के पास ऐसा कोई हथियार नहीं है जिससे चीन व रूस निर्मित हथियारों को टक्कर दी जा सके. पेंटागन की एक खुफिया खबर की मानें तो पेंटागन थल सेना कोर कमांडर के एक अधिकारी ने कहा है कि ‘इजरायल के पास सिर्फ 20 दिन से अधिक समय तक लड़ने के लिए हथियार नहीं हैं.’

चीन-रूस-ईरान की संयुक्त खुफिया एजेंसियों का निचोड़ भी यही है कि इजरायल हूथी-हमास-हिजबुल्ला से ही हलकान हो चुका है. वह एक बनावटी ताकतवर देश बताकर अपना उल्लू सीधा करने की कोशिश कर रहा है. फिलहाल ईरानी हमलों की तैयारी पूरी हो गई है और अब इजराइल को एक नया ‘यूक्रेन’ बनाने के लिए उत्तर कोरिया, चीन, रूस, बेलारूस ने ईरान को हरी झंडी दे दी है. देखना ये है अमरीका अपने पिट्ठू इजरायल को कितने समय तक बचा पायेगा.

ईरान की चौकसी में ट्रिपल पावर

नेतन्याहू ने सोचा कि ईरान हमला करेगा तो नाटो बिरादरी यूक्रेन की तरह उसके लिए भी कवच बन जायेगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, उल्टा नाटो मुख्यालय ब्रुसेल्स से ये कहा गया कि ‘नेतन्याहू अगर ईरानी हमलों का जबाब देगा तो इसके लिए वो खुद अकेले ही जिम्मेदार होगा.’ बाइडेन फोन पर नेतन्याहू से कहा – ‘ईरान को गुस्सा निकालने दो, तुम्हें कोई हरक़त नहीं करनी है.’

दरअसल इजरायल का ईरानी हमलों का जबाब न देना समझदारी नहीं बल्कि पुतिन, जिनपिंग, किमजोंग यानि ट्रिपल पावर की दो टूक धमकियों की दहशत है. इजरायल रेडियो के प्रसारण में इजरायली खुफिया विभाग मोसाद के एक अधिकारी ने कहा है कि – ‘इजरायल में सभी हमलों की रूपरेखा मास्को में बनाई गई थी. इस रूपरेखा को किमजोंग-पुतिन-जिनपिंग से साझा किया गया था. ईरानी हमलों के दरम्यान 13 रूसी सुपरसोनिक सरमत मिसाइलें और 7 चीनी युद्धपोत इजरायली प्रतिक्रिया के जबाब के लिए अलर्ट पर थी.’

हालांकि ऐसा नहीं है कि अमरीका अब युद्ध रुकवाने जा रहा है बल्कि अमरीका अपने हथियारों का परीक्षण किसी भी तरह ईरान-इजरायल युद्ध में नहीं करने जा रहा है क्योंकि नाटो सदस्य देश जानते हैं कि ये वही ईरान है जिसके ड्रोन से पुतिन ने पूरे यूक्रेन को मलबे के ढेर में तब्दील कर दिया है और पुतिन अपने सहोदर ईरान पर किसी भी हमले को सहन नहीं करेंगे. तो क्या अब नेतन्याहू सुधर गया है ? इसका जबाब है – नहीं ! लेकिन नेतन्याहू का दुर्दान्त बहुत भयावह होगा ये आने वाले समय में पूरी दुनिया देखेगी.

तीसरे विश्वयुद्ध की महाविभीषिका

चाइना की ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ के प्रवक्ता के अनुसार H20 बमवर्षक को ट्रैक करने की तकनीक दुनिया के किसी भी मुल्क के पास नहीं है. ये बमवर्षक दुनिया के किसी भी रडार के सिग्नल को रोक सकता है या उसकी दिशा बदल सकता है. 18 मार्च 2024 सोमवार, को बीजिंग में आयोजित एक विशेष सैन्य समारोह में चीनी रक्षा विभाग द्वारा H20 को चीनी वायु सेना में शामिल करने की घोषणा हुई.

चीनी वायु सेना ने इस तरह के बमवर्षक की कल्पना वर्ष 2016 में एक कार्यक्रम के दौरान की थी. अब जब उस इजरायल से ईरान सामने आकर युद्ध लड़ने जा रहा है, जिस इजरायल को हमास, हूथी, हिजबुल्ला बुरी तरह छलनी कर चुके हैं, तब ऐसे समय में चीन का H20 को सेना में शामिल करने की घोषणा का साफ मतलब है कि चीन एक तरह से अमरीका ब्रिटेन जापान देशों को इजरायल की तरफदारी करने का खामियाजा भुगतने का कड़ा मौन संदेश जारी कर रहा है.

बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने आज एक बयान में कहा कि अमरीका हरगिज इजरायल का साथ नहीं देने जा रहा है, अमरीका ईरान को जो गीदड़ भभकी दिखा रहा है वह उसकी फितरत है लेकिन अमरीकी नागरिकों में बाइडेन प्रशासन को लेकर भारी आक्रोश है और बाइडेन ने यूक्रेन के बाद इजरायल की मदद करने में बड़ी रुचि दिखाई तो अमरीका में बेकाबू राजनीतिक आंदोलनों की बाढ़ आ जायेगी. हालांकि ईरान ने देर रात 2 बजे इजरायल की राजधानी को टारगेट कर एक साथ 141 मिसाइलें छोड़ दी.

फिलहाल इन मिसाइलों से नुकसान का आंकड़ा इजरायल बता नहीं रहा है लेकिन वाशिंगटन पोस्ट ने दावा किया है कि ईरानी हमलों में लगभग 400 नागरिक हताहत हुए हैं और 1400 से अधिक लोग बुरी तरह घायल हुए हैं. इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र से बेकाबू ईरान को रोकने की गुहार लगाई है. बहरहाल, अंतरराष्ट्रीय युद्ध विश्लेषकों का मानना है महाविनाशी हथियारों की प्रायोगिक गर्जनाओं से रूस, चीन, उत्तर कोरिया जैसे परमाणु सम्पन्न देश इजरायल और उसके समर्थक देशों को औकात में रहने की चेतावनी दे रहे हैं.

तुर्की के पूर्व रक्षा मंत्री ने सोशल मीडिया पर एक कमेंट करते हुए कहा है ‘बदलते परिवेश का एक कड़वा सच है कि रूस चीन उत्तर कोरिया जैसे देश जिसके ऊपर हाथ रख दें उसकी जीत सुनिश्चित हो जाती है.’

स्विट्जरलैंड अंतर्राष्ट्रीय शांति सम्मेलन में पुतिन का कोहराम

विनियस नाटो शिखर सम्मेलन समापन के बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की को अलग किनारे पर रुआंसा खड़े होने की तस्वीर दुनिया भर में खूब वायरल हुई थी और दिल्ली सम्मेलन में भी जेलेंस्की को न बुलाकर, अंतर्राष्ट्रीय अमरीकी खेमे की राजनीति ने बहुत सन्देश दे दिया था और अब स्विट्जरलैंड में 15-16 जून को 120 देशों की संभावित मौजूदगी में अंतर्राष्ट्रीय शांति सम्मेलन से भी जेलेंस्की के नाम कोई बड़ा ऐलान हो इसकी कोई गारंटी नहीं दिखती.

यह सम्मेलन रूस यूक्रेन शांति के लिए नहीं बल्कि रूसी खेमे द्वारा दी गई बार बार परमाणु हमलों को रुकवाने के लिए आयोजित किया जा रहा है. उत्तर कोरिया राष्ट्रपति बार बार कहते रहे हैं – ‘किम हैं हम’ और शी जिनपिंग ने तो साफ कह रखा है रूस पर नाटो ने हमला किया तो चाइना लाल सेना को मास्को में उतार दिया जायेगा. बेलारूस और ईरान की अमरीका को धमकियां किसी से छिपी नहीं हैं.

उधर अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव हैं और इधर पुतिन ने अमरीकी पिट्ठू जेलेंस्की को लगभग हार के वेंटीलेटर पर पहुंचा दिया है. बात यहीं पर खत्म हो जाती तो तब भी गनीमत थी लेकिन चीन-ताइवान और उत्तर कोरिया-दक्षिण कोरिया भी तो बहुप्रतीक्षित युद्ध के लिए तमतमा रहे हैं और हमेशा की तरह इन युद्धों में उत्तर कोरिया व चीन पहले ही विजय घोषित कर दिए जा रहे हैं. नाटो को समझ नहीं आ रहा है उसके पास तीन दर्जन शक्तिशाली देशों की गैंग है और जीत का परचम पंच-लोक के पाले में क्यों दिख रहा है ?

नाटो संगठन वैसे ही दुनिया के खुशहाल देशों में तोड़-फोड़ करने के लिए विश्व की मानवतावादी बिरादरी में बदनाम है और तिस पर इजरायल-यूक्रेन के सनकी शासकों ने नाटो को अब इतना कमजोर कर दिया है कि उनके पास शांति सम्मेलन का ढोंग करने से अलावा कोई चारा नहीं बचा है. नाटो अमरीका समर्थित मीडिया पानी पी-पीकर नाटो के जिन हथियारों का यशोगान कर अपनी रोजी रोटी चला रही थी, उन सभी हथियारों की रूस ने चटनी बना डाली है और ऊपर से रूस के महाविनाशी हथियारों की नई नई खेपें नाटो को अब अपनी डरावनी मौत लग रही है.

नाटो सदस्य देशों के लिए पुतिन को रोकने का कोई विकल्प नहीं है. उनके पास एक ही विकल्प है कि वो पुतिन के आगे सरेंडर कर दें, वरना पुतिन ने आगामी स्विट्जरलैंड शांति सम्मेलन के नाम बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको से एक बातचीत में साफ कह दिया है कि ‘रूसी हितों को ध्यान में रखकर अगर शांति सम्मेलन से बातें नहीं निकली तो वो हम पर अपनी शांति थोपने की नादानी न करें.’

नाटो की बंधी घिग्घी, यूक्रेन-इजरायल पड़े अकेले

अब कुछ नहीं हो सकता. हर हाल में यूक्रेन इजरायल अपने शासकों के अमरीकी नव नाजीवाद की चपेट में अब दुनिया से खुदा हाफ़िज़ के कगार पर खड़े हैं. 1 अप्रैल 2024 को इजरायल ने दंभ भरकर सीरिया में ईरानी दूतावास को जमींदोज कर जो गलती कर दी उसका दुष्परिणाम इजरायल को मयसूद मिलेगा. नाटो के उकसावे पर यूक्रेन के बार बार रूस की सरजमीं पर हमलों ने यूक्रेन को भी हासिये पर धकेल दिया है.

नये समाचारों के अनुसार एक ओर इजरायल ने जहां फिलिस्तीन से अपने सैनिकों को वापस बुलाने का अभियान तेज कर दिया है, वहीं दूसरी ओर यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने सार्वजनिक तौर पर ये माना है कि यूक्रेनी सैनिकों के पास रूसी हमलों के जबाब के लिए हथियारों की भारी किल्लत है. जेलेंस्की ने कहा हमारे सैनिकों को एक एक गोले को छोड़ने के लिए बहुत बार सोचना पड़ रहा है.

हालांकि यूक्रेन को मदद के नाम पर नाटो देशों से अभी तक कोरे आश्वासनों व एक्सपायरी हथियारों से अलावा कुछ नहीं मिला है, लेकिन जेलेंस्की ने यूक्रेन युद्ध को नाटो की नाक का मामला बनाकर अमरीका को एक तरह से बुरी तरह फंसा दिया है जबकि यूक्रेन अभी तक नाटो सदस्यता भी हासिल नहीं कर पाया है. ये अलग बात है नाटो अमरीका ने शुरुआत में रूस को जितना कम आंका था अब वही नाटो सदस्य देश उसी रूस से बचने की नैतिक दुहाई बांटते फिर रहे हैं.

उधर इजरायल ने अपने नागरिकों से आपात अपील की है कि भीड़भाड़ वाले इलाकों में न जायें और जरूरत का सामान इकट्ठा करके रखें. इजरायली खुफिया एजेंसी ‘मोसाद’ ने कहा है कि ईरानी राष्ट्रपति रईसी को जैसे ही पुतिन का ग्रीन सिग्नल मिलेगा ईरान, इजरायल पर अपने ड्रोन व मिसाइलों से टूट पड़ेगा. बेलारूस के एक स्थानीय समाचार चैनल ने कहा है इजरायल का एक विशेष राजनयिक प्रतिनिधिमंडल ईरान को रोकने के लिए पुतिन से मिलने जा पहुंचा है. क्रेमलिन ने बेलारूसी समाचार चैनल की इस खबर का अभी तक खंडन नहीं किया है.

अंतर्राष्ट्रीय युद्ध विश्लेषकोंं का मानना है कि ईरानी राष्ट्रपति रईसी इस समय किम जोंग उन, शी-जिनपिंग व पुतिन के संपर्क में हैं और तीसरे विश्व युद्ध का उदघोष इजरायल को मटियामेट करने से हो सकता है. अमरीकी समाचार न्यूयॉर्क टाइम्स ने दावा किया है कि ईरान की इजरायल पर बहुत बड़े हमले की तैयारी पूरी हो चुकी है.

बहरहाल, युद्ध जारी है और डरावनी स्थितियां कब पैदा हो जायें या स्थितियां एकदम शांत हो जायें, ये सिर्फ दुनिया के एक ही शख्स के हाथों में है और वो शख्स हैं राष्ट्रपति पुतिन और दुनिया के दो परमाणु महाशक्तिशाली देश उत्तर कोरिया और चाइना इस समय पुतिन के अंगरक्षक के रूप में दुनिया के सामने खड़े हो चुके हैं

नाटो देशों के डर का आलम ये है कि सभी नाटो देश यूक्रेन-इजरायल पर अलग-अलग और बदहवास पूर्ण बयान दे रहे हैं और पुतिन ये अच्छी तरह जानते हैं नाटो देशों की बदहवासी का मतलब नाटो अब हथियारों के नाम पर कंगाल हो चुका है. यूक्रेन और इजरायल इस समय उसी कंगाली के चलते दुनिया के मानचित्र से आत्महत्या के मुहाने पर आ गए हैं.

  • ए. के. ब्राईट

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