टेलीफ़ोन की घंटी बजी. मनमोहन पास ही बैठा था. उसने रिसीवर उठाया और कहा, ‘हेलो… फ़ोर फ़ोर फ़ोर फाईव सेवन…’ दूसरी तरफ़ से पतली सी निस्वानी आवाज़ आई, ‘सोरी…रोंग नंबर.’ मनमोहन ने रिसीवर रख दिया और किताब पढ़ने में मशग़ूल हो गया. ये किताब वो तक़रीबन बीस मर्तबा पढ़ चुका था. इसलिए नहीं कि उसमें कोई ख़ास बात थी. दफ़्तर …