'यदि आप गरीबी, भुखमरी के विरुद्ध आवाज उठाएंगे तो आप अर्बन नक्सल कहे जायेंगे. यदि आप अल्पसंख्यकों के दमन के विरुद्ध बोलेंगे तो आतंकवादी कहे जायेंगे. यदि आप दलित उत्पीड़न, जाति, छुआछूत पर बोलेंगे तो भीमटे कहे जायेंगे. यदि जल, जंगल, जमीन की बात करेंगे तो माओवादी कहे जायेंगे. और यदि आप इनमें से कुछ नहीं कहे जाते हैं तो यकीं मानिये आप एक मुर्दा इंसान हैं.' - आभा शुक्ला
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‘कम्युनिस्ट घोषणापत्र’ के नीचे गोलबंद होकर लड़ रही है दुनिया की मेहनतकश जनता

‘कम्युनिस्ट घोषणापत्र’ दुनिया के इतिहास में एक ऐसा अमिट हस्ताक्षर है, जिसने मानवता की सेवा और वर्गविहीन समाज के निर्माण में मील का पत्थर है. मजदूरों का बाईबिल कहे जाने वाले इस छोटी सी पुस्तिका ने दुनियाभर के शासकों को थर्रा दिया है. यह पुस्तिका ने दुनिया की हर भाषाओं में अनुदित हुआ है और करोड़ों की संख्या में लोगों …

देश-दुनिया के राजनीतिक चिंतन में भगत सिंह

संभावनाओं के जननायक भगत सिंह इतिहास में उज्ज्वल उपस्थिति दर्ज करा गए. उन्होंने जीने की औसत उम्र भी नहीं ली. प्रखर नास्तिक बने धर्म के प्रति शंकालु थे. इक्कीसवीं सदी की दहलीज पर भगत सिंह पिस्तौल या बम के आतंक के प्रतीक बनाए जा रहे हैं. जरूरत है, भगत सिंह के मानस की पड़ताल की जाए. उन विचारों को प्रासंगिक …

भारतीय वामपंथ के भटकाव और कमजोरी जिसके कारण वाम राष्ट्रीय पटल पर कमजोर हुआ

[ भारतीय वामपंथ भटकावों के दौर से गुजर रही है. दुनिया भर में वामपंथ के पतन और सत्ताच्यूत होने के बाद यह भटकाव बड़ी बेतरतीब है, जिसका भारी असर वामपंथी आंदोलन पर हुआ है. भारत में 1925 ई. में स्थापित वामपंथ के भटकाव का अनेक विश्लेषण अनेक पार्टियों व विद्वानों द्वारा की गई है और की जाती रहेगी. हम यहां …

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