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मगरमच्छ के आंसू और बाल नरेंद्र

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मगरमच्छ के आंसू और बाल नरेंद्र

प्राचीन काल में में वडनगर नामक राज्य में गरीब मां का बेटा ‘बाल नरेंद्र’ और उनके मित्र क्रिकेट खेल रहे थे. तभी बॉल पास के तालाब में चली गयी. चूंकि नाली में बॉल जायेगी तो ‘बाल नरेंद्र’ ही निकालेंगे इसी शर्त पर अन्य बच्चे गरीब ‘बाल नरेंद्र’ को अपने साथ खिलाते थे. तो फिर उन्होंने आव देखा ना ताव ‘बाल नरेंद्र’ तालाब में कूद पड़े.

तभी उनकी भेंट तालाब में रहने वाले एक मगरमच्छ से हुई जो बॉल कब्जा कर बैठा था. मगरमच्छ बहुत शक्तिशाली था. दोनों के बीच युद्ध छिड़ गया. उसने ‘बाल नरेंद्र’ को पटक पटक कर मारा. इतना मारा, इतना मारा की मतलब धागा खोल दिया.

इतनी पिटाई हो जाने के बाद ‘बाल नरेंद्र’ समझ गये थे कि ये युद्ध बल से नहीं ‘धूर्तता’ से जीता जायेगा. तभी ‘बाल नरेंद्र’ ने मगरमच्छ के कान में कुछ फुसफुसाया.

‘बाल नरेंद्र’ की बात सुनते ही मगरमच्छ की पकड़ ढीली पड़ गई. उसके बाद ‘बाल नरेंद्र’ ने मगरमच्छ को अपने कब्जे में ले लिया.

मगरमच्छ ने ‘बाल नरेंद्र’ से माफी मांगी और उपहारस्वरूप उन्हें अपनी ‘मगरमच्छ के आंसू’ वाली शक्ति दी और कहा –

‘हे बाल नरेंद्र ! ये लो मेरे आंसुओं की शक्ति. इसका उपयोग करके तुम पूरे संसार को समय-समय पर मूर्ख बना सकते हो.’

बॉल लेकर ‘बाल नरेंद्र’ बाहर निकले तो अन्य बच्चों ने उनसे कहा – ‘हे सखा ! आपने मगरमच्छ के कान में ऐसा क्या फुसफुसाया जो उसकी पकड़ ढीली पड़ गई ?’

‘बाल नरेंद्र’ मंद मंद मुस्काने लगे और बोले ‘मैंने मगरमच्छ को बोला 15 लाख मिलेंगे.’

अन्य बालक – ‘अरे ! पंद्रह लाख तो तूने हमारे भी न दिये भाई.’

इतना सुनते ही ‘बाल नरेंद्र’ मगरमच्छ के आंसू बहाने लगे और अपने मित्रों को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल कर लिया और फिर कभी किसी ने भी उससे ’15 लाख’ का चर्चा नहीं किया.

  • अजीत फुलवानी

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