-
पूंजीपति सरकारी संरक्षण में सरकारी पैसे से सरकारी संपत्तियां खरीदकर धनकुबेर बन रहे हैं
फर्ज कीजिए एक बगीचा है जिसका माली सारे छोटे-छोटे पौधों, घास, फूल, झाड़ी इत्यादि के हिस्से क… -
मज़दूर दिवस पर एक अव्यावहारिक सुझाव
ये तो सर्वविदित है कि कि निजी पूंजी का महल मज़दूरों के शोषण की नींव पर खड़ी है. सुदूर शिका… -
चार्ली चैपलिन के जन्मदिन (16 अप्रैल) पर…सत्ता और ताक़त का माखौल उड़ाने वाला कलाकार
हिटलर, मित्र सेनाओं और समाजवादी सोवियत संघ से हारने से पहले एक कलाकार से बुरी तरह हार चुका… -
एक कामलोलुप जनकवि आलोकधन्वा की नज़र में मैं रण्डी थी : असीमा भट्ट
आलोकधन्वा हिन्दी के जनवादी कविताओं की दुनिया में बड़ा नाम है. उनकी कविताओं में प्रेम की एक…
Load More Related Articles
-
मज़दूर दिवस पर एक अव्यावहारिक सुझाव
ये तो सर्वविदित है कि कि निजी पूंजी का महल मज़दूरों के शोषण की नींव पर खड़ी है. सुदूर शिका… -
चार्ली चैपलिन के जन्मदिन (16 अप्रैल) पर…सत्ता और ताक़त का माखौल उड़ाने वाला कलाकार
हिटलर, मित्र सेनाओं और समाजवादी सोवियत संघ से हारने से पहले एक कलाकार से बुरी तरह हार चुका… -
एक कामलोलुप जनकवि आलोकधन्वा की नज़र में मैं रण्डी थी : असीमा भट्ट
आलोकधन्वा हिन्दी के जनवादी कविताओं की दुनिया में बड़ा नाम है. उनकी कविताओं में प्रेम की एक…
Load More By ROHIT SHARMA
-
पूंजीपति सरकारी संरक्षण में सरकारी पैसे से सरकारी संपत्तियां खरीदकर धनकुबेर बन रहे हैं
फर्ज कीजिए एक बगीचा है जिसका माली सारे छोटे-छोटे पौधों, घास, फूल, झाड़ी इत्यादि के हिस्से क… -
मज़दूर दिवस पर एक अव्यावहारिक सुझाव
ये तो सर्वविदित है कि कि निजी पूंजी का महल मज़दूरों के शोषण की नींव पर खड़ी है. सुदूर शिका… -
चार्ली चैपलिन के जन्मदिन (16 अप्रैल) पर…सत्ता और ताक़त का माखौल उड़ाने वाला कलाकार
हिटलर, मित्र सेनाओं और समाजवादी सोवियत संघ से हारने से पहले एक कलाकार से बुरी तरह हार चुका… -
एक कामलोलुप जनकवि आलोकधन्वा की नज़र में मैं रण्डी थी : असीमा भट्ट
आलोकधन्वा हिन्दी के जनवादी कविताओं की दुनिया में बड़ा नाम है. उनकी कविताओं में प्रेम की एक…
Load More In
Check Also
मज़दूर दिवस पर एक अव्यावहारिक सुझाव
ये तो सर्वविदित है कि कि निजी पूंजी का महल मज़दूरों के शोषण की नींव पर खड़ी है. सुदूर शिका…