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महान क्रांतिकारी और समाजवादी जोसेफ स्टालिन

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महान क्रांतिकारी और समाजवादी जोसेफ स्टालिन
महान क्रांतिकारी और समाजवादी जोसेफ स्टालिन
मुनेश त्यागी

दुनिया में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो कभी नहीं मारते, वे सदा अमर रहते हैं. रूसी क्रांति के महान नेता जोसेफ स्टालिन ऐसे ही एक क्रांतिकारी पुरुष थे. मानव इतिहास में बहुत सारे महान लोगों ने जन्म लिया है और मानवता के कल्याण के लिए बहुत सारे काम किए हैं. रूस के समाजवादी नेता जोसेफ स्टालिन भी मानव इतिहास की एक ऐसी ही महान शख्सियत थे जिन्होंने अपने महान समाजवादी और क्रांतिकारी कारनामों से, अपनी समझ-बूझ से, अपने त्याग, ईमानदारी और बलिदान से रूस की जनता का कल्याण किया, रूस में समाजवादी विचारधारा की सरकार स्थापित की, उसे मजबूत किया और समाजवादी खूबियों को मानव इतिहास की ऊंचाइयों पर पहुंचाया था.

18 दिसंबर (1879) को महान समाजवादी नेता जोसेफ विसरियोन्नोविच स्टालिन पैदा हुए थे. कॉमरेड स्टालिन ने महान क्रांतिकारी लेनिन के साथ 1917 की रुसी क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी. स्टालिन मजदूर मोची के बेटे थे, जो बाद में किसानों मजदूरों के बहुत बड़े नेता के रूप में स्थापित हुए. उनका देहांत 5 मार्च 1953 को हुआ था.

स्टालिन पढ़ने के समय से ही कार्ल मार्क्स के विचारों से प्रभावित हो गए थे. बाद में उन्होंने बोल्शेविक पार्टी ज्वाइन की और लेनिन के नेतृत्व में 1917 में रूस की क्रांति को सफल बनाया. 1922 में स्टालिन को कम्युनिस्ट पार्टी का जनरल सेक्रेटरी बनाया गया. उन्होंने यूएसएसआर को मजबूत किया और उसे एक औद्योगिक ताकत बनाया और किसानों मजदूरों की सरकार बनाकर समाजवादी सिद्धांतों और मूल्यों को धरती पर उतारा.

उन्होंने खेती का सामूहिक करण किया और पंच वर्षीय योजनाओं की शुरुआत की. नाजी जर्मनी को और हिटलर की युद्ध पिपाशा को द्वितीय विश्व युद्ध में खत्म किया और नाजी जर्मनी को बुरी तरह से परास्त किया. स्टालिन और उनकी सरकार ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, पूर्वी यूरोपियन देशों में समाजवादी व्यवस्था को कायम करने में मदद की और सोवियत संघ को एक वैश्विक महाशक्ति बनाने में पूरा योगदान दिया.

स्टालिन की कार्यप्रणाली, अनुशासन और कार्य, स्टील की तरह मजबूत थे, अतः उनको स्टालिन के नाम से पुकारा जाने लगा. जहां कहीं कठिन परिस्थितियां होती थी और शोषकों से मोर्चा लेना होता था तो लेनिन, स्टालिन को ही वहां भेजते थे और स्टालिन की खूबी यह थी कि वे उन समस्याओं को फतह करके ही लौटते थे.

लेनिन की मृत्यु के बाद स्टालिन ने क्रांति के काम को विस्तार दिया और उसे जनता के बीच ले गए. किसानों, मजदूरों, मेहनतकशों के जीवन में विकास और खुशहाली लाए, उनकी आय दोगुनी की, सब को रोजी-रोटी, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा प्रदान की, सबको मुफ्त इलाज की व्यवस्था की, सबको मुफ्त और अनिवार्य और वैज्ञानिक शिक्षा का इंतजाम किया और और सोवियत यूनियन से बेरोजगारी का पूर्णतः खात्मा किया. जनता के सांस्कृतिक स्तर को ऊंचा किया, खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम में सोवियत यूनियन को दुनिया में बहुत ऊंचा स्थान प्रदान किया और क्रांति के बाद सोवियत यूनियन को विश्व की महाशक्ति बना दिया.

1917 की रूसी क्रांति के बाद जब स्टालिन सत्तारूढ़ हुए तो उन्होंने रूस की जनता के लिए बहुत सारे कल्याणकारी काम किए थे. मगर उनके नेतृत्व में दुनिया में महिला वर्ग के लिए सबसे ज्यादा काम किए गए. उन्होंने अपनी जनकल्याणकारी योजनाओं से रूस की औरतों को पूरी दुनिया दुनिया में सबसे ज्यादा लाभ पहुंचाया था. उन्होंने रूस की महिलाओं को सबको शिक्षा दी, सबको रोजगार दिया, उनको दुनिया में पहली दफा मनुष्य के बराबर समान वेतन दिया, उनको अनिवार्य रूप से नौकरी दी, उनको कला, साहित्य, खेल, समाज, राजनीति और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में बहुत बड़ी भूमिका निभाने का काम किया. स्टालिन के समय में कमाल की उपलब्धि यह थी कि वहां पर शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में औरतों की संख्या पुरुषों से ज्यादा थी.

1929-31 की वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में भी सोवियत यूनियन ने बेतहाशा आर्थिक उन्नति और विकास किया. स्टालिन के नेतृत्व ने क्रांति और समाजवादी विचारधारा के झंडे को झुकने नहीं दिया, बल्कि उसे महान ऊंचाइयां प्रदान की. यह स्टालिन का कमाल का योगदान है. उन्होंने लुटेरी पूंजीवादी व्यवस्था का समाजवादी विकल्प दुनिया के सामने पेश किया और पूरी दुनिया के सामने समाजवादी व्यवस्था को एक बेहतरीन व्यवस्था साबित किया. यह स्टालिन का दूसरा महान योगदान है.

स्टालिन ने पंचवर्षीय योजनाओं से सोवियत संघ दुनिया की महाशक्ति बनाया. 1936 में संविधान द्वारा हर एक नागरिक को काम देने के अधिकार को बुनियादी अधिकार बनाया और मानव जाति के इतिहास में सबसे पहले मनुष्य को काम करने का बुनियादी अधिकार दिया. दुनिया की हकीकत यह है कि पूंजीवादी व्यवस्था अपने 300 साल से ज्यादा के इतिहास में आज तक भी किसी को काम करने का बुनियादी अधिकार नहीं दे पाई है. स्टालिन ने अपनी सूझबूझ से और कम्युनिस्ट पार्टी के सहयोग से, द्वितीय विश्व युद्ध में, नाजी जर्मनी को परास्त किया और जिस कारण युद्ध में हार कर और अपने जनविरोधी नीतियों और मानव विरोधी कारनामों की वजह से हिटलर ने आत्महत्या कर ली.

महान स्टालिन ने दूसरे विश्व युद्ध के दौर में फासीवादी हिटलर के दांत तोड़े और उसे परास्त किया और फासीवाद का खात्मा किया. उनकी बहुत बड़ी कमाल की खूबी यह थी कि उन्होंने सत्ता और अपने पद का इस्तेमाल, अपने या अपने परिवार के हितों को बढ़ाने के लिए और अपना घर भरने के लिए नही किया.

स्टालिन के इकलौते पुत्र दूसरे विश्वयुद्ध में पितृभूमि की रक्षा करते हुए, वीरगति को प्राप्त हुए. स्टालिन ने अपनी बेटी स्वेतलाना को अपने पद और सत्ता का दुरुपयोग नहीं करने दिया. उनकी बेटी स्वेतलाना अपने पिता की मजबूत स्थिति का फायदा उठाकर, कुछ विशेष अधिकार पाना चाहती थी और अपने लिए सत्ता का दुरुपयोग करना चाहती थी, मगर स्टालिन ने उसे ऐसा करने से रोक दिया, जिस कारण स्वेतलाना से स्टालिन के मतभेद हो गए और ये मतभेद इस हद तक पहुंचे कि स्टालिन की बेटी स्वेतलाना, सोवियत संघ और अपने परिवार को छोड़कर अमेरिका चली गई, जिसका अमेरिका की पूंजीवादी व्यवस्था ने क्रांति, समाजवाद और स्टालिन के खिलाफ बढ़-चढ़कर दुष्प्रयोग किया.

कॉमरेड स्टालिन ने अपनी सत्ता का कभी भी दुरुपयोग नहीं किया और दुनिया को दिखाया कि किस तरह से सत्ता का प्रयोग किसानों, मजदूरों और मेहनतकशों के विकास के लिए किया जा सकता है. वे हमेशा सादगी पसंद ही रहे. उनकी सेना जैसा खाना खाती थी, जैसी वेशभूषा में रहती थी, वैसे ही स्टालिन भी खाना खाते थे और वैसी ही वेषभूषा में रहते थे. यह उनकी बड़ी कमाल की खूबी थी. उन्होंने अपने को राजा महाराजा की भूमिका में नहीं बल्कि मेहनतकशों की भूमिका में ही रखा और वे मेहनतकशों का अभिन्न अंग ही बने रहे.

अपने शासनकाल में स्टालिन से कुछ प्रशासनिक और सांगठनिक गलतियां और ज्यादतियां हुई, जिन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता. उनकी इन गलतियों को हमें स्वीकार करना पड़ेगा. कुल मिलाकर स्टालिन ने किसानों मजदूरों की राजसत्ता कायम की. क्रांति और समाजवाद का विस्तार किया, क्रांति को मजबूत किया और समाजवादी व्यवस्था को पूंजीवादी व्यवस्था का विकल्प बनाया और दुनिया के सामने स्थापित किया कि पूंजीवादी व्यवस्था का विकल्प केवल और केवल समाजवादी व्यवस्था ही हो सकती है, इसके अलावा उसका कोई विकल्प नहीं हो सकता.

स्टालिन ने सोवियत यूनियन को दुनिया की महाशक्ति बनाया. अपने सभी नागरिकों को सारी बुनियादी सुविधाएं,,,, रोटी, कपड़ा, मकान, मुफ्त शिक्षा, मुफ्त स्वास्थ्य, रोजगार और सभी बुजुर्गों को बुढ़ापे की पेंशन मुहैया करायी और मानव इतिहास में यह सिद्ध किया और करके दिखाया कि समाजवादी व्यवस्था मनुष्य के लिए, एक से बढ़कर एक आश्चर्यजनक कारनामें कर सकती है, जो पूंजीवादी लुटेरी व्यवस्था में कतई भी संभव नहीं है और वह अपने तीन सौ साल के इतिहास में ऐसा आज तक भी नहीं कर पाई है.

समाजवादी दुनिया हमेशा-हमेशा उनकी कर्जमंद बनी रहेगी. दुश्मन चाहे कुछ भी कहें, लोग उनकी कितनी भी आलोचना करें, मगर मानवता और मानव जाति उनकी महानता और उनके किए गए महान कामों और उपलब्धियों को कभी भी भुला नहीं सकती. सच में वे अपनी पितृ भूमि के असली सपूत थे. आज दुनिया को ऐसी ही क्रांतिकारी समाजवादी सोच के लोगों और नेताओं की जरूरत है, तभी दुनिया में विकास, सुरक्षा, सहअस्तित्व, अमनचैन, न्याय, समता, समानता, धर्म निरपेक्षता, समाजवाद, सबकी बराबरी और भाईचारे की स्थापना की जा सकती है.

दुनिया के सारे मेहनतकश, मजदूर और किसान और दुनिया के सारे समाजवादी और कम्युनिस्ट कार्यकर्ता उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं और उसे अपनी निजी जिंदगी में उतार सकते हैं और एक बेहतर दुनिया बनाने में अपनी कारगर भूमिका निभा सकते हैं. ऐसा करके ही भारत के किसानों, मजदूरों और आम जनता का विकास और कल्याण किया जा सकता है. आज भारत और दुनिया को ऐसी ही समाजवादी क्रांतिकारी सोच और व्यवहार के नेता और कार्यकर्ताओं की सबसे ज्यादा जरूरत है.

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