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नौकरशाही के प्रशिक्षित भेड़िए

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नौकरशाही के प्रशिक्षित भेड़िए

अब जब आप आईएएस, आईपीएस पास करने वाले नए लड़के लड़कियों को बधाई दें तो अब ये भी याद रखियेगा कि ये भी नौकरशाही के वैसे प्रशिक्षित भेड़िए ही बनेंगे जो अपने आक़ाओं के इशारे पर जनता को नोचेंगे, लूटेंगे और काट खाएंगे.

भारत की नौकरशाही का असली चरित्र समझना है तो उन राज्यों जहाँ नौकरशाही राज्य सरकार के अंतर्गत है वहां की नौकरशाही के राजनैतिक चाटुकारिता पूर्ण चरित्र की दिल्ली की राजनैतिक आक्रामक नौकरशाही से तुलना कीजिये.

ये जो फ़र्क़ है यही हमारे पब्लिक सर्वेन्ट्स का असली चरित्र है.

राज्यों में ये मुख्यमंत्रियों को जूते पहनाते हैं, दलाली करते हैं, हफ्ते वसूलते हैं, कमाई कर मिनिस्टर्स को ‘कट’ देते हैं. योगी के सचिव पर कट मांगने वाले आरोप को याद कीजिये. पुलिस के डंडे के आगे आरोपी का मुकरना याद कीजिये.आज ही वायरल हुए उत्तराखंड की महिला टीचर की मांग पर प्रशासनिक अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों का उसे तुरंत गिरफ्तार कर कस्टडी में लेने का त्वरित एक्शन वाला वीडियो देखिये.

और इसी नौक शाही की केंद्र के इशारे पर आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री के खिलाफ आक्रामक तेवर देखिये. दिल्ली की नौकरशाही और पुलिस केंद्र के इशारे पर अब केजरीवाल, शिशौदिया और आप के आधे विद्यायकों को जेल में डालने का प्रबंध कर रही है. ये भारत के फ़ेडरल स्ट्रक्चर पर ही प्रहार है. ये विधानमंडल पर कार्यपालक नौकरशाहों का आक्रमण है.

ये पब्लिक सर्वेंट नहीं प्रशिक्षित blood hound सरीखे हैं. अपने मालिक के इशारे पर तलवे चाटते या विरोधी को फाड़ खाने और नोंचने को तैयार ! आप ज़रा सोचिए कि…. अगर केजरीवाल सरकार के पास अन्य मुख्यमंत्रियों के समान नौकरशाही की नियुक्ति, ट्रांसफर व निर्देशन का अधिकार होता तो मजाल है कि ये ब्लड हाउंड ब्लड हाउंड जैसे रहते.

आज ये केंद्र सरकार के इशारे पर जिस मुख्यमंत्री को आधे विद्यायकों सहित जेल में डाल देने का षणयंत्र कर रहे हैं तब ये उसी मुख्यमंत्री के जूते बांध रहे होते, जैसे और राज्यों में अक्सर करते दिख जाते हैं.

अब आप खुद तय कीजिये कि राजनीतिज्ञ ज़्यादा बुरे मौकापरस्त हैं या ये बडे बाबू लोग?

– तनवीर अल हसन फरीदी

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ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

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