Home कविताएं एक पहिया

एक पहिया

0 second read
0
0
40

लग रहा है :
यहां कोई आने वाला है,
लेकिन कोई नहीं आता.
मेरे भविष्य की राह खोलने के लिए
लेकिन वह नहीं खुलती…

मैं अपनी कमीज़ पर बटन लगाता हूं
जिसे अभी अभी लाया हूं लॉन्ड्री से धुलवाकर
और उसके सभी चमकीले दाग,
मानो वे किसी के भाग्य हों.

फिर मैं दरवाज़ा बंद करता हूं,
और चुपचाप बैठ जाता हूं.
पंखा घूमने लगता है
और हवा को आग के भंवर में बदल देता है
घर से भी तेज़ आवाज़ में
वह शोर मचाता है.

सम्भवतः यहां कोई आने वाला है,
लेकिन
वह नहीं आता.

मुझे अब इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता.

मैं शांति से दीवार से टिका लेता हूं
ख़ुद को,
यहाँ तक कि ख़ुद ही दीवार भी बन जाता हूं.

मेरे कंधे पर बैठा एक घायल पक्षी ज़ोर से हंसता है,
जिस कंधे पर वह बैठा है,
उसी पर हंसता है !

मेरी मांस और रक्त की आत्मा
सुई की आंख में
एक लंबा धागा पिरोती है.

मैं अपने बेटे की छतरी पर एक पैच सिलता हूं.
मैं उसकी नाक खुजाता हूं और
जिससे खुजाता हूं उसे यह दो नाम देता हूं:
एक को ‘हाथी’ और दूसरे को ‘शेर’.

लग रहा है :
यहां कोई आने वाला है,
लेकिन वह नहीं आता.
मेरे भविष्य की राह खोलने के लिए
लेकिन वह नहीं खुलती.

मैं अपने बच्चों को गुदगुदी करता हूं,
वे भी मुझे गुदगुदी करते हैं;
मैं हंसता हूं,
सम्पूर्ण इच्छाशक्ति के साथ;
क्योंकि मुझे गुदगुदी महसूस नहीं होती.
इससे मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता.

मैं अनिष्ट के संकेतों को समझने के लिए
उनकी उंगलियों पर नज़र दौड़ाता हूं;
और मुझे दिखते हैं वहां :
नौ शंख और एक पहिया…*

(‘नौ शंख और एक पहिया’ अंगुलियों के सिरों पर रेखाओं की संरचना है, जो ‘भारतीय हस्तरेखा विज्ञान’ में एक सुखी जीवन की भविष्यवाणी कहती है.)

  • विन्दा करंदीकर
    मराठी से अनुवाद : तनुज

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • अल्पमत

    बहुत से लोग दाएं हाथ से लिखते हैं लेकिन कुछ लोग बाएं हाथ से भी लिखते हैं.. दाएं हाथ से लिख…
  • मौत

    कच्ची गोलिय़ां नहीं खेले हैं वे वे सयाने हैं वे जानते हैं किस तरह तुम्हारी खाल में घुसकर तु…
  • जलभूमि

    जलभूमि जीवन का सोच्चार चीत्कार है तुम्हारे अरदास के पलटते पन्ने परिंदों के पंख के परवाज़ अ…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

एक वोट लेने की भी हक़दार नहीं है, मज़दूर-विरोधी मोदी सरकार

‘चूंकि मज़दूरों कि मौत का कोई आंकड़ा सरकार के पास मौजूद नहीं है, इसलिए उन्हें मुआवजा द…