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दास युग में जीने को अभिशप्त है IGIMS के आऊटसोर्सिंग कर्मचारी

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दास युग में जीने को अभिशप्त है IGIMS के आऊटसोर्सिंग कर्मचारी
दास युग में जीने को अभिशप्त है IGIMS के आऊटसोर्सिंग कर्मचारी

देश की अर्द्ध सामंती-अर्द्ध औपनिवेशिक चरित्र से भी बदतर सामंती युग में जीने वाले बिहार के मेडिकल संस्थान – IGIMS के आऊटसोर्सिंग कर्मचारी दास-मालिक युग में जीने के लिए अभिशप्त है. IGIMS के आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों की दुर्दशा की कल्पना आप उस परिस्थिति से भी कर सकते हैं जब रोम के खिलाफ स्पार्टाकस के नेतृत्व में दासों के विद्रोह को खून में डुबोकर कुचलने के बाद दासों के मालिकों ने दासों को सूली से लटकाया और उसका दमन-उत्पीड़न और तेज कर दिया था, आज IGIMS में आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों की दुर्दशा ठीक उन्हीं दासों जैसी ही बदतर हो चुकी है.

विदित हो कि आज से लगभग एक साल पहले IGIMS के आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों ने अपने मजदूर नेता अविनाश कुमार के नेतृत्व में आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के उत्पीड़न और शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद किया था, जिसको सत्ता पोषित सामंती गुंडा और व्यभिचारी मनीष मंडल ने खून में डुबोकर न केवल कुचल ही दिया अपितु 24 आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों को नौकरी से निकालकर अपना नाम कमाया. इतना ही नहीं अविनाश कुमार समेत दो कर्मचारी नेता को पुलिस की मदद से जेल भी भेजवाया.

भविष्य में फिर कभी आऊटसोर्सिंग कर्मचारी विद्रोह न कर सके, इसके साथ ही उसने आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के साथ दास-मालिक प्रथा को पुर्नजीवित कर दिया. आईये चंद उदाहरण में देखते हैं IGIMS में मनीष मंडल ने दास मालिक प्रथा को कैसे लागू किया –

  1. सुरक्षाकर्मी के पद पर कार्यरत एक आऊटसोर्सिंग महिला कर्मचारी ने बताया कि मेरे बोतल का पानी खत्म हो गया था तब मैंने डॉक्टर्स चैंबर के पास के नल से पानी अपने बोतल में भरने लगी. तभी एक महिला डॉक्टर आ धमकी और उस नल से पानी लेने के कारण गालीगलौज करने लगी और नौकरी से निकाल देने की धमकी तक देने लगी.
  2. एक महिला कर्मचारी को घर से सूचना मिली कि उसका 12 वर्षीय एकलौता बेटा खून की उल्टियां कर रहा है. बेटे की खबर से बेचैन वह महिला कर्मचारी छुट्टी मांगने गई, लेकिन उसे छुट्टी नहीं देकर डांटकर भगा दिया और कहा कि ‘तुम्हारा बेटा मरे या बचे, मुझे उससे कोई मतलब नहीं, चुपचाप काम करो. नहीं तो नौकरी से निकाल देंगे.’ अपनी नौकरी की परवाह न करते हुए जब उक्त महिला कर्मचारी अपने बेटे को बचाने चली गई तब संस्थान ने उन्हें नौकरी से तो नहीं निकाला लेकिन उसको अनुपस्थित घोषित करते हुए हाजिरी काट दिया.
  3. संस्थान के अंदर दासत्व को प्राप्त आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों के विद्रोह को दबाने के लिए उसी पद पर स्थाई रुप से बहाल कर्मचारियों को मालिक की उपाधि दे दी गई है, जिसका एकमात्र काम आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों की निगरानी करना, उससे काम कराना और अगर काम करने में जरा भी आना कानी करे तो उसे बेइज्जत करना और उसकी रिपोर्ट ऊपर बड़े मालिक तक पहुंचाना है. विदित हो कि समान पद पर बहाल मालिक कर्मचारियों की सैलरी जहां 80 हजार रुपये प्रति माह है, वहीं आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों की सैलरी महज 13 हजार है, जिससे भी भिन्न-भिन्न कारण बता कर पैसे काटे जाते हैं.
  4. मालिक बने एक स्थाई कर्मचारी आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों को डपटते हुए कहता है – ‘मैं और मेरी पत्नी दोनों यहां काम करते हैं. वह भी बिना छुट्टी लिये. तो तुमलोग क्यों नहीं कर सकते.’ लेकिन इस मालिक को किसी भी दास ने यह नहीं बताया कि – ‘तुम दोनों पति पत्नी की सैलरी 4 लाख रुपया प्रतिमाह है. और काम के नाम पर तुम दोनों केवल दासों (आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों) को डपटने, सैलरी काटने, नौकरी से निकालने की धमकी देते फिरते हो. तो फिर तुम्हें छुट्टी की क्या जरूरत ? तुम तो सीधे स्वीटजरलैंड भी जाते हो तब भी छुट्टी में नहीं रहता, ऑन ड्यूटी रहते हो.’
  5. आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों में से ही कुछ लालची तत्वों को मिलाकर एक गैंग खड़ा कर दिया है, जो न केवल आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों को ही धमकाता है बल्कि मरीजों के परिजनों की पीठ पर भी आये दिन लाठियां चटकाते रहता है और उसे लहुलुहान करता रहता है, जिसकी खबरों को दबाने के लिए पत्रकारों तक को धमकाया जाता है या खरीद लेता है. पुलिस तो पहले से ही बिकी हुई है.

IGIMS में काला भविष्य है आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों का

नये दास-मालिक व्यवस्था में जी रहे इन नये दासों का IGIMS में क्या भविष्य है, इसको भी समझना जरूरी है. पिछले दस वर्षों से इन दासों को यह कहकर बहलाया-फुसलाया जाता है कि ‘तुम लोगों का सैलरी बढ़ाया जायेगा. बस दो महीने बाद … बस छह महीने बाद…बस अगले साल डबल सैलरी हो जायेगी…!’ अन्य कोई विकल्प न देखकर इस घोषणा को सुनकर दास दुगुने जोश से काम करने लगता है. 12-12 घंटे तक काम कराया जाने लगता है. लेकिन जब ये दास सैलरी बढ़ते नहीं देखता है तब फिर निराश हो जाता है.

ऐसी ही निराशा के दौर में इन दासों ने जब मजदूर नेता अविनाश के नेतृत्व में विद्रोह किया तब अविनाश कुमार समेत 24 दासों (आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों) की मारकुटाई के बाद नौकरी से निकाल दिया, जेल भेज दिया. इससे दासों में डर तो जरूर समाया, लेकिन कहते हैं कि भूख किसी डर को नहीं मानता. वह भूख के जिम्मेदार लोगों का कलेजा निकालकर खा जाता है.

अपनी दासत्व से अभिशप्त इन दासों के अनुमानित विद्रोह से निपटने के लिए IGIMS के मालिकों ने अब नया पैतरा निकाला है. इन मालिकों ने एक फर्जी खबर दिखाते हुए अफवाह फैलाया कि IGIMS में एक हजार स्थाई कर्मचारियों की भर्ती की जायेगी और आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों को निकाल बाहर किया जायेगा. इससे हड़बड़ाये आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों को इन मालिकों ने इस विज्ञापन का बिल्कुल ही अलग अर्थ बताया –

‘अब इस संस्थान में कोई भी दास नहीं रहेगा. सभी दासों को मालिक बना दिया जायेगा. बस होली के बाद (इस वर्ष के त्यौहार) सभी आऊटसोर्सिंग कर्मचारी दासत्व से मुक्ति पा जायेंगे. यानी 1500 दासों में से 1000 दासों को मालिक बनाया जायेगा और बांकी 500 दासों को नौकरी से निकाल दिया जायेगा. अगर अपना नाम इस 500 वालों में नहीं देखना चाहते हो और मालिक बनना चाहते हो तो बिना चूं-चांपड़ के काम करो.’

बस फिर क्या था, निराश और भयभीत दासों में नया जोश दौड़ गया. चौगुना जोश से दास काम करने लगा. लेकिन होली क्या, अब तो दुर्गा पूजा भी बीतने को आया. IGIMS के दासों के ‘अच्छे दिन’ नहीं आये. उल्टे अब दमन के नये-नये तौर-तरीके विकसित हो गया.

IGIMS के मजदूर नेता अविनाश कुमार का स्पष्ट कहना है –

‘IGIMS के जिस किसी भी अधिकारियों ने आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने का कोशिश किया, IGIMS के सत्ता पोषित गुंडा मनीष मंडल ने उन अधिकारियों को यहां से भाग जाने या जैसे चलता है वैसे चलने के लिए विवश कर दिया.’

क्या करें आऊटसोर्सिंग कर्मचारी ?

विदित हो कि मजदूर नेता अविनाश कुमार आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों की समस्याओं और बेहद कम वेतन को लेकर लगातार आंदोलन किये लेकिन सत्तापोषित धन लोलुप और व्यभिचारी गुंडा मनीष मंडल ने कर्मचारी नेताओं पर जानलेवा हमलाकर और फर्जी मुकदमों में पुलिसिया गुंडों का इस्तेमाल करते हुए जेल में बंद करवा दिया. अविनाश कुमार ने इस अन्याय और जुल्म के खिलाफ प्रधानमंत्री कार्यालय को एक पत्र लिखा, लेकिन फासीवादी सत्ता के कान पर जूं तक नहीं रेंगी.

IGIMS के सत्तापोषित ये मालिक अविनाश कुमार समेत 24 मजदूरों को नौकरी से निकालकर अगर यह उम्मीद पालता है कि अनंतकाल के लिए आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों को दास बनाकर रख सकेंगे तो यह उसकी भूल ही साबित होगी क्योंकि बिहार आंदोलन की धरती है, जहां नक्सलवादी आन्दोलन से लेकर माओवादी आंदोलन तक की बंदूकें सत्ता की चूलें हिला दी है.

इससे पहले की IGIMS के ये दास स्पार्टाकस की भांति विद्रोह कर दें, नक्सलवादियों-माओवादियों के लिए उर्वर जमीन तैयार कर लें, उनके साथ सहानुभूति पूर्वक उनकी समस्याओं को हल करने की दिशा में कदम उठाए और नौकरी से हटा दिये गये 24 मजदूर आंदोलनकारियों समेत सभी आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों को स्थाई नियुक्ति दें.

  • प्रकाश प्रत्युष

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