सुमित्रा महाजन कह रही है कि अशोक चक्र प्राप्त दिवंगत तत्कालीन ATS प्रमुख हेमंत करकरे की पुलिस अधिकारी के तौर पर भूमिका ठीक नहीं थी. प्रज्ञा ठाकुर की बात तो समझ आती है पर आपकी अक्ल पर कैसे ताले पड़ गए हैं ?
एक अपराधी के अपराध को जस्टिफाई करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पद पर बैठी महिला कहती है कि अधिकारी ही खराब था और तथाकथित हत्यारिन सही थी ! यह भी तब जब कोर्ट ने प्रज्ञा ठाकुर को आरोपो से मुक्त नही किया है सिर्फ जमानत पर बाहर किया है.
चलिए मान लिया कि हेमंत करकरे गलत थे तो इस हिसाब से तो आज भी महाराष्ट्र की “BJP- शिवसेना की सरकार” गलत कर रही है क्योंकि उसने ही 2017 में केंद्र सरकार को हिंदूवादी सनातन संस्था पर प्रतिबंध संबंधी एक प्रस्ताव भेजा था.
पिछले साल मुंबई के नालासोपारा में महाराष्ट्र ATS ने, सनातन संस्था के कार्यकर्ता वैभव राउत के घर और दुकान पर छापेमारी की, इस दौरान करीब 8 बम बरामद किए गए. साथ ही डेटोनेटर और बम बनाने की सामग्री भी मिली.
महाराष्ट्र ATS ने ही यह केस ओपन किया तो सुमित्रा महाजन को उस वक्त भी बोलना चाहिए कि महाराष्ट्र ATS गलत कर रही है.
इस सनातन संस्था की पुरानी हिस्ट्री है
2008 में पनवेल में सनातन संस्था के सदस्य उस थिएटर के बाहर बम रखने के आरोप में गिरफ्तार किए गए, जहां जोधा अकबर की स्क्रीनिंग हो रही थी. हेमंत करकरे भी ऐसे ही मामलों की जांच कर रहे थे.
2009 में ठाने में भी एक थिएटर के बाहर बम रखने की साजिश संस्था ने बनाई. इस मामले में सनातन संस्था के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया गया. उन्हें दस साल की सजा मिली.
गोवा पुलिस ने अक्टूबर, 2009 में सनातन संस्था के छह सदस्यों को मडगांव, गोवा में बम धमाकों के संबंध में गिरफ्तार किया था. पुलिस का कहना था कि सनातन संस्था के दो समर्थक मलगोंडा पाटिल और योगेश नाइक अपने स्कूटर में बम ले जा रहे थे, जिनके जरिए मडगाव के करीब नरकासूर में धमाके करना चाहते थे. लेकिन बम पहले ही फट जाने से दोनों की मौत हो गई.
डॉ. नरेंद्र दाभोलकर, कन्नड़ लेखक एमएम कलबुर्गी, गोविंद पंसारे ओर पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के लिए भी सनातन संस्था को जिम्मेदार ठहराया गया.
हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित खबर में पुलिस सूत्रों के अनुसार कहा गया है कि इस संस्था ने कम से कम 50 शार्पशूटर्स को ट्रेनिंग दी है और 36 खास सदस्यों को हत्या का जिम्मा दिया हुआ है.
इसके संस्थापक जयंत बालाजी अठावले खुद पेशे से हिप्नोथिरेपिस्ट यानी सम्मोहन कला के विशेषज्ञ हैं. ‘परातपरा गुरु डॉक्टर अठावले यांचे विचारधन’: द्वितीय खंड’ नाम की किताब में लिखा है :
“1998 में डॉक्टर अठावले ने पहली बार 2023 तक भारत में रामराज्य या हिंदूराष्ट्र की स्थापना का विचार रखा था. सावरकर, संस्थापक सरसंघचालक डॉक्टर हेडगेवार, गोलवलकर गुरुजी जैसी महान हस्तियों ने भी ज़ोर-शोर से हिंदू राष्ट्र की स्थापना की बात उठाई थी. लेकिन अफ़सोस है कि आज़ादी के बाद हिंदू भारत, धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बन गया और हिंदू राष्ट्र की शानदार विचारधारा ओझल हो गई.”
सनातन संस्था के ऐसे ही एक लेख में लिखा है :
“जनप्रतिनिधि या राजनेता नहीं, बल्कि केवल संत ही हिंदू राष्ट्र की स्थापना करने में सक्षम हैं. हिंदू राष्ट्र में कोई चुनाव नहीं होगा.” इसी लेख में आगे अपने समर्थकों से कहा गया है, “शैतानी ताक़तों के ख़िलाफ़ क़दम उठाने होंगे.”
ऐसे आतंकवाद की घटनाओं में शामिल लोगों पर यदि तत्कालीन ATS प्रमुख हेमंत करकरे कार्यवाही कर रहे थे, तो हमारी लोकसभा अध्यक्ष कह रही है वो गलत कर रहे थे.
धन्य है भारत का लोकतंत्र जो आप जैसे लोगो को लोकसभा का अध्यक्ष बनाता है.
– गिरीश मालवीय
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