Home गेस्ट ब्लॉग आन्दोलन के बीच से निकलता जनगीत

आन्दोलन के बीच से निकलता जनगीत

12 second read
0
0
684

[ बिहार के बांका जिला में कटोरिया थाना अन्तर्गत एक जगह है – कासमौलड़ैया. अपने आप में प्राकृतिक सुन्दरता से परिपूर्ण लेकिन असुविधाओं का अंबार. मेहनतकश कमेरा वर्ग में खैरा आदिवासी समाज की बहुलता. सरकार की एक लोकलुभावन नीति है – 2006 वनाधिकार कानून चास-बास नीति. इस नीति के तहत् गरीब, भूमिहीन आदिवासियों को सरकार तीन डिसमिल जमीन देकर उन्हें बसायेगी लेकिन सरकारी आवंटन में पेंच-दर-पेंच से तंग आकर क्षेत्र के भूमिहीन मजदूर, किसान आदिवासियों ने जंगली क्षेत्रों में अपनी मेहनत व आपसी सहयोग से मिट्टी के दो कमरे का घर बना लिया और अपना जीवन-यापन करने लगे. साथ ही इसकी सूचना स्थानीय ब्लॉक व जिला पदाधिकारी को देते हुए यह मांग किया कि ‘आप सब लोग उस जगह आएं, स्थल निरीक्षण करें और वहीं हमें निवास हेतु आवंटित जगह का कागजात दे दें. इस कार्य में भारत जन पहल नामक जन-संगठन ने एक सर्वे रिपोर्ट तैयार करके संबंधित अधिकारियों को प्रेषित किया पर प्रशासन ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया, उल्टे इस इलाके के कुछ असामाजिक तत्वों को तरजीह देकर इनके घरों पर हमले कराये गये.

इन हमलों के बाद भी जब इन गरीब भूमिहीन आदिवासियों का हौसला पस्त नहीं हुआ और वे अपनी जगह व अपनी मांग पर अड़े रहे तो इसी महने के प्रथम सप्ताह में इन लोगों पर अग्नेयास्त्रों से हमला किया गया, जिसमें पांच लोग घायल हो गये. जब पीड़ित पक्ष ने ऐसे असामाजिक तत्वों पर मुकदमा दर्ज कराने की कोशिश की तो प्रशासन ने मुकदमा दर्ज करने में आनाकानी किया, पर इस कार्रवाई के विरोध ने जब जन-आन्दोलन का रूप लिया तो प्रशासन कार्रवाई करने पर मजबूर हुआ. परन्तु नामजद मुख्य अभियुक्त को गिरफ्तार कर थाने से ही जमानत भी दे दिया. फलस्वरूप जनाक्रोश बढ़ा और इसने आमने-सामने की लड़ाई का शक्ल अख्तियार कर लिया है.

एक तरफ सामंत, दलाल-पूंजीपति, अपराधी गठजोड़ है, जिसे राजनैतिक और प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है, जो इन्हें जल-जंगल-जमीन से बेदखल करने पर आमादा है, तो वहीं दूसरी तरफ सर्वहारा वर्ग है, जिसे अपनी कर्मठता, ईमानदारी, आपसी सहयोग पर भरोसा है, जिसका नारा है – जान देंगे, जमीन नहीं देंगे.

ऐसी संकटपूर्ण स्थिति में भारत जन पहल मंच के एक कार्यकर्त्ता ने एक आह्वान गीत तैयार किया है, रचनाकार श्री भगवान कोई कवि नहीं हैं. वे मूल रूप से सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्त्ता हैं. अपने जल-जंगल-जमीन, इज्जत-आबरू, नदी-पहाड़ विरासत आदि की हिफाजत हेतु लड़ रहे संघर्षरत आम आदमी के हौसला आफजाई के लिए लिखा गया उनका यह आह्वान गीत आन्दोलनरत् लोगों को बल प्रदान करता है. ]

आन्दोलन के बीच से निकलता जनगीत

चल साथी, मत बोल आज नहीं कल

कासमो लड़ैया (बांका) में छिड़ी लड़ाई है
चल साथी, मत बोल आज नहीं कल ।
दुश्मनों ने हमें ललकारा है,
प्रशासन ने दिया उसे सहारा है
सामंतों, दलालों, अपराधी गठजोड़ ने
खूनी होली खेलने की योजना बनाई है
तुम्हारे सपने तुम्हें नींद से जगा रहे
उठ, तोड़ चिर-निन्द्रा, चल
मत बोल आज नहीं कल ।।

सपनों को साकार करने की शुभ घड़ी आईद है
चलना ही जिन्दगी है, रूकना तेरी रूसवाई है
चल साथी, मत बोल, आज नहीं कल ।।

मौत से तुम्हें कौन डरा सकता है
तुम तो रोज मरते हो
जीने का सपना संजोये
रोज लड़ते हो
तुम, राख के नीचे दबी आग हो
तुम्हीं, सर्वहारा का ख्वाब हो
इतिहासकारों का इतिहास तुम्हीं हो
साहित्यकारों का प्रकाश तुम्हीं हो
शिल्पियों की सोच तुम्हीं हो
कथाकारों की कथा तुम्हीं हो
खबरनवीसों की खबर तुम्हीं हो
रहबरों का रहबर तुम्हीं हो

तेरे कारनामे देख कवियों ने कविआई है
चल साथी, मत बोल, आज नहीं कल ।।

मजदूरों की आस तुम्हीं हो
सर्वहारा का ख्वाब तुम्हीं हो
खैरा आदिवासी की प्यास तुम्हीं हो
भारत जन पहल के बैनर तले
साझा मंच बनाना है
नया जनतंत्र लाना है
जबसे तुमने ये आवाज लगाई है
समय ने करवट बदला है
धरती ने ली अंगराई है
पशु-पक्षी संग जंगल ने
बांटे फैलाई है
नजर उठा के देख जरा
आजादी दस्तक देने आयी है
चल साथी, मत बोल, आज नहीं कल ।।

राखी लिये बहन खड़ी है
आरती लिये लुगाई है
आस लिये मां खड़ी है
रण क्षेत्र में
कर रहा भाई तुम्हारा अगुआई है, उठ
चल साथी, मत बोल, आज नहीं कल ।।

Read Also –

भारत की सम्प्रभुता आखिर कहां है ?
मोदी सरकार की नई एमएसपी किसानों के साथ खुला धोखा

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]

[ प्रतिभा एक डायरी ब्लॉग वेबसाईट है, जो अन्तराष्ट्रीय और स्थानीय दोनों ही स्तरों पर घट रही विभिन्न राजनैतिक घटनाओं पर अपना स्टैंड लेती है. प्रतिभा एक डायरी यह मानती है कि किसी भी घटित राजनैतिक घटनाओं का स्वरूप अन्तराष्ट्रीय होता है, और उसे समझने के लिए अन्तराष्ट्रीय स्तर पर देखना जरूरी है. प्रतिभा एक डायरी किसी भी रूप में निष्पक्ष साईट नहीं है. हम हमेशा ही देश की बहुतायत दुःखी, उत्पीड़ित, दलित, आदिवासियों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों के पक्ष में आवाज बुलंद करते हैं और उनकी पक्षधारिता की खुली घोषणा करते हैं. ]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

गंभीर विमर्श : विभागीय निर्णयों की आलोचना के कारण पाठक ने कुलपति का वेतन रोक दिया

बिहार के एक विश्वविद्यालय के कुलपति का वेतन शिक्षा विभाग ने इसलिए रोक दिया कि वे विभाग और …