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तुम बलात्कारी हो, बलात्कारियों के पक्षधर हो, औरतों के खिलाफ हो

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तुम बलात्कारी हो, बलात्कारियों के पक्षधर हो, औरतों के खिलाफ हो

चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी शोध संस्था ‘एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक अलायंस’ (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक, आपराधिक मामलों में फंसे सांसदों की संख्या दस साल में 44 प्रतिशत बढ़ गई है जिसमें बीजेपी के 303 में से 301 सांसदों के हलफनामे के विश्लेषण में पाया गया कि साध्वी प्रज्ञा सिंह सहित 116 सांसदों (39 फीसदी) के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं. वहीं, कांग्रेस के 52 में से 29 सांसद (57 फीसदी) आपराधिक मामलों में घिरे हैं. एडीआर की रिपोर्ट कहती है कि 17वीं लोकसभा के लिए चुनकर आए 542 सांसदों में से 233 (43 फीसद) सांसदों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं. इनमें से 159 (29 फीसद) के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं.

नवनिर्वाचित 542 सांसदों में 539 सांसदों के हलफनामों के विश्लेषण के आधार पर बताया कि इनमें से 159 सांसदों (29 फीसदी) के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, बलात्कार और अपहरण जैसे गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं. पिछली लोकसभा में गंभीर आपराधिक मामलों के मुकदमों में घिरे सदस्यों की संख्या 112 (21 फीसदी) थी, वहीं 2009 के चुनाव में निर्वाचित ऐसे सांसदों की संख्या 76 (14 फीसदी) थी. स्पष्ट है कि पिछले तीन चुनाव में गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे सांसदों की संख्या में 109 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है.

संसद देश की सर्वोच्च संस्था है, समूचा देश संसद और उसके सदस्यों का कामों का अनुकरण करता है. इसके साथ ही समूचा देश महिलाओं के साथ बलात्कार के मामले में मौत की सजा की मांग करता है. संभवतया आम जनता की इसी आकांक्षा को आधार बना कर तेलंगाना पुलिस ने प्रियंका रेड्डी के बलात्कार और हत्या के मामले में गिरफ्तार आरोपियों को फर्जी मुठभेड़ में ऑन द स्पॉट गोलियों से भून डाला, जिसका देश की जनता स्वागत करती है. अब सवाल है देश की सर्वोच्च संस्था संसद में बैठे हत्या-बलात्कार के अपराधी 159 सांसद (29 फीसदी) को कब इसी तरह इनकाउंटर में मार गिराया जायेगा ?

देश के शासक और अंबानी अदानी के इशारे पर पुलिसिया तंत्र आये दिन आदिवासी समुदाय की महिलाओं को उसके घरों से उठाया जाता है, उसके योनियों में पत्थर भरे जाते हैं, थानों में उसके साथ पुलिसकर्मी सामूहिक बलात्कार करता है, उसके स्तनों में बिजली की तारें लगाकर बिजली का करेंट दौड़ाया जाता है. उसके स्तनों को दबा कर दूध निकाला जाता है, दूध न निकलने पर उसे माओवादी बता कर उसका बलात्कार और हत्या किया जाता है. सोनी सोरी से लेकर अब तक हजारों आदिवासी महिलाओं के साथ बलात्कार और हत्या करने वाली पुलिस को कब इसी तरह इनकाउंटर में गोलियों से भूना जायेगा ?

दलित और गरीब समाज की महिलाओं के साथ बलात्कार और हत्या करने वाले सवर्ण समाज के दरिंदे आये दिन न केवल इसे अंजाम देता रहता है, बल्कि वह ऐसा करना अपना जन्म सिद्ध अधिकार मानता है. इसी कड़ी में उन्नाव में एक महिला के साथ बलात्कार के बाद जिन्दा आग में जलाकर मार देने वाला सवर्ण दरिंदोंं हरिशंकर त्रिवेदी, रामकिशोर त्रिवेदी, शुभम त्रिवेदी, शिवम त्रिवेदी व उमेश बाजपेयी को तुम कब इनकाउंटर में गोलियों से उड़ा रहे हो ?

अनाथ बच्चियों के साथ रोज बलात्कार करने वाले और विरोध करने पर टुकड़े टुकड़े कर हत्या कर देने वाले कुख्यात ब्रजेश ठाकुर को तुम कब इनकाउंटर में गोलियों से भून रहे हो ? तुम बताओ भाजपा नेता कुलदीप सेंगर को तुम कब गोलियों से भून रहे हो ? भाजपा सांसद चिनमयनंद का तुम कब इनकाउंटर कर रहे हो ? यहां तक की तुम सब के मुखिया नरेन्द्र दामोदर दास मोदी, जो देश का प्रधानमंत्री बना बैठा है, एक महिला की जासूसी कराने के आरोप के बाद तुम कब उसे गोलियों से भून रहे हो ?

तुम बताओ क्यों नहीं तुम इस सब बलात्कारियों का इनकाउंटर करते हो ? तुम क्यों इस पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली पीड़िता को ही उल्टे धमकाते हो ? उसे ही फर्जी मुकदमों में फंसाकर जेल में डाल देते हो ? क्यों तुम उसके पिता और भाईयों की हत्या करवा देते हो ? तुम्हारा यह दोहरा चरित्र क्यों हैं ? क्योंकि तुम मानते हो कि इस देश में गरीब, दलित, आदिवासियों, मुसलमानों को नहीं रहना चाहिए. तुम मानते हो कि ये तमाम गरीब, दलित, आदिवासी, मुसलमान अपराधी होते हैं. और इसीलिए तुम्हें इनकी हत्या करने का खुला छूट मिल जाता है. तुम जिस कदर इस चार बलात्कार आरोपियों को खुलेआम फर्जी मुठभेड़ के नाम पर गोलियों से भूना है, उससे साफ जाहिर होता है कि तुममेंं सच्चाई का सामना करने का हिम्मत नहीं है इसलिए तुम फर्जी इनकाउंटर को सच साबित करने के लिए झूठी कहानी गढ़ते हो. तुम उसकी अपराधिकता के आड़ में अपने अपराध को छुपाने का दुश्चक्र रचते हो और तुम बड़ी सफलता से इस सच को छुपा जाते हो कि प्रियंका रेड्डी की बहन की शिकायत पर अगर तुमने फौरी कार्रवाई की होती तो आज प्रियंका रेड्डी जिंदा होती है.

तुम समाज के वह सड़ांध हो जिसका काम लोगों को लूटना, उसकी खून-पसीने की कमाई को छीनना भर है. इससे अधिक तुम्हारा उसके लिए और कोई वजूद नहीं है. तुम केवल भाड़े के टट्टू हो, जिसका काम मालिकों का लात खाना और गरीब, दलित, आदिवासियों, मुसलमानों पर जुल्म ढ़ाना है. तुम समाज का सबसे सड़ांध और अपराधी तबका हो, जिसका नष्ट हो जाना ही समाज की सफलता की ओर बढ़ते कदम के लिए जरुरी है.

तुम्हारे नकारापन का इससे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है जब बुलंदशहर में एन एच -91 पर 29 जुलाई, 2016 को नोएडा की कार सवार मां-बेटी से गैंगरेप हुआ. देशभर में इसकी गूंज हुई तो आरोपियों को पकड़ने का दवाब बना. आनन-फानन में 9 अगस्त को बुलंदशहर पुलिस ने सलीम, परवेज और जुबैर को आरोपी मानते हुए जेल भेज दिया. उत्तर प्रदेेेश सरकार ने इस केस की जांच सीबीआई को दी. सीबीआई ने भी इन्हीं तीनों को दोषी मानते हुए चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी. इस बीच 13 सितंबर, 2017 को हरियाणा की क्राइम ब्रांच ने एक्सल गैंग के 7 गुर्गे गिरफ्तार किए. उन्होंने बुलंदशहर हाइवे गैंगरेप की घटना कुबूली. आरोपियों और पीड़िता के स्पर्म की जांच कराई, जो मैच हो गया. यह तय हो गया कि तुमने गैंगरेप में निर्दोषों को जेल भेजा था. असली आरोपी वे हैं, जो हरियाणा में पकड़े गए हैं. मतलब किरकिरी से बचने को उस वक्त निर्दोष जेल भेजे गए थे.

तुम्हारे बलात्कारी मानसिकता का इससे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है कि तुम छेड़छाड़ के खिलाफ आन्दोलन कर रही लड़कियों को आधी रात में उसके हॉस्टल में घुसकर पीटते हो. उसकी छाती पर अपने गंदे हाथ रखते हो. उसको अपने बूटों और लाठियों से पीटते हों, संसद के सामने बैठी उस लड़की को घसीट कर थाने लाते हो, उसको पीटते हो, नाखून से भभोड़ते हो, और इस शर्त पर बकायदा बॉण्ड भरवाने के बाद छोड़ते हो कि वह आइंदा कभी भी बलात्कार के खिलाफ प्रतिरोध नहीं करेगी. तुम खुद बलात्कारी हो, बलात्कारियों के पक्षधर हो, औरतों के खिलाफ हो. अपने पाप मत ढको. देश की जनता तुम्हारे और तुम्हारे मालिकों के एक-एक पाप का हर हिसाब लेगी. तुम तैयार रहो अपनी सजा भुगतने के लिए जनता की अदालत में.

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