Home ब्लॉग भाजपा के लिए जेल में बंद केजरीवाल, जेल के बाहर रहे केजरीवाल से ज्यादा खतरनाक है

भाजपा के लिए जेल में बंद केजरीवाल, जेल के बाहर रहे केजरीवाल से ज्यादा खतरनाक है

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भगत सिंह ने कहा था कि ‘ब्रिटिश साम्राज्यवाद के लिए मरा हुआ भगत सिंह, जिन्दा भगत सिंह से ज्यादा खतरनाक साबित होगा.’ यह भगत सिंह की शहादत के बाद न केवल अक्षरशः सच साबित हुआ है बल्कि आज तक भगत सिंह भारत के तमाम क्रांतिकारियों के लिए एक मिसाल बना हुआ है. ठीक उसी तरह जेल में बंद दिल्ली का मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल, जेल के बाहर रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भाजपा की फासीवादी सत्ता के लिए बेहद खतरनाक साबित होगा.

जेल में बंद अरविन्द केजरीवाल भाजपा की फासीवादी मोदी सरकार के लिए कितना खतरनाक साबित हुआ, यह इसी से पता चल जाता है कि ईडी की पूरी नींव हिल गई. राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जिस तरह मोदी सरकार की भद्द पिटी है, वह कल्पनातीत है. इसी का परिणाम है कि आम आदमी पार्टी के सबसे बेबाक नेता और राज्य सभा सदस्य संजय सिंह को आननफानन में जेल से रिहा करना पड़ा है.

इतना ही नहीं ईडी की गिरफ्त में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के आने के बाद से न केवल ईडी की विश्वसनीयता खत्म हो गई बल्कि अरविन्द केजरीवाल मोदी सत्ता के गले की हड्डी बन गई है. कल सुप्रीम कोर्ट में जिस तरह सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के कार्यशैली पर सवाल उठाया, वह न केवल ईडी की विश्वसनीयता खंडित करती है अपितु काफी हद तक उसका अधिकार भी छीन सकती थी, लेकिन ईडी ने संजय सिंह की रिहाई के सवाल पर चुप्पी साधकर अपने ‘अधिकार’ को तो बचा लिया लेकिन उसकी शाख खत्म हो गई.

ईडी द्वारा मोदी सरकार के फासीवादी राजनीति को अमलीजामा पहनाने से पहले सीबीआई ‘रेड’ मारती नजर आती थी. लेकिन देश के 11 राज्यों में सीबीआई के अधिकारियों को न केवल अपने राज्य में घुसने से ही रोक लगा दिया था, अपितु कई राज्यों में तो सीबीआई के अधिकारियों को जमकर पीटा भी गया और पश्चिम बंगाल में तो बकायदा सीबीआई के अधिकारियों को पीटने के बाद थानों में भी बंद कर दिया गया था.

लगातार पिटाई खाने से सीबीआई अधिकारियों में हड़कम्प मच गया. तब जाकर मोदी सरकार ने ईडी जैसी संस्था को अतिरिक्त ‘शक्ति’ देकर पूरे देश में विपक्षी दलों की सरकारों को गिराने और भाजपा के सरकार बनाने के उपक्रम में जुट गई. लेकिन एक बार फिर ईडी के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार, भाजपा के लिए धन उगाही करने वाली और भाजपा के लिए धनों को प्रवाहित करने वाली स्त्रोत बन कर उभरी. इससे त्रस्त होकर एक बार पश्चिम बंगाल की हजारों लोगों की भीड़ ने ईडी के अधिकारियों को जमकर पीटा. कहा जाता है कि पश्चिम बंगाल में इडी के 6 अधिकारियों को मारकर हाथ-पैर तोड़ दिया और सर फोड़ दिया. कहा जाता है कि उसके बाद से इडी के अधिकारियों को पश्चिम बंगाल का नाम सुनते ही पैंट गिली हो जाती है.

इसके बाद इडी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को झूठे बहाने से बुलाकर गिरफ्तार कर लिया. झूठे बहाने से बुलाकर गिरफ्तार करने की इस तरकीब से अरविन्द केजरीवाल भले ही गिरफ्तार हो गये लेकिन ईडी की पहचान एक गुंडे के तौर पर स्थापित हो गई. इससे इडी पर भरोसा करने का अब कोई सवाल ही पैदा नहीं होता. इडी, भाजपा, संघ के खिलाफ देश की जनता का असली प्रतिरोध, जिसे दिल्ली देख रही है और इडी, भाजपा, संघ के सरगना नरेन्द्र मोदी के आवास को आम जनता द्वारा घेरा जा रहा है.

भारत की राजनीति में भगत सिंह के बाद अरविन्द केजरीवाल के ही पास भारत की बहुराष्ट्रीय चरित्र की समग्र समझ है. लेकिन भगत सिंह की अल्पआयु ने उन्हें इसको प्रयोग करने का वक्त नहीं दिया. लेकिन उनकी शहादत के बाद भारत की राजनीति में केवल अरविन्द केजरीवाल ही एक ऐसे राजनेता हुए हैं जिनके पास भारत को समझने की न केवल समग्र दृष्टिकोण है अपितु इसे किसी न किसी रूप में लागू करने का एक बेहतरीन वक्त भी मिला है.

आज जब अरविन्द केजरीवाल इडी की कारतूस के कारण जेल में हैं, उन्होंने अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से भी साफ इंकार कर दिया है और इडी की गिरफ्त से ही सरकार के लिए लगातार आदेश जारी कर रहे हैं, तब इससे बौखलाये भाजपा और उसकी गुंडा वाहिनी ईडी नये-नये तरीके आजमा रही है ताकि अरविन्द केजरीवाल को खत्म किया जा सके. लेकिन अरविन्द केजरीवाल ने अपनी जिस रणनीति को पिछले 10 सालों में देश की जनता के सामने जाहिर कर दिया है, उसने मोदी और उसकी गुंडा वाहिनी ईडी, सीबीआई, इन्कमटैक्स गिरोह को देश के सामने एक्सपोज कर दिया है.

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