Home गेस्ट ब्लॉग गोडसे को हीरो बताने के बात को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए

गोडसे को हीरो बताने के बात को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए

28 second read
0
0
485

आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, परन्तु आरएसएस-भाजपा बार-बार यह साबित करने की कोशिश करता रहता है कि हिन्दु आतंकवादी नहीं हो सकता. आतंकवादी तो केवल मुस्लिम धर्म के लोग होते हैं. यही कारण है कि आरएसएस-भाजपा बार-बार हिन्दु आतंकवाद का न केवल बचाव करता है, बल्कि उसका महिमा-मंडन भी करता है. इसी कड़ी में आतंकवाद का सबसे ज्वलन्त प्रतिनिधि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को भाजपा ने लोकसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया तो वहीं साध्वी प्रज्ञा ने  आतंकवादी नाथूराम गोडसे को सच्चा देशभक्त साबित करने की पुरजोर कोशिश की है.

आरएसएस-भाजपा द्वारा नाथूराम गोडसे को देशभक्त साबित करने के तमाम प्रयास महात्मा गांधी को देशद्रोही साबित करने पर जा टिकती है. इसी के साथ अंग्रेजों के खिलाफ लड़ रहे तमाम स्वतंत्रतासेनानी जिनका प्रतिनिधित्व महात्मा गांधी कर रहे थे, एक ही झटके में देशद्रोही बना दिये गये और हर वह शख्स जो अंग्रेजों की जासूसी करते थे, अंग्रेजों के तलबे चाटते थे, स्वतंत्रतासेनानियों के खून से अपने हाथ रंगे थे, एक ही झटके में देशभक्त बना दिये गये. यही कारण है कि आज जो कोई आरएसएस-भाजपा के खिलाफ है, वह देशद्रोही माना जा रहा है.

देशभक्त और देशद्रोह की बदलती यह परिभाषा देश को एक खतरनाक सुरंग में पहुंचा रही है, जहां हर देशभक्त, जिसके खून पसीने से यह देश खडी है, चाहे वह कल-कारखानों में काम करने वाले मजदूर हों, खेतों में काम कर रहे किसान हो, सीमाओं पर तैनात सेनाओं का जवान हो, विश्वविद्यालयों में शिक्षा हासिल कर रहे छात्र-छात्रा हो, अपनी जीविका के जद्दोजहद से दो-चार हो रहे युवाओं की पूरी फौज हो, ये सभी एक के बाद एक देशद्रोही करार दिये जा रहे हैं. वह वक्त अब दूर नहीं जब देश को लूटकर देश से भागने वाला माल्या, जौहरी, छोटा मोदी (नीरव मोदी) समेत तमाम कॉरपोरेट घराने देशभक्त ठहराये दिये जायें. आतंकवाद के मामले में जेल में रही प्रज्ञा ठाकुर को आरएसएस-भाजपा सहित नरेन्द्र मोदी द्वारा समर्थन की घटना और आतंकवादी नाथूराम गोडसे, जिसने गांधी को मार दिया, कोई सामान्य घटना नहीं है, और न ही इस घटना को हल्के में लिया जाना चाहिए. प्रसिद्ध पत्रकार रविश कुमार की रिपोर्ट को यहां देखा जाना चाहिए.

गोडसे को हीरो बताने के बात को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए

इस बात को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए. सोचा जाना चाहिए और पूछा जाना चाहिए कि वो कौन सी शक्तियां हैं, वो कौन से लोग हैं और वो लोग किस राजनीतिक खेमे के साथ नज़र आते हैं, जो बार-बार गांधी के हत्यारे को अवतार बताने चले आते हैं. पहली बार नहीं हुआ है, जब गोडसे को देशभक्त बताया गया है. भोपाल से बीजेपी की उम्मीदवार प्रज्ञा ठाकुर ने कहा है कि ‘नाथूराम गोडसे देशभक्त है. आतंकवादी नहीं है.’

2014 में बीजेपी के सांसद साक्षी महाराज ने महाराष्ट्र के एक कार्यक्रम में कहा था कि गोडसे राष्ट्रवादी था. गोडसे के जन्मदिवस को महाराष्ट्र में शौर्य दिवस के रूप में मनाया जा रहा था. तब बीजेपी ने साक्षी महाराज के बयान से किनारा कर लिया था. साक्षी महाराज इस चुनाव में फिर से यूपी के उन्नाव से चुनावी मैदान में हैं. इसके बाद भी बीजेपी के भीतर से गोडसे के समर्थक निकल आते हैं.




प्रज्ञा ठाकुर कोई साधारण उम्मीदवार नहीं हैं. मालेगांव बम धमाके में आरोपी होने के बाद भी बीजेपी से लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने प्रज्ञा ठाकुर की उम्मीदवारी का बचाव किया था. जब प्रज्ञा की उम्मीदवारी पर सवाल उठे तब प्रधानमंत्री मोदी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि प्रज्ञा को उतारने का फैसला उन लोगों को करारा जवाब है जिन्होंने धर्म और संस्कृति को आतंकवाद से जोड़ा है. कांग्रेस ने बिना सबूत के दुनिया में पांच हज़ार साल तक, जिस महान संस्कृति और परंपरा ने वसुधैव कुटुंबकम का संदेश दिया, सर्वे भवन्तु सुखिन का संदेश दिया, ऐसी संस्कृति को आतंकवादी कह दिया, उन सबको जवाब देने के लिए ये एक प्रतीक हैं जो कांग्रेस को महंगा पड़ने वाला है. यानी प्रधानमंत्री मोदी के लिए प्रज्ञा ठाकुर सामान्य उम्मीदवार नहीं थीं. इस प्रज्ञा ठाकुर ने यहां तक कह दिया कि मुंबई हमलों में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद होने वाले हेमंत करकरे की मौत उनके शाप के कारण हुई थी. तब हंगामा हुआ कि क्या आतंकवादी हमला प्रज्ञा ठाकुर के शाप के कारण हुआ था, प्रज्ञा ठाकुर ने कसाब को शाप नहीं दिया,




हेमंत करकरे को क्यों शाप दिया. सवाल उठा तो प्रज्ञा ठाकुर को बयान वापस लेना पड़ा था. महाराष्ट्र के नेताओं ने इस बयान की आलोचना की थी. मुख्यमंत्री देवेंद फड़णवीस ने प्रज्ञा ठाकुर के बयान की आलोचना की थी. हेमंत करकरे को जाबांज़ पुलिस अफसर बताया था. मगर देवेंद्र फड़णवीस के बयान से अलग सुमित्रा महाजन का बयान था. उन्होंने कहा कि हेमंत करकरे शहीद हैं मगर एटीएस चीफ के तौर पर उनकी भूमिका संदिग्ध हैं. ज़ाहिर है हेमंत करकरे को लेकर महाराष्ट्र में कुछ सोचा जा रहा है, मध्य प्रदेश में कुछ सोचा जा रहा है. इस बयान के बाद भी प्रज्ञा ठाकुर गोडसे को देशभक्त बता रही हैं. अचानक निकला हुआ बयान तो नहीं हो सकता है. जो सोच विचारधारा में हैं, वही सोच बयानों में उतर ही आती है. कमल हसन के बयान की आलोचना के नाम पर गोडसे को देशभक्त बताना सामान्य घटना नहीं है.

गांधी की हत्या के 71 साल बाद भी गोडसे की मूर्ति बन रही है, जयंती मन रही है, देशभक्त बताया जा रहा है. गांधी के हत्यारे को देशभक्त बताने की जल्दी क्या है. कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रज्ञा ठाकुर के इस बयान की कड़ी आलोचना की है और अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी से जवाब मांगा है.




पिछले साल अभिनव भारत के पंकज फड़नीस सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाते हैं कि गोडसे की सज़ा पर फिर से सुनवाई हो. सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को सुनने से मना कर दिया था. लेकिन इसके बाद भी गोडसे के समर्थकों की कमी नहीं है. गोडसे जयंती मनाने वालों की भी कमी नहीं है. मेरठ में 2 अक्तूबर 2016 के दिन जिस दिन महात्मा गांधी का जन्मदिन होता है, उसी दिन गोडसे की मूर्ति का अनावरण किया गया था. अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के लोगों ने गांधी दिवस को धिक्कार दिवस के रूप में मनाया था. वो चाहते थे कि मेरठ का नाम बदलकर गोडसे के नाम पर रख दिया जाना चाहिए. 2017 में हिन्दू महासभा के लोग ग्वालियर में गोडसे के लिए मंदिर बनाना चाहते थे, प्रशासन ने अनुमति नहीं दी. हमारे बीच ऐसे तत्व हैं जो गांधी की हत्या को फिर से जीना चाहते हैं. हत्या की सनक को राष्ट्रभक्ति में बदल देना चाहते हैं.

अखिल भारतीय हिन्दू महासभा की राष्ट्रीय सचिव है पूजा शकुन पांडे. 30 जनवरी 2019 का यह वीडियो है. इसमें पूजा शकुन पांडे गांधी की तस्वीर पर गोली चला रही हैं और ख़ून निकल रहा है. कुछ तो है कि कुछ लोग गांधी की हत्या को जीना चाहते हैं. उसका सुख लेना चाहते हैं. यह गांधी का हत्या का मंचन नहीं है बल्कि समाज में हत्यारे पैदा करने का अभ्यास है जिन्हें लगे कि गांधी से लेकर किसी को भी मारना जायज़ है. हत्या के बाद मिठाई बांटी गई थी. इस वीडियो में पूजा शकुन पांडे अकेले नहीं हैं. उनके साथ कई लोग हैं. ये वो लोग हैं जो गांधी की हत्या को जायज़ ठहराने का अभिनय कर रहे हैं. जी रहे हैं. आपको लगेगा कि प्रज्ञा ठाकुर से लेकर पूजा शकुन पांडे का बयान और अभिनय सामान्य घटना है मगर ये इतने भी कम नहीं हैं. आए दिन गोडसे को महान बताने वाला कोई हमारे सामने आ जाता है. पूजा शकुन पांडे की गिरफ्तारी हुई थी. फिलहाल पूजा शकुन पांडे जेल से बाहर हैं.




ऐसे तत्व हैं जो गोडसे को ज़िंदा करते रहते हैं. गांधी की हत्या पर जश्न मनाने वाले ये कौन लोग हैं. ये हमेशा बीजेपी के पाले से ही क्यों निकल आते हैं. कमल हसन के बयान का सहारा लेकर प्रज्ञा ठाकुर गोडसे को देशभक्त बता रही हैं. कोई आतंकवादी कहा जा सकता है या नहीं इस पर बहस हो सकती है लेकिन उसके सहारे गोडसे को देशभक्त बताने का तुक क्या कह रहा है. कमल हसन के बयान पर बीजेपी चुनाव आयोग गई शिकायत लेकर, प्रज्ञा ठाकुर के बयान को लेकर भी क्या बीजेपी चुनाव आयोग जाएगी. हेमंत करकरे की शहादत को अपने श्राप का अंजाम बताने वाली प्रज्ञा ठाकुर का यह बयान अचानक तो नहीं निकला होगा. उनकी सोच बता रही है कि वे गोडसे के बारे में क्या सोचती हैं, हेमंत करकरे के बारे मे क्या सोच रही हैं.

क्या गांधी की हत्या को लेकर एक विचारधारा के खेमे में कोई कन्फ्यूजन है. गांधी की हत्या को जायज़ ठहराने की जल्दी है. प्रज्ञा ठाकुर और साक्षी महाराज के बयानों से सतर्क रहना चाहिए. गांधी की हत्या पूरी मानवता पर एक दाग़ है. राजनीतिक सत्ता के दम पर उनकी हत्या को जायज़ ठहराने का इंतज़ार करने वाले नहीं जानते कि यह गांधी की ताकत ही है जिनकी तस्वीर प्रधानमंत्री को अपने दफ्तर में रखनी पड़ती है. दिखाई देना पड़ता है गांधी के साथ.




Read Also –

साध्वी प्रज्ञा : देश की राजनीति में एक अपशगुन की शुरुआत
भारत में राष्ट्रद्रोही कौन है ?
‘जब बच्चे घर से बाहर निकलने में डरें’
कैसा राष्ट्रवाद ? जो अपने देश के युवाओं को आतंकवादी बनने को प्रेरित करे
आतंकवादी प्रज्ञा के पक्ष में सुमित्रा महाजन




प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]




Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

एक वोट लेने की भी हक़दार नहीं है, मज़दूर-विरोधी मोदी सरकार

‘चूंकि मज़दूरों कि मौत का कोई आंकड़ा सरकार के पास मौजूद नहीं है, इसलिए उन्हें मुआवजा द…