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RSS ने इस देश का क्या हाल कर दिया है

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RSS ने इस देश का क्या हाल कर दिया है

श्याम मीरा सिंह : इन सभी तस्वीरों को देख लीजिए. RSS ने इस देश का क्या हाल कर दिया है. RSS के हिन्दू तालिबान की पहली खेप आनी शुरू हो गई. इसका नाम गोपाल है, गोपाल रामभक्त. पिछले एक हफ्ते से ही ये जॉम्बी प्लान बनाए हुआ था. अपनी फेसबुक वॉल पर बाकायदा घोषणा भी की है कि जल्दी ही शाहीनबाग का खेल खत्म कर देगा और यदि ऐसा करते समय वह खुद मर भी गया तो उसे भगवा में लपेटकर ले जाया जाए, वह भी जय श्री राम के नारों के साथ.

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार ये जॉम्बी बंदूक चलाते समय नारे लगा रहा था- ‘टुकड़े टुकड़े गैंग, आजादी ले लो, जय श्री राम, भारत माता की जय, वंदेमातरम.’

सब जानते हैं हिंसा और कत्लेआम के नारों के साथ भारत माता और वंदेमातरम के नारों का घालमेल किस संगठन के द्वारा किया जा रहा है. ये आदमी अकेला नहीं है. ऐसे अनगिनत जॉम्बी आपके, हमारे, हम सब के आसपास घूम रहे हैं, जो किसी भी वक्त आप पर हमला कर सकते हैं. ये गांव-गांव, शहर-शहर की हालत है.

क्या आपने सोचा कि शाहीनबाग आंदोलन पिछले 40 दिनों से चल रहा है, लेकिन इसने गांधी की शहादत वाले दिन को ही क्यों चुना ? ये जॉम्बी पिछले चार दिन पहले ही घोषणा कर चुका था कि 31 जनवरी के दिन तक इसकी पोस्टों पर नजर बनाए रखी जाए. चूंकि ये जानता था RSS की लड़ाई इसी गांधी से ही है. आरएसएस के तालिबानी हिंदुत्व के बीच में गांधी की सनातन परंपरा ही आड़े आ रही है इसलिए आरएसएस ने जिन्ना से अधिक गांधी के चरित्र का मालाइन किया है.

आपने ध्यान दिया इस जॉम्बी ने तिरंगे में लिपटने के लिए नहीं कहा, बल्कि भगवा में लिपटने की बात कही है. यही आरएसएस का आईडिया है. आरएसएस तिरंगे को, राष्ट्रगान को अपना मानता ही नहीं है. गांधी को भी नहीं मानता है. लेकिन इनके नेता मंच से इसका ढोंग जरूर करेंगे, क्योंकि देश की अंतर्चेतना अभी भी उतनी खत्म नहीं हुई है. लेकिन समय आते ही, गांधी की जगह गोडसे राष्ट्रपिता बन जाएगा, राष्ट्रगान की जगह ‘आरएसएस की प्रार्थना’ जगह ले लेगी. तिरंगा की जगह ‘भगवा’.

आरएसएस ने इस देश को कहांं पहुंचा दिया है, आपको अनुमान भी नहीं. उसकी पिछले 100 सालों की मेहनत अब सामने आ रही है. ये लड़का, भगत सिंह को पूजता है जो खुद आरएसएस की विचारधारा के सबसे अधिक खिलाफ विचार रखते थे. भगत सिंह + जयश्री राम + भारत माता + बंदूक और हत्याओं का खतरनाक गठजोड़ आरएसएस की मेहनत का परिणाम है.

मीडिया, आरएसएस और सरकार, इन तीनों ने मिलकर इस देश को हिन्दू-तालिबान में तब्दील कर दिया है लेकिन पता नहीं आप किस खास घोषणा का इंतजार कर रहे हैं.

गिरीश मालवीय : गोड़से सफल सिद्ध हो रहा है हमने जॉम्बी पैदा कर लिए हैं, जो सड़को पर लाशें बिछा देना चाहते है. यह व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी का ही छात्र है, जो खुलेआम दिल्ली की सड़कों पर पिस्टल लहरा रहा है. गोलियां चला रहा हैं. हमलावर अपना नाम पुलिस से गोपाल बता रहा है. साथ ही खुद को रामभक्त भी बता रहा है. प्रत्यक्षदर्शी बता रहे हैं कि युवक गोली चलाने के दौरान और ले लो आजादी, भारत मां की जय, दिल्ली पुलिस जिंदाबाद और वंंदे मातरम का नारा लगा रहा था. अब यह तो तय है कि यह व्यक्ति आतंकवाद की मानक और स्वीकृत परिभाषा से बाहर है.

आज CAA और NRC के विरोध में दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से राजघाट तक की ओर जो मार्च निकाला जा रहा था उस मार्च के दौरान इस शख्स ने फायरिंग की है. घटनास्थल पर मौजूद लोगों का कहना है कि आदमी ने खुलेआम हथियार लगाया लेकिन सैकड़ों की संख्या में आर्म्ड पुलिस मौजूद थी लेकिन इस शख्स को गोली चलाने से रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया.

जूलियस सीजर के हत्यारों में से एक का नाम सिन्ना था. भीड़ जब सीजर के हत्यारों को तलाश रही थी तो उसे सिन्ना नाम का एक व्यक्ति मिला जो ‘हत्यारा सिन्ना’ नहीं बल्कि दूसरा व्यक्ति ‘कवि सिन्ना’ था. भीड़ जब उसे मारने लगी तो उसने कहा कि मैं तो वो नही हूं जिसे आप ढूंढ़ रहे हैं तो भीड़ ने कहा कि ‘उससे मतलब नहीं, सिर्फ नाम ही काफी है.’

जब हमारे प्रधानमंत्री सार्वजनिक सभा में हजारों लोगों की भीड़ के सामने कहते है कि ‘आप कपड़े देखकर भी दंगाइयों को पहचान सकते हैं’, जब संविधान की शपथ लेने वाले केंद्रीय मंत्री नारा देते हैं कि ‘गोली मारो सालो को’ तो दरअसल वो कह रहे होते है ‘नाम ही काफी है.’ ऐसे में किसी ‘रामभक्त गोपाल’ जरूर सामने आना ही है, इसमे आश्चर्य की क्या बात है ?

यह गोपाल ओर कोई नही है यह हेट स्पीच की पैदाइश है. लगातार सालों तक गोपाल जैसे लोगों के दिमाग में जहर इंजेक्ट किया गया है. आपको याद होगा कि पिछले चुनाव में हर बार मोदी अपने भाषणों में फर्स्ट टाइम वोटर्स का जिक्र करते थे. फर्स्ट टाइम वोटर 18 से 22 वर्ष का वोटर है, जो पहली बार वोट देने जा रहा है. यह वोटर सोशल मीडिया के आने के पहले अपने परिवार की परंपरा के आधार पर वोट डाला करता था लेकिन अब वह अपने मन मर्ज़ी से वोट डालता है. उसे व्हाट्सएप और फेसबुक जैसी सोशल साइट्स के माध्यम से लगातार समाज मे घृणा फैलाने वाला मटेरियल पुहंचाया गया है.

कभी आप लोकल बसों में ट्रेनों में सफर करते, सड़को किनारे खड़े युवाओं की मोबाइल स्क्रीन में झांक कर देखिए उन्हें क्या दिखाया जा रहा है ? हर तरह का मटेरियल चाहे वह आईटी सेल के मीम हो चाहे फेक न्यूज़ हो चाहे नफरत फैलाने वाले भाषण हो या कोई अन्य तरह के वीडियो हो या कोई भी टेक्स्ट मेसेज हो, उनमें बस एक ही बात रहती है दूसरे सम्प्रदाय प्रति घृणा का भाव. इस घृणा के भाव को देश का मीडिया निरंतर खाद पानी देता रहता है. न्यूज़ चैनलों की बहस में एंकर्स का आप रुख देखिए, वह किस तरह का हिडन एजेंडा पोषित करते है. इसके साथ जो बीजेपी का आईटी सेल जिस तरह से प्रोफेशनल सांटिफिक एप्रोच के साथ नए युवाओं को खास तरह का मटेरियल पुहंचाता है, वह एक तरह का डेडली कॉम्बिनेशन है.

हमारे गृहमंत्री और पूर्व बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह जी सार्वजनिक रूप से यह कई बार बता चुके हैं कि उनका सोशल मीडिया संगठन इतना मजबूत है कि वो जैसा चाहें, वैसा संदेश जनता तक पहुंचा सकते हैं. दरअसल बीजेपी की सोशल मीडिया समूह हर तरह के हेट मटेरियल को गढ़ता है, डिजाइन करता है, क्रियान्वित करता है और उसे अपने डाटा एनेलिटिक्स के हिसाब से सही जगह पहुंचाता हैं. इस रामभक्त गोपाल को आप सिर्फ शुरुआत ही समझे. अभी तो बहुत से बाल-गोपाल और तैयार हो गए हैं और सामने आने वाले हैं.

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ROHIT SHARMA

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