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CAA-NRC के विरोध के बीच जारी RSS निर्मित भारत का नया ‘संविधान’ का प्रारूप

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  1. CAA-NRC के विरोध के बीच जारी RSS निर्मित भारत का नया 'संविधान' का प्रारूप

यह नये संविधान का संक्षिप्त रूप है. विस्तृत संविधान तैयार हो रहा है. इस पर जनता अपने विचार और सुझाव 15 मार्च, 2020 से पहले प्रधानमंत्री कार्यालय, नई दिल्ली में भेज सकती है. उसकी एक कॉपी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) कायार्लय, नागपुर, महाराष्ट्र में भेजनी होगी. हर अच्छे सुझाव पर 10,000/- रुपये का ईनाम दिया जाएगा. 15 मार्च के बाद में मिलने वाले सुझाव स्वीकार नहीं किये जायेंगे. बन्दे मातरम !’ इस विवरण के साथ 16 पृष्ठ की एक पुस्तिका सोशल मीडिया के माध्यम से वायरल हो चुकी है.

आरएसएस से जुड़े सूत्र बताते हैंं कि जारी की गई पुस्तिका आरएसएस के द्वारा ही गोपनीय तरीके से केवल मेम्बर्स के लिए जारी किया गया था, परन्तु अब जब यह लीक हो गया है और बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया के माध्यम से आम हो गया है तब देश के आम नागरिकों की ओर से उठने वाले संभावित विरोध के भय से अब आरएसएस इससे साफ तौर पर इंकार कर रहा है. बल्कि इसके और फैलाव को रोकने के लिए मीडिया के माध्यम से ‘फर्जी’ बता रहा है. इतना ही नहीं इसका सोशल मीडिया या अन्य मीडिया के माध्यम से प्रसार न हो सके, इसके लिए उत्तर प्रदेश में एक एफआईआर भी दायर कर दिया गया है.

आरएसएस की कार्यशैली से परिचित देश की यह जनता जानती है कि आरएसएस की ओर से प्रस्तुत यह पुस्तिका अक्षरशः सच है, बांकी का ना-नुकुर केवल इसलिए ही है कहीं विरोध का स्वर देश भर में न उठ जाये. मसलन, गांधी की हत्या करने वाला आरएसएस का अनुसांगिक संगठन भाजपा आज गांधी की पूजा कर रहा है तो साथ में गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडेस को शहीद का दर्जा देना चाहता है. तिरंगा झंडा को अपने पैरों तले कुचलने और अपसगुन करने वाला आरएसएस आज तिरंगा के नाम पर लोगों का खून बहा है. भारतीय संविधान को घटिया कहने वाला आरएसएस आज उसी संविधान की दुहाई देते हुए देश की सत्ता पर काबिज हो गया है और अब खुलेआम देश के संविधान के साथ बलात्कार कर रहा है. अभी हाल ही में जब देश के संसद में गृहमंत्री खुलेआम सीएए के बाद एनआरसी देश भर में लागू करने की ऐलान किया और इसके विरोध में जब देश भर की जनता सड़क पर आ गई तब यही निर्लज्ज संघी प्रधानमंत्री के पद पर बैठे नरेन्द्र मोदी रामलीला मैदान में सफेद झूठ बोल गया कि एनआरसी पर कोई बात नहीं हुई है, आदि-आदि जैसे अनेकों उदाहरण दिये जा सकते हैं.

आरएसएस और भाजपा का असली एजेंडा भारत का संविधान बदलने और देश में मनुस्मृति का लागू करने का है, इस बात को समस्त देशवासी अच्छी तरह समझ रहे हैं. परन्तु एकाएक इस मानवद्रोही मनुस्मृति को लागू करने का साहस अभी तक आरएसएस नहीं जुटा सका है, इसीलिए वह बार-बार देश में 70 साल के गड्ढ़े का जिक्र करता है, यानी देश की अधिकांश आबादी राजनैतिक रूप से जागरूक हो चुकी है और शिक्षित भी., जिसके ओर से प्रचण्ड विरोध की आशंका हर वक्त छाई रहती है. आरएसएस के द्वारा अब जब इस ‘भारत का नया संविधान’ का प्रारूप, जो इसका छिपा हुआ असली एजेंडा है, जगजाहिर हो गया है, तब वह हमेशा की तरह सफेद झूठ बोल गया कि यह फर्जी है. और यह एजेंडा तब तक फर्जी ही रहेगा जब तक कि इसे लागू करने की वास्तविक स्थिति नहीं बन जाती है. जब यह वास्तविक स्थिति बन जायेगी तब के थोड़े विरोध को कुचलने के लिए नरेन्द्र मोदी को अब राष्ट्रपति की इजाजत लेने की भी जरूरत नहीं रह जायेगी, क्योंकि अब सेना की वास्तविक ताकत वह राष्ट्रपति से छीन कर अपने अधीन कर चुकी है, नया पद सृजन कर, जिसके प्रमुख के बतौर वह अजित डोभाल जैसा अपना एजेंट बिठाल रखा है. हलांकि यह भी कुछ ही समय की बात होगी, जल्दी ही वह उस पद को भी समाप्त कर सेना को सीधा अपने अधीन कर लेगा, इसकी पुरी संभावना है, ताकि किसी भी विरोध को सेनाओं के बूटों तले कुचलने में बिलम्ब न हो.

जैसा कि हम जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के संघी नेतृत्व में इन दिनों रामराज्य का पदार्पण हो चुका है और वहां की पूरी मशीनरी रामराज्य को टिकाऊ बनाने के काम में लगी हुई है. ऐसी परिस्थिति में हम आर एस एस द्वारा जारी किये गये इस पुस्तिका को अपने पाठकों के सामने मूल रूप में रखते हैं, ताकि यह समझने में आसानी हो सके कि ‘भारत का नया संविधान’ नाम से जारी आरएसएस की यह पुस्तिका फर्जीवाड़े का एक साजिश है अथवा आरएसएस और उसके नेतृत्व में संचालित भाजपा वास्तव में इसके अनुसार काम कर रही है यानी मनुस्मृति के आधार पर तैयार किया जा रहा यह ‘नया संविधान'(New Constitution) असलियत में लाने की तैयारी है.

आरएसएस की ओर से 16 पृष्ठों की जारी पुस्तिका का स्वरूप यहां प्रस्तुत है –

1) संविधान की आत्मा

1. भारत का यह नवीन संविधान  हिंदू धर्म पर आधारित है.

2. इस संविधान के मुताबिक भारत को एक हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाता है. अब भारत की जगह केवल हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग किया जाएगा.

3. हिंदू धर्म की मान्यता है कि हर एक मनुष्य दूसरे मनुष्य से भिन्न है, इसलिए हर एक मनुष्य को समान नागरिकता नहीं दी जा सकती है. नागरिकता का अधिकार धर्म ही होगा.

4. आजकल बहुत सारी जातियां और धर्म हो गये हैं इसलिए उनको एक सूत्र में पिरोना बहुत जरूरी है.

5. हिंदू धर्म के अनुसार चार वर्ण होते हैं. इस संविधान में समस्त जातियों और धर्मों को इन्हीं चार वर्णोंं में सम्मिलत किया गया है.

6. सरकारी नौकरियों में पदों का वितरण, संसद और विधानसभाओं में सदस्यों का चयन आदि इन चार वर्णोंं के आधार पर ही किया जाएगा.

7. किसी अपराधी की सजा का निर्णय हिंदू धर्म द्वारा बनाई गई वर्ण व्यवस्था के अनुसार होगा.

8. नारी को भगवान ने बच्चे पैदा करने के लिए ही बनाया है इसलिए उसके अधिकारों को हिंदू धर्म के अनुसार सीमित किया जा रहा है.
9. भारत का राष्ट्रगान ‘वंदे मातरम’ होगा और राष्ट्रीय ध्वज भगवा होगा.

10. इस संविधान के अनुसार ब्राह्मण को सबसे पवित्र इंसान और गाय को सबसे पवित्र पशु घोषित किया जाता है.

11. यह नया संविधान 21 मार्च, 2020 (हिंंदू कैलेंडर का नया वर्ष) से लागू होगा.

(2) नागरिकता

हिंदू धर्म के आधार पर भारत में चार प्रकार के नागरिक बनाये जाएंगे –

1. प्रथम श्रेणी के नागरिक (First Class Citizen) : ब्राह्मण जाति के लोगों को भारत का प्रथम नागरिक घोषित किया जाता है, जिनको सब तरह के नागरिक अधिकार प्राप्त होंगे.

2. द्वितीय श्रेणी के नागरिक (Second Class Citizen) : क्षत्रिय या ठाकुर जाति के लोगों को द्वितीय श्रेणी के नागरिक घोषित किया जाता है.

3. तृतीय श्रेणी के नागरिक (Third Class Citizen) : वैश्य या बनिया समुदाय के लोगों को तृतीय श्रेणी के नागरिक घोषित किया जाता है.

4. चतुर्थ श्रेणी के नागरिक (Fourth Class Citizen) : अन्य सभी जाति व धर्मों  के लोगों को चतुर्थ श्रेणी के नागरिक घोषित किया जाता है. इन सब को शूद्र नाम से भी पुकारा जाएगा. इसमें बौद्ध, जैन, सिख, ईसाई, पारसी, मुसलमान आदि धर्म के लोग सम्मिलित किए जायेंगे. इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ी जातियों के लोग जैसे यादव, जाट, गुर्जर, कुर्मी, कुम्हार, नाई आदि शामिल किए जाएंगे.

अन्य जातियां जो किसी वर्ण में नहीं है जैसे कि कायस्थ, पंजाबी आदि, उनको भी शूद्र वर्ण में शामिल किया जाएगा.

नारी चाहे किसी भी वर्ण की हो, उसको शूद्र वर्ण में ही  गिनती किया जाएगा.

पहचान का निशान : हर एक वर्ण के व्यक्ति के माथे पर उसके वर्ण का नाम गोदाना (Tattooing) होगा. जैसे कि ब्राह्मण के माथे पर ब्राह्मण, क्षत्रिय के माथे पर क्षत्रिय, वैश्य के माथे पर वैश्य और शूद्र के माथे पर शूद्र लिखा जाएगा. सरकार इस काम को 6 महीने में समाप्त करने के लिए जरूरी प्रावधान करेगी.

(3) राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संसद, विधानसभा हिंदुस्तान के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री व मंत्री, सभी संसद सदस्य व विधानसभा के सदस्य ब्राह्मण ही होंगे. (वतर्मान के प्रधानमंत्री जो शूद्र वर्ण से आते हैं, इस संविधान को लागू करने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे देंगे और अपने वर्ण के अनुसार काम करेंगे. इसी प्रकार से हिंदुस्तान के गृहमंत्री जो कि वैश्य वर्ण से आते हैं, वे भी अपने पद से इस्तीफा देकर अपने वर्ण के अनुसार काम करेंगे).

(4) वोट का अधिकार

1. केवल ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य को वोट देने का अधिकार होगा. शूद्र और नारी को वोट देने का अधिकार नहीं होगा.

2. ब्राह्मण के एक वोट की कीमत क्षत्रिय के 100 वोट व वैश्य के 1000 वोट के बराबर होगी. उदाहरण के लिए, एक चुनाव में यदि एक ब्राह्मण वोट डालता है और 99 क्षत्रिय या ठाकुर वोट डालते हैं तो ब्राह्मण के वोट की कीमत ज्यादा होगी और उसका उम्मीदवार विजयी होगा. इसी प्रकार से यदि किसी चुनाव में एक ब्राह्मण वोट डालता है और 999 वैश्य या बनिया वोट डालते हैं तो ब्राह्मण का उम्मीदवार विजयी होगा.

(5)  शिक्षा का अधिकार

1. ब्राह्मण को किसी भी स्तर की शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार होगा जैसे स्नातक, पीएचडी इत्याादि.

2. क्षत्रिय को केवल 10 दसवीं पास करने का अधिकार होगा.

3. वैश्य को केवल पांचवी पास करने का अधिकार होगा.

4. शूद्र और स्त्री को कोई भी शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार नहीं होगा.

(6) बोलने की स्वतंत्रता

1. ब्राह्मण किसी भी विषय पर कहीं भी, किसी के खिलाफ बोल सकता है. उसको पूरी आजादी है.

2. बाकी तीनों वर्णों के लोग किसी भी ब्राह्मण के या उसके कर्मों या निणर्यों के खिलाफ एक भी शब्द नहीं बोल सकते. यदि उन्होंने ऐसा किया तो उनकी जुबान काट ली जायेगी.

3. सजा के तौर पर क्षत्रियों की एक इंच, वैश्यों की दो इंच और शूद्रों की तीन इंच जुबान काट ली जायेगी.

(7) घूमने- फिरने का अधिकार

1. ब्राह्मण को पूरे हिन्दुस्तान में और विदेश में कहीं भी घूमने का अधिकार होगा जिसका खर्चा वैश्य समाज के व्यक्ति को वहन करना होगा.

2. अन्य तीनों वर्णों के लोग केवल हिन्दुस्तान में ही भ्रमण कर सकते हैं. उनको विदेशों में जाने की अनुमति नहीं होगी. अगर उनका कोई रिश्तेदार कहीं विदेश में रहता है तो उसको हिन्दुस्तान में वापस आने की अनुमति नहीं होगी. इससे विदेशी सभ्यता भारत में नहीं आने पाएगी.

3. हवाई जहाज से केवल ब्राह्मण ही सफर करेंगे. क्षत्रिय रेलगाड़ी से सफर करेंगे. वैश्य बस से सफर करेंगे. शूद्र साइकिल या तांगे से सफर करेंगे. ब्राह्मण की यात्रा का सारा खर्चा वैश्य समाज को उठाना पड़ेगा.

(8) सूचना का अधिकार

मोबाइल और इंटरनेट का प्रयोग केवल ब्राह्मण ही कर सकेंगे, बाकी अन्य वर्ण के लोग केवल टेलीविजन ही देख सकेंगे.

(9) सम्पत्ति का अधिकार

1. ब्राह्मण जहां चाहे रह सकता है. अगर उसको किसी का भी घर पसंद आता है, तो वह वहां पर बिना कोई किराया दिये, जब तक चाहे तब तक रह सकता है. इस दौरान ब्राह्मण के खाने-पीने की व्यवस्था मकान मालिक को ही करनी पड़ेगी.

2. अगर ब्राह्मण को कोई घर बहुत पसंद आ जाता है और वह उसको प्राप्त करने इच्छा करता है, तो मकान मालिक को वह घर ब्राह्मण को दान करना पड़ेगा.

3. अगर ब्राह्मण को किसी की कार या कोई और वस्तु पसंद आती है तो मालिक को वह कार या वस्तु ब्राह्मण को दान करनी पड़ेगी

(10) सरकारी सेवाओं का प्रावधान

1. ब्राह्मण को हर सरकारी विभाग में प्रमुख बनाया जाएगा जैसे जिले का डीएम या एसपी, किसी प्राइवेट संस्थान का मैनेजिंंग डायरेक्टर, किसी स्कूल का प्रधानाध्यापक, किसी सेना का कमांडर आदि.

2. क्षत्रिय की भर्ती सेना में निचले पदों पर की जाएगी जिससे कि वे सीमा पर खड़े होकर देश की रक्षा कर सकें और अपनी जान की बाजी लगा सकें.

3. वैश्य समाज सारी दुकानें चलाएगा, चाहे वो सब्जी की रेड़ी हो, पंक्चर की दुकान या कोई बड़ी दुकान.

4. शूद्र लोग मजदूर और किसानों का काम करेंगे और देश को स्वच्छ बनाए रखने में जी-जान लगा देंगे. उनका काम केवल सेवा करना और गंदगी की सफाई करना रहेगा.

(11) न्याय व्यवस्था

न्याय व्यवस्था पूरी तरह से ब्राह्मणों के अधीन रहेगी. सुप्रीम कोर्ट से लेकर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के सभी जज ब्राह्मण होंगे. आजकल वैश्य समाज से भी कई लोग जज बन गए हैं और उन्होंने न्याय व्यवस्था को व्यापार बना दिया है इसलिए उन सब को हटा दिया जाएगा.

(12) सजा का प्रावधान

1. कत्ल (murder) की सजा :

– ब्राह्मण यदि कोई कत्ल कर देता है तो उसको चेतावनी देकर छोड़ दिया जाएगा.

– क्षत्रिय यदि कोई कत्ल कर देता है तो उसको सजा के तौर पर उल्टा लटका दिया जाएगा, जब तक कि उसकी मौत न हो जाये.

– यदि वैश्य समाज का कोई व्यक्ति कत्ल करता है तो उसे सजा के तौर पर गाड़ी से बांध कर तब तक घसीटा जायेगा, जब तक कि उसकी मौत ना हो जाये.

– यदि शूद्र समाज का कोई व्यक्ति कत्ल करता है तो उसे फांसी लगा कर मृत्युदण्ड दिया जाएगा.

2. बलात्कार (rape) की सजा :

– अगर ब्राह्मण को किसी भी वर्ण की कोई लड़की (विवाहित या अविवाहित) पसन्द आती है तो वह बेहिचक उसके साथ रह सकता है या सम्बन्ध बना सकता है. वह या तो लड़की के घर में रह सकता है या उसे अपने घर में लाकर रख सकता है. वह जब तक चाहे उसके साथ रह सकता है. ब्राह्मण ना तो उस लड़की से शादी करने को बाध्य होगा, ना ही ब्राह्मण पर बलात्कार का कोई आरोप लगेगा.

– अगर कोई क्षत्रिय किसी के साथ बलात्कार करता है तो सजा के तौर पर उसका लिंंग एक इंच काट लिया जाएगा.

– अगर कोई वैश्य किसी के साथ बलात्कार करता है तो सजा के तौर पर उसका लिंंग दो इंच काट लिया जाएगा.

– अगर कोई शूद्र किसी के साथ बलात्कार करता है तो सजा के तौर पर उसका पूरा लिंंग काट लिया जाएगा.

(3) चोरी – डकैती :

– अगर कोई ब्राह्मण चोरी करता है तो चोरी की वस्तु को दान समझ कर ब्राह्मण को माफ कर दिया जाएगा.

– अगर कोई क्षत्रिय चोरी करता है तो उसे 100 डन्डे मारने की सजा मिलेगी.

– अगर कोई वैश्य चोरी करता है तो उसे 500 डन्डे मारने की सजा मिलेगी.

– अगर कोई शूद्र चोरी करता है तो उसे 1000 डन्डे मारने की सजा मिलेगी.

(13) राष्ट्रभाषा :

हिन्दुस्तान की राष्ट्रभाषा हिन्दी होगी जिसे हर हिन्दुस्तानी को सीखना और बोलना होगा. संस्कृत भी अनिवार्य होगी. दस साल बाद संस्कृत को राष्ट्रभाषा बना दिया जाएगा.

आरएसएस की यह 16 पृष्ठों के भारत के नये संविधान का प्रारूप यही पर समाप्त होता है, पर अब यह देश की जनता को सोचना और समझना है कि इस ‘नये संविधान’ के प्रारूप की असलियत क्या है ? कि यह नया संविधान आज इस देश में किस हद तक लागू हो चुकी है और कितना लागू होने के लिए बच गया है ?

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ROHIT SHARMA

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