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हथियारबंद समाज की स्थापना ही एक आखिरी रास्ता है

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हथियारबंद समाज की स्थापना ही एक आखिरी रास्ता है

पाकिस्तान में 7 से 12 हज़ार में ए. के. – 47 जैसी बन्दूकें मिल जाती है व घरेलू कारखानों में बड़ी मात्रा में बनाई भी जाती हैं. साथ में 2 से 3 करोड़ ए. के. – 47 जैसी बंदूकें सामान्य नागरिकों के पास है. टैंकों को नष्ट करने के लिए छोटे परमाणु बमों (टेक्टिक बम) के भण्डार है. अमेरिका व चीन का पीछे के रास्ते से हथियारों का व सऊदी का धन से समर्थन है.

चिंता का कारण है कि जितनी बंदूकें पाकिस्तान में सामान्य नागरिकों के पास हैं, उतनी लाठी भी आरएसएस के ऊर्जावान स्वयंसेवकों के पास नहीं है ( जबकि संघ 6 दिन में सेना बनाने की क्षमता रखता है ). अंदर से पूरा भारत शस्त्रविहीन है. सेना 50 दिनों में भी राजनितिक कारणों से कश्मीर में पत्थरबाजी पर काबू नहीं कर पायी और लड़ने के लिए केवल 20 दिन की ही सामग्री है.




एक बार सोच के देखो. हमारी पुलिस के पास भी आधुनिक हथियार नहीं है. उदाहरण पुलिस एनकाऊंटर करने गई यूपी पुलिस के हथियार भी नहीं चले. ठांय-ठांय की आवाज करके आपराधियों को भगाया. मुम्बई हमले को पुलिस काबू नहीं कर पाई थी व 300 नागरिकों की हत्या हो गयी थी. वहां तो केवल 8-10 आतंकी ही आये थे, जिनके पास सीमित हथियार थे. यदि पाकिस्तान से भारत का युद्ध हुआ तो पाकिस्तान-भारत बॉर्डर 4800 किलोमीटर लंबी है, जो बीएसएफ की सुरक्षा में है. उधर चीन व अमेरिका की सहायता से पाकिस्तान ने भारत की सेना नाम की दीवार तोड़ दी तो भारत में 726 ई. वाले मोहम्मद बिन कासिम जैसे 10,000 लूटेरे भी भारत में करोड़ों की हत्या कर देंगे व लूटमार 1947 से भी 50-100 गुणा अधिक होगी !

सेना की दीवार टूटना नामुमकिन नहीं है क्योंकि हमारे पास सीमित हथियार है, वो भी दुसरे देशों से खरीदे हुए. अपने बनाये हुए हथियार तो ना के बराबर ही है, दूसरा मुल्क कभी भी पार्ट्स व शस्त्र देना बंद कर सकता है या 100 गुणे महंगे कर सकता है.

हो सकता है ये बात आपको मजाक लग रही हो तो किसी से 1947 का इतिहास पूछ लेना व 326 ई. से 1858 तक के भारत पर हुए आक्रमणों का इतिहास पढ़ लें. कारण उस समय भी शस्त्रहीन समाज था आज भी स्थिति वैसी ही है.

हथियारबंद समाज की स्थापना ही एक आखिरी रास्ता है, हर व्यक्ति अपने-अपने स्तर पर कुछ आयुध की व्यवस्था कर ले, चाहे लीगल हो य़ा इलीगल !! और हां साथ में अभ्यास भी जरूरी है !

  • कृष्णनन अय्यैर के पोस्ट से (थोड़े संशोधन के साथ)





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