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9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस : छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 15 आदिवासियों की हत्या

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भारत सरकार और छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस के उपलक्ष्य में नक्सल के नाम पर 15 आदिवासियों को मार कर आदिवासियों को भेंट किया हैं. देश के तमाम आदिवासी सरकार  की भेंट स्वीकार करें और 9 अगस्त धूमधाम से मनाये.

9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस : छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 15 आदिवासियों की हत्या

यह वास्तविक जानकारी हैं. मैं परिजनों से मिला और लिख रहा हूं. कल जो लिखा था वह जानकारी सूत्रों से लिया गया था.

अभी 2018/9/ अगस्त विश्व आदिवासी दिवस पुरे विश्व में मनाने वाले हैं. वाह रे मेरे विश्व के आदिवासी, तुम मनाने चले हो अपना दिवस, पूरे विश्व में मुलनिवासी खतरे में हैं. पूरे विश्व भर में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक भारत देश को कहा जाता हैं. भारत में एक राज्य हैं जिसे छत्तीसगढ़ राज्य कहते हैं. इस राज्य में बस्तर संभाग हैं जहांं मुलनिवासी यानी आदिवासी, माड़िया, मुरिया, गोंड, जंगलों में रहकर जीवन यापन करते हैं. इन मूलनिवासियों को भारत सरकार पुलिस प्रशासन के द्वारा नक्सली कहती हैं और आये दिन मारती है. कल सुबह 15 आदिवसियों को जिला सुकमा के मेहता पंचायत के चार गांव –

1) नुलकातोग से सात आदिवासी नाबालिक बच्चे थे. 1. हिड़मा मुचाकी/ लखमा 2. देवा मुचाकी/हुर्रा 3. मुका मुचाकी/ मुका 4. मड़कम हुंगा / हुंगा 5. मड़कम टींकू / लखमा 6. सोढ़ी प्रभू / भीमा 7. मड़कम आयता / सुक्का। इन सभी नाबालिकों की उम्र लगभग 14, 15, 16, 17 (परिजनों के बताए अनुसार) वर्ष हैं.

2)ग्राम गोमपाड़ से 1. मड़कम हुंगा / हुंगा 2.कड़ती हड़मा / देवा 3.सोयम सीता /रामा 4.मड़कम हुंगा / सुक्का 5. वंजाम गंगा / हुंगा 6. कवासी बामी / हड़मा.

3) ग्राम किनद्रमपाड़ से 1. माड़वी हुंगा / हिंगा.

4) ग्राम वेलपोच्चा से 1.वंजाम हुंगा / नंदा. ग्राम नुलकातोग से मड़कम बुधरी / रामा इस महिला को पैर में गोली मारे हैं, व ग्राम वेलपोच्चा से वंजाम हुंगा / नंदा को पुलिस ने पकड़ा हैं और इनामी नक्सली कह रही हैं.

इनके अलावा और तीन युवकों को पकड़ा हैं. कई गांव वालों को पुलिसकर्मियों ने दौड़ा-दौड़ा कर मारा हैं, जिनमें प्रेग्नेंट महिलाएं भी हैं. यह बात हमेंं तब पता चली जब मैं और सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी, रामदेव बघेल परिजनों से मिले. परिजनों ने अपनी पूरी व्यथा सोनी सोरी को सुनाई. चारों गांंव के ग्रामीणों का कहना है कि यह सारे ग्रामीण हैं कोई मुठभेड़ नहीं हुआ हैं. गांंव मेंं कोई नक्सली था ही नहीं. आप सब से मेरा अपील हैं कि आपको और सच्चाई जाननी हैं तो आप मेहता पंचायत के गोमपाड़ गांव में जा सकते हैं, और चारों गांव के ग्रामीणों से मिल सकते हैं.

यह वही ग्राम पंचायत मेहता हैं जहांं ग्राम गोमपाड़ हैं. 14/6/2016 जहांं मड़कम हिड़मे/ कोसा की पुत्री का बलात्कार कर नक्सल के नाम पर मार दिया गया. इस घटना के विरोध में सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी द्वारा 9 अगस्त क्रान्ति पर 15 अगस्त तक गोमपाड़ ग्राम तक देश के राष्ट्रीय ध्वज को लेकर पदयात्रा किया गया और गोमपाड़ ग्राम में 15 अगस्त को राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया. इस गांंव के ग्रामीण आज भी मड़कम हिड़मे के न्याय के इंतजार में हैं, प्रकरण हाई कोर्ट बिलासपुर में हैं, पता नहीं जज फैसला सुना नहीं रहे हैं. दुबारा इस गांंव में सात ग्रामीणों को पुलिस ने मार दिया. हम गांंव के ग्रामीणों को कैसे विश्वास दिलाये की भारत देश में आदिवासियों के लिए लोकतंत्र, संविधान, कानून और मूलनिवासियों के रक्षक हैं ?

आज उन आदिवासियों की लाशें डॉक्टर शव परीक्षण के नाम पर चिकन, मटन की तरह काटेंगे और पालीथिन में बंद कर गांंव वालों को दे देंगे. गांव वाले कल से आये हुए हैं. कोन्टा के सड़कों में सोए हैं. आज भी शव लेने के लिए परिजन भटक रहे हैं. कब तक शव दिया जायेगा पता नहीं.

कल 15 आदिवासियों को मार कर पालीथिन में लाया गया है. आज छोटे – बड़े अखबारों में बड़े- बड़े अक्षरों में सुकमा पुलिस प्रशासन को शाबाशी मिल रही हैं कि जिला सुकमा की पुलिस ने 15 नक्सलियों को मारकर बहुत ही गौरवपूर्ण कार्य किया है. जिला सुकमा S.P. अभिषेक मीणा, डी. एम. अवस्थी, ए.डी.जे. नक्सल ऑपरेशन, इन सभी पुलिस अधिकारियों को माननीय मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह शाबाशी दे रहे हैं. कुछ दिन बाद इन पुलिस अधिकारियों को राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जायेगा. शायद मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को यह नहीं पता कि मरने वाले नक्सली नहीं बल्कि मासूम आदिवासी युवा, युवती हैं.

पूरे भारत मे राष्ट्रवाद खतरे में हैं. राष्ट्रवाद का क्या अर्थ हैं ? क्या राष्ट्रवाद में भारत देश के आदिवासी नहीं आते ? B.J.P. की सरकार पूरे भारत में राष्ट्रवाद को समाप्त करना चाहती हैं और R.S.S. का गुंडाई साम्राज्य स्थापित करना चाहती हैं. क्या पुरे भारत के बुद्धिजीवी वर्ग देश मे धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्रवाद को समाप्त करने में B.J.P. का मदद करेंगे या बदलाव के लिए सरकार बदलेंगे ?

9 अगस्त को आदिवासी दिवस भारत देश और विश्व मेंं मनाया जाएगा और सुकमा जिले के चार गांंव गोमपाड़, किन्द्रेमपाड़, नुलकातोग, वेलपोच्चा के आदिवासी 15 आदिवासी युवा-युवतियों के मरने के मातम में रहेंगे. क्या ये गांंव और नक्सल के नाम पर मारे गए आदिवासी आपके समुदाय के नहीं हैं ? क्या ये गांंव आपके नहीं हैं ? आप सब आदिवासी दिवस किसके साथ मना रहे हैं ? आप उस सरकार के साथ मना रहे हैं जो आपके समाज, समुदाय और लोगों को नक्सल के बहाने से मार रही हैं. 

आज भारत देश में आठ करोड़ से नौ करोड़ आदिवासी, मूलनिवासी जीवन-यापन कर रहे हैं. देश के छत्तीसगढ़ राज्य में मुलनिवासी दिवस राज्य सरकार के प्रतिनिधित्व में रायपुर में मनाया जा रहा हैं, जिसका प्रतिनिधित्व केबिनेट मंत्री मा. केदार कश्यप, मा. विकास मरकाम उपाध्यक्ष अनु.जनजाति आयोग, मा. नंदकुमार साय अध्यक्ष राष्ट्रीय जनजाति आयोग, इनके अलावा कई आदिवासी नेता हैं जो कि इस दिवस का प्रतिनिधित्व करने वाले हैं. कुछ नेता तो B.J.P. के हैं जो आदिवासियों की दलाली करते हैं. इन सभी नेताओं को पता है कि आदिवासियों के साथ क्या हो रहा हैं लेकिन करेंगे कुछ नहीं. इन नेताओं का काम ही है सरकार के तलवे चाटना. B.J.P. और R.S.S. के गुलाम बन चुके हैं कुछ आदिवासी नेता.

आठ करोड़ आदिवासियों में कुछ तो शिक्षित आदिवासी युवा हैं. समुदाय और मूलनिवासी समाज की रक्षा के लिए सामने आए जिससे समाज में हो रहे अन्याय को रोका जा सके या मैं ये मान लूंं की भारत देश के आठ करोड़ मूलनिवासियों के पास खून नहीं बल्कि भाजपा सरकार और R.S.S. द्वारा खून को पानी बना दिया गया हैं. देखते हैं भारत के आदिवासियों में अत्याचार से लड़ने की कितनी औकात हैं. “मनुष्य जीवन अत्याचारों के खिलाफ लड़ने के लिए ही हुआ हैं.”

  • लिंगाराम कोडाप्पी

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