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किसान आंदोलन को जालियांवाला बाग की तरह खून में डूबो दिया है मोदी सत्ता ने

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किसान आंदोलन को जालियांवाला बाग की तरह खून में डूबो दिया है मोदी सत्ता ने
23 वर्षीय किसान आंदोलनकारी शुभकरण सिंह, जिनकी हत्या मोदी सत्ता ने गोली मारकर कर दी

नरेन्द्र मोदी की सरकार कॉरपोरेट घरानों की कठपुतली है. यह किसानों का खून पी रहा है. आज उसने जिस तरह आन्दोलनकारी किसानों के उपर गोलियां चलाईं गई है, और इसमें एक आंदोलनकारी के सीधे सिर में गोली मारकर शहीद कर दिया है, वह इस दरिंदे नरेन्द्र मोदी की सत्ता ने देशवासियों के नाम खुला संदेश दे दिया है कि वह कॉरपोरेट घरानों की सेवा में देश को खून की दरिया में डूबो देगा.

जानकारी के अनुसार आंदोलनकारी किसानों के उपर अंधाधुंध गोली चलाये जाने से दर्जनों किसानों के मारे जाने की संभावनाएं व्यक्त की जा रही है क्योंकि दर्जनों किसान आंदोलनकारी गायब बताये जा रहे हैं. इंटरनेट सेवा बंद रहने से वहां से तस्वीर भी साफ निकलकर सामने नहीं आ रही है, ठीक वैसे ही जैसे मणिपुर से नहीं आ पा रही थी.

गौरतलब हो कि 2020 में चले किसान आंदोलनों की 13 महीनों तक चले आंदोलन के साथ नरेन्द्र मोदी ने खुद किसानों की मांगों को मान लिया था लेकिन उसके बाद वह साफ मुकर गई है और किसान आंदोलनकारियों की एक भी मांग को लागू नहीं किया है, जिस कारण एक बार फिर किसानों ने ‘दिल्ली कूच’ करने का ऐलान कर दिया है, जिसे रोकने के लिए मोदी सत्ता ने आज किसान आंदोलन को आज खून में डुबो दिया है.

किसान महासभा ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि वह हरियाणा पंजाब की खनौरी सीमा पर पुलिस गोलीबारी में भटिंडा जिले के बल्लो गांव निवासी युवा किसान शुभकरण सिंह (23) की पुलिस गोली से हुई हत्या का कड़ा विरोध करता है. जानकारी के अनुसार पुलिस दमन में लगभग पंद्रह लोग घायल हैं जिनमें से 4 अति गंभीर रूप से घायल हुए हैं. किसान महासभा इसे किसानों पर मोदी सरकार का क्रूर हमला मानती है.

ज्ञातव्य हो कि दिल्ली प्रदर्शन के लिए जा रहे और पंजाब हरियाणा के बर्डरों पर रोके गए आंदोलनकारी किसान प्रधान मंत्री से केंद्र सरकार द्वारा किए गए लिखित वायदों को निभाने की मांग कर रहे हैं. यह लिखित हस्ताक्षरित वायदा 9 दिसंबर 2021 को एसकेएम के साथ केंद्र सरकार ने किया था, मगर केंद्र की मोदी सरकार उस हस्ताक्षरित समझौते को लागू करने में विफल रही.

किसान महासभा ने अपने बयान में केंद्र सरकार को चेताया है कि किसानों पर बर्बर हमले करना बंद करे और एमएसपी गारंटी कानून सहित अपने लिखित वायदे पूरे करे. किसान महासभा एसकेएम के साथ मिलकर केंद्र सरकार के इन दमनात्मक कदमों का डट कर विरोध करेगी.

वहीं, एसकेएम की ओर से कहा गया है कि एसकेएम पंजाब सीमा पर किसानों के खिलाफ क्रूर पुलिसिया दमन और हत्या की भर्त्सना करता है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्र सरकार किसानों के साथ समझौते को पूरा नहीं कर रहे हैं और वर्तमान संकट के लिए जिम्मेदार हैं. ऐसे में अगले दिन 22 फरवरी 2024 को एसकेएम की राष्ट्रीय समन्वय समिति और आम सभा की बैठक संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए निर्णायक कार्रवाई का फैसला करेगी.

एसकेएम ने किसानों के खिलाफ क्रूर पुलिसिया दमन और हरियाणा पंजाब सीमा पर पुलिस गोलीबारी में भटिंडा जिले के बल्लो गांव के किसान शुभकरण सिंह (23) की हत्या की भर्त्सना करता है. उपलब्ध रिपोर्ट के अनुसार दमन में लगभग पंद्रह लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं. यह किसान परिवारों के रोजी-रोटी कमाने वालों पर क्रूर हमला है, जब वे केवल प्रधानमंत्री द्वारा किए गए लिखित वादों के कार्यान्वयन के लिए विरोध कर रहे थे.

प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार जो 9 दिसंबर 2021 को एसकेएम के साथ हस्ताक्षरित समझौते को लागू करने में विफल रहे, वर्तमान संकट के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार हैं. एसकेएम पंजाब सीमा पर परिस्थिति को गंभीरता से लेता है और 22 फरवरी 2024 को राष्ट्रीय समन्वय समिति और आम सभा की बैठक में स्थिति पर व्यापक चर्चा करेगा और संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए निर्णायक कार्रवाई का फैसला करेगा.

विदित हो कि एसकेएम (संयुक्त किसान मोर्चा) किसानों का सबसे मजबूत संगठन है, जिसने अपने 13 महीनों तक चले किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था और मोदी सत्ता को घुटनों पर ला दिया था, ठीक चुनाव के मुहाने पर खड़ीमोदी सत्ता के खिलाफ एक बार फिर आंदोलन करने के लिए बाध्य हो गई है.

मोदी सत्ता अगर यह सोचती है कि वह किसान आंदोलनकारियों को खून में डूबो कर खत्म कर देगी, तो उसे जालियांवाला बाग याद रख लेना चाहिए, जिसे अंग्रेजों ने खून में डूबो दिया था ताकि अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय डर जाये. लेकिन इतिहास गवाह है यही जालियांवाला बाग हत्याकांड ने अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिला दी थी. अब ठीक यही हश्र मोदी सत्ता का भी होने वाला है.

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