Home ब्लॉग नोटबंदी-जीएसटी का दंश

नोटबंदी-जीएसटी का दंश

2 second read
0
0
1,109


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के बड़े घरानों के हितों की हिफाजत करने के लिए 8 नवम्बर, 2016 को जिस नोटबंदी का ऐलान किया था, उसका दंश देश आज भी झेल रहा है. नरेन्द्र मोदी के हाथ का बंदर बन चुके आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल आज तक नोटबंदी में जमा किये गये 500 और 1000 रूपये के नोटों की सही गिनती नहीं कर पाये हैं, तो वहीं देश के 1 प्रतिशत आबादी के हाथों में देश की कुल 73 प्रतिशत संंपदा जा सिमटी है.

देश के व्यापारी जहां नोटबंदी से परेशान थे वहीं लाये गये जीएटी ने उनकी कमर तोड़ दी है. नोटबंदी के कारण देश के 150 से अधिक लोग मौत के मूंह में जा समाये तो अब नोटबंदी और जीएसटी से परेशान व्यापारी अपनी जान दे रहे हैं. युवा बेरोजगार है, हजारों की तादाद में किसान आत्महत्या कर रहें हैं, सैनिक सीमाओं पर रोज मारे जा रहे हैं. मंहगाई सातवें आसमान पर है, शिक्षा और चिकित्सा बुरी तरह तबाह हो चुकी है, दो करोड़ रोजगार देने के नाम पर सत्ता में आई मोदी सरकार अब रोजगार के नाम पर युवाओं को पकौड़े बेचने का सलाह दे रही है तो वहीं जले पर नमक छिड़कते हुए भाजपा के नेता इस ‘‘पकौड़े रोजगार’’ की अहमियत समझा रहे हैं.

किसानों के ऋण माफी के नाम पर मोदी सरकार की घिघ्घी बंध जाती है तो वहीं देश के बड़े औद्यौगिक घरानों के ऋण को धड़ाधड़ माफ कर रही है. एक आंकड़े के अनुसार रिलायंस ग्रुप पर 1 लाख 25 करोड़ का कर्जा, बेदांता ग्रुप पर 1 लाख 3 हजार करोड़ का कर्जा, एस्सार ग्रुप पर 1 लाख 1 हजार करोड़ का कर्जा, अदानी ग्रुप पर 96 हजार करोड़ का कर्जा, जेपी ग्रुप पर 75 हजार करोड़ का कर्जा, जेएसडब्ल्यू ग्रुप पर 58 हजार करोड़ का कर्जा, जीएमआर ग्रुप पर 47 हजार करोड़ का कर्जा सहित कुल 8 लाख 55 हजार करोड़ के कर्जा को भारत की मोदी सरकार ने पलक झपकते माफ कर दिया. वहीं देश के किसानों के चंद हजार करोड़ के कर्जा को माफ करने के नाम पर नौटंकी की जा रही है. कहीं पर 1 रूपये तो कहीं पर 10 रूपये के कर्जा को माफकर किसानों का मजाक उड़ाया जा रहा है जबकि अक्टूबर-दिसम्बर के मात्र तीन महीने में भारतीय स्टेट बैंकों ने इन्हीं उद्यौगिक घरानों के 1 लाख 99 हजार करोड़ रूपये का ऋण को माफ कर दिया है.

बैंक और इस देश की मोदी सरकार औद्योगिक घरानों के द्वारा लिये तकरीबन 10.5 लाख करोड़ रूपये के विशाल कर्जा को माफ कर देने के कारण देश और बैंक की अर्थव्यवस्था एक बार फिर बुरी तरह चरमरा गई है, जिसे  बचाने के लिए अब इस देश के गरीब बैंक खाताधारियों के खातों से तरह-तरह नियम-कायदों को लगाकर वसूल कर रही है. पिछले दिनों ही हजारों करोड़ रूपये खाते में न्यूनतम राशि न रख पाने के जुर्म में देश के गरीब खाताधारियों के खातों से काट लिया है. इतना ही नहीं जिन खाताधारियों के खाता में न्यूनतम राशि 0 (शून्य) बच जाती है, तो उसके खाते से भी राशि न्यूनतम राशि न होने के कारण लगातार काटे जाते हैं. उन खाताधारियों के खाते यह बैंक बंद नहीं करती है. फलतः उन खाताधारियों के खाते में से राशि को लगातार माईनस में डाला जाता है और उसे कर्ज की श्रेणी में डालकर पुलिसिया कानूनी कार्रवाई करने की धमकी बैंक देती है. यह शुद्ध रूपेण देश की जनता के खून-पसीने की कमाई पर दिनदहाड़े डाका है, जिसका हर संभव तरीके से विरोध किया जाना चाहिए.

इस देश ने 2014 में एक लूटेरी डकैत सरकार को चुन लिया है, जिसके नुकीले पैने दंश बड़ी तेजी से देशवासियों के खून को पीने में लगी हुई है. देशवासियों को इनके खून पीने पर रोक लगाना होगा, वरना वह दिन दूर नहीं जब अंग्रेजी हूकुमत के लूट से भी ज्यादा भयानक लूट के शिकार लोगों को भयानक दुर्विक्ष लील लेगा.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

एक वोट लेने की भी हक़दार नहीं है, मज़दूर-विरोधी मोदी सरकार

‘चूंकि मज़दूरों कि मौत का कोई आंकड़ा सरकार के पास मौजूद नहीं है, इसलिए उन्हें मुआवजा द…