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बालिका गृह के बलात्कारियों को कभी सजा मिलेगी ?

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मुजफ्फरपुर-देवरिया बालिका गृह में लगातार छोटी बच्चियों के साथ घट रहे बलात्कार और उत्पीड़न के घटनायें देश को हिला देने के लिए काफी है, परन्तु आज जहां समूचा देश इस बर्बर घटना से हतप्रभ है, वहीं इसके खिलाफ प्रतिरोध की खबरें धीरे-धीरे गायब हो रही है, और उसी रफ्तार से इन घटनाओं से जुड़े गवाह और फायलें भी गायब या नष्ट कर दी जायेगी. न्यायालय से भी बेदाग बचकर निकले इन बलात्कारियों और उनके सहयोगी फिर से नये सिरे से लड़कियों के साथ बलात्कार करने की कोशिशें जारी हो जायेगी. यह सब इसलिए कि उत्पीड़ित लड़कियां दलित-दमित तबके की है और उत्पीड़न करने वाले सत्ताधारी हैं, जिनके खिलाफ आवाज उठाना न केवल इस देश में अपराध है, बल्कि हिन्दु धर्म के ब्राह्मणवादी ढांचे में भी अपराध है. दलित-दमित तबके को उच्च सवर्ण जातियों पर किसी भी जुल्मों के खिलाफ सवाल उठाने को अक्षम्य अपराध माना जाता है, जिसका भारी दण्ड चुकाना पड़ता है.

आज देश में यही ब्राह्मणवादी सत्ता अपना फन उठाकर देश के तमाम दलितों-दमितों को एक बार फिर अपना निशाना बना रही है, जिसका प्रतिकार किया जाना मनुष्य कहलाने के लिए जरूरी है जिसमें देश की सत्ता पर विराजमान बड़े-बड़े नौकरशाह, अधिकारी, नेता, विधायक, मंत्री, यहां तक कि देश की सत्ता पर काबिज भगवाधारी देश भर में महिलाओं के खिलाफ बलात्कार करने का झंडा बुंलन्द किये हुए हैं, क्योंकि ये तथा इनका ब्राह्मणवादी हिन्दू धर्म दलित-दमित और महिलाओं के साथ बलात्कार और हत्या करने को अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं. सोशल मीडिया पर इन सवालों पर आम लोग क्या सोच रहे हैं, इसकी एक झलक यहां प्रस्तुत है.
बालिका गृह के बलात्कारियों को कभी सजा मिलेगी ?

धनंजय सिंहः 4 जनवरी, 2011 को पूर्णिया में उनके आवास पर भाजपा विधायक राजकिशोर केसरी की हत्या एक शिक्षिका रूपम पाठक ने कर दी थी. उसका आरोप था कि विधायक ने कई बार उसे हवस का शिकार बनाया था. और तो और बाद में विधायक ने धोखे से उनकी बेटी को बुलाकर उसका भी रेप किया और विधायक का निजी सचिव विपिन राय भी रूपम पाठक से जबर्दस्ती करने लगा था, जिससे नाराज और परेशान होकर रूपम पाठक ने विधायक की हत्या कर दी. तब नीतीश कुमार ने तेजी से मामले की सी.बी.आई. जाँच का आदेश दिया और रूपम पाठक को दोषी मानकर सजा सुनाई गयी. फिलहाल वे पटना के बेऊर जेल में बंद हैं. रूपम पाठक ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पर भी बलात्कार का आरोप लगाया था, जिसकी जाँच नहीं हुई. कौन कहता है कि नीतीश कुमार और भाजपा दूध के धुले हैं ? महिलाओं का सरेआम रेप करना तो इनकी फितरत रही है…?

अखिलेश प्रसादः क्या आपको मालूम है मुजफ्फरपुर कांड का मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर कहांं है ? आपका तो भक्क से जवाब होगा, जेल में है.

यही आदत आपलोगों की खराब है, दो दिन खूब उछल कूद मचाते हैं और फिर गहरी नींद में सो जाते हैं. याद रखिये आप जब तक गहरी नींद से नहीं जागेंगे, इसी तरह भेड़िए, मासूमों को नोचते रहेंगे.

खैर! हम आपको बताते हैं कि ब्रजेश ठाकुर अब तक अपनी एक भी रात जेल में नहीं बिताई है. वह अस्पताल में मौज कर रहा है.

हद्द है, घटियापना की. कुछ शर्म नहीं बचा है इन सत्ता के ठेकेदारों में. शर्म तो विपक्ष को भी आनी चाहिए जो दिल्ली में जाकर मोमबत्ती जला रहा है. सभी दलाल मिले हुए हैं, वर्ना ठाकुर की इतनी औकात नहीं थी.

खैर! आपको क्या सावन का महीना है कजरी गाओ. जब आपका नंबर आएगा, तब सोचना.

गिरीश मालवीयः अब यूपी के देवरिया में मुजफ्फरपुर जैसा घिनौना कांड पकड़ाया है. पुलिस ने रात में जब देवरिया के मां विंध्यवासिनी महिला एवं बालिका संरक्षण गृह में छापा मारा तो मौके पर केवल 24 लड़कियां मिलीं, जबकि बालिका गृह की सूची में 42 लड़कियों के नाम दर्ज हैं, 18 लड़कियां गायब पायी गयीं.

इस घटना का पता तब चला जब बिहार के बेतिया जिले की 10 साल की बच्ची देर शाम किसी तरह संरक्षण गृह से निकलकर महिला थाने पहुंची. वहां उसने संरक्षण गृह की अनियमितताओं के बारे में जानकारी दी. बच्ची के मुताबिक, वहां शाम चार बजे के बाद रोजाना कई लोग काले और सफेद रंग की कारों से आते थे और मैडम के साथ लड़कियों को लेकर जाते थे, वे देर रात रोते हुए लौटती थीं. संरक्षण गृह में भी गलत काम होता है.

ऐसी सरकार चलाने वालों को डूब मरना चाहिए, जिनके संरक्षण में ऐसे बालिका गृह चल रहे हैं.

रमेश कुमारः सावन में कुंवारी कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर उन्हें भोज दिया जाता है और दान-दक्षिणा देकर विदा करने का रिवाज है. यहांं शेल्टर होम का नाम “विंध्यवासिनी देवी ” के नाम और संचालिका- गिरजा त्रिपाठी, मोहन त्रिपाठी और कंचन त्रिपाठी है -जिन्हें उक्त पंरपरा के पालन का संस्कार भी मिले ही होंगे. खुद को भगवान का पोस्टमैन समझने में गर्व की अनुभूति भी अवश्य होती होगी. किंतु उनके सक्रिय सहयोग से द्वारा ऐसा घिनौना कृत्य… !!

सोचिए, यदि यही आरोप किसी मुस्लिम, दलित व पिछड़े वर्ग के व्यक्ति पर होता और सरकार रामराज्य के बजाय, सपा-बसपा या अन्य दल की होती तो अब तक क्या होता ? कोर्ट में वकील रिमांड न देते, अपने हाथों से पिटाई करते और FB ,अखबार व चैनल पर तमाम लोग चीख रहे होते या बौद्धिक जुगाली कर रहे होते.

सच में, घिन आती है ऐसी हिन्दू संस्कृति और उसके लंबरदारों से और गुस्सा आता उन नरपिशाचों पर जो पैसा देकर ऐसी मासूम बच्चियों से अपनी हबस शांत करते हैं.

ज्यादातर शेल्टर होम जो देवी-देवताओं के नाम पर समाज के ऊंची पहुंंच और वर्चस्ववादी लोगों द्वारा संचालित हैं, जिसे भारत का धर्मभीरु समाज संदेह की नजर से देखता ही नहीं. स्टेट को चलाने वाले सफेदपोश को ये लोग ओबेलिज करते हैं कारण कि इन्हें धर्म और देवी-भगवान की हकीकत पता है, वे सिर्फ समाज को सब्जबाग दिखाकर धनार्जन का साधन भर हैं. यह देवरिया, मुजफ्फरपुर का ही नहीं, पूरे देश के नारी संरक्षण गृह का यही हाल है और वहां यह धंधा सत्ता संरक्षण में कर्मचारियों की मिली-भगत से आराम से चलता है.

सोबरन कबीरः मासूम बेटियों का बचपन और भविष्य तार-तार करने वाली इस हैवान त्रिपाठी दम्पत्ति को मनु के विधान के अनुसार क्या सजा मिलेगी ?

क्या मनु के संविधान में मासूम बच्चियों को बलात् यौन धंधे में धकेलने की कोई सजा है ?

यकीन मानिए …अगर मनु का विधान यदि मासूम बेटियों को यौनकर्म में धकेलने वालों को दोषी नहीं मानता है तो भारत का न्यायालय मुजफ्फरपुर और देवरिया कांड के दोषियों को कभी सजा नहीं देगा.

भारत की न्यायपालिका संविधान से नहीं बल्कि मनु के विधान से चल रही है, जिसमें ब्राह्मण के किसी भी अपराध के लिए सजा का कोई विधान रचा ही नहीं गया है !!

इसलिए … अपराधी अगर सवर्ण ब्राह्मण होंगे तो कोई सजा नहीं मिलेगी.

ब्राह्मणों का गिरोह यूपी के देवरिया में भी दलित और पिछड़ी जाति की बच्चियों की इज्ज्त लूट रहा है, मगर …भारत की किसी भी अदालत में इनको सजा नहीं मिलेगी क्योंकि न्यायपालिका में बैठे ब्राह्मण जज कभी भी अपने सजातीय ब्राह्मण अपराधियों को सजा नहीं सुनाएंगे.

इसे आप मेरा निराशावाद कह सकते हैं, पर भारतीय न्यायपालिका के ब्राह्मणवादी चरित्र को कारण मेरे मन में जो न्यायालय के प्रति निराशा उपजी है … वो यूं ही नहीं है, इस निराशा के ठोस कारण मौजूद हैं.

बथानी टोला, लक्ष्मणपुर बाथे, शंकर बिगहा में हुए दलितों, पिछड़ों के सामूहिक हत्याकांड में भारत की न्यायपालिका में बैठे सवर्ण गिरोह ने आज तक किसी सवर्ण को सजा नहीं दी. फूलन देवी का कातिल भी सालों से जेल के बाहर घूम घूमकर जातीय हिंसा भड़का रहा है, इसलिए अंग्रेजों की भांति मैं भी ये मानने को विवश हूं कि ब्राह्मणों के भीतर न्यायिक चरित्र नहीं होता.

ब्राह्मण जज कभी भी गैर ब्राह्मणों के साथ न्याय नहीं कर सकते इसलिए देवरिया में मासूम बच्चियों की इज्जत लूटने वाले त्रिपाठी दम्पति को भारत भूमि पर कोई सजा नहीं मिलेगी. न्यायालय और सिस्टम में बैठे सजातीय ब्राह्मण त्रिपाठी को भी हर हाल में बचा लेंगे.

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