Home गेस्ट ब्लॉग मोदी द्वारा 5 साल में सरकारी खजाने की लूट का एक ब्यौरा

मोदी द्वारा 5 साल में सरकारी खजाने की लूट का एक ब्यौरा

20 second read
0
0
1,066

ये आंकड़े एक RTI के जरिये इकठ्ठा किये गए हैं. जिन्हें लगता है कि ये आंकड़े गलत हैं वो इसे कोर्ट में चैलेंज कर सकता है. इस डिसक्लेयर के साथ यह खबर सोशल मीडिया पर डाली गयी है. यह रिपोर्ट मोदी द्वारा सरकारी धन का दुरूपयोग करने का सबसे बड़ा उदाहरण है, जो खुद को फकीर बताते नहीं थकता.

मोदी द्वारा 5 साल में सरकारी खजाने की लूट का एक ब्यौरा

यहां नरेंद्र मोदी से जुड़े पिछले 5 साल के कुछ आंकड़े दे रहा हूंं जिसे भारत का संविधान हर भारतीय को जानने का मौलिक अधिकार देता है.

नरेंद्र मोदी 60 महीने प्रधानमंत्री रहे. जिसमें 565 दिन यानि 18 महीने 25 दिन विदेश यात्रा पर रहे. 101 दिन यानि 3 महीने 11 दिन पॉलिटिकल यात्राओं पर थे. यानी 565 दिन में कुल 226 दिन वो केवल यात्रा करते रहे.

15 जून, 2014 से 3 दिसम्बर, 2018 तक मोदी ने 92 देशों की यात्रा की. एक देश की यात्रा पर औसतन 22 करोड़ रूपये खर्च हुआ. 92 देशों की यात्रा पर कुल खर्च 20 अरब 12 करोड़ रूपये हुए.

देश में चुनावी रैलियों में मोदी वायुसेना का विमान उपयोग करते हैं. जबकि ये सरकारी यात्रा नहीं होती. इसमें वे वायुसेना के विमान का कमर्शियल रेट (1999 के बाद से रेट रिवाइज नहीं हुए) के हिसाब से मात्र 31000 रूपये भुगतान करते हैं. बताइए देश में इनके अलावा किसे इतने रूपये में चार्टेड प्लेन किराये पर मिलता है ??

सत्ता में रहते हुए मोदी सरकार ने 15 मई 2018 तक अलग-अलग योजनाओं के मिडिया में प्रचार-प्रसार पर 43 अरब 43 करोड़ 26 लाख रुपये खर्च किये.

2014-2015

प्रिंट मिडिया —— 4,24,8500000 (4 अरब 24 करोड़ 85 लाख रूपये)
डिजिटल मिडिया —- 4,48,9700000 (4 अरब 48 करोड़ 97 लाख रूपये)
आउटडोर ऐडवरटाइजिंग —- 79,7200000 (79 करोड़ 72 लाख रूपये)

2015-2016

प्रिंट मिडिया —– 5,10,6900000 (5 अरब 10 करोड़ 69 लाख रूपये)
डिजिटल मिडिया —– 5,41,9900000 (5 अरब 41 करोड़ 99 लाख रूपये)
आउटडोर ऐडवरटाइजिंग —– 1,18,4300000 (1 अरब 18 करोड़ 43 लाख रूपये)

2016-2017

प्रिंट मिडिया —– 4,63,3800000 (4 अरब 63 करोड़ 38 लाख रूपये)
डिजिटल मिडिया —– 6,13,7800000 (6 अरब 13 करोड़ 78 लाख रूपये)
आउटडोर ऐडवरटाइजिंग —– 1,85,9900000 (1 अरब 85 करोड़ 99 लाख रूपये)

अभी सरकारी चैनलों के अलावा नमो टीवी और कंटेंट चैनल आ गया है. इसमें सिर्फ मोदी के विज्ञापन चल रहे हैं. बाकि आपके पास सरकारी चैनलों में DD न्यूज, किसान, मेट्रो, DD इंडिया, DD नेशनल, DD भारती, लोकसभा, राज्यसभा और अरुणप्रभा जैसे चैनल तो हैं ही. देश के हर प्रान्त में हर भाषा के साथ DD का चैनल चलता है. इनके जरिये सरकार अपने काम बताकर खुद की ब्रांडिंग करती है. इसका बजट 44 अरब 9 करोड़ रूपये सरकार ने तय किया है. इसके अलावा खासतौर पर दूरदर्शन और आल इण्डिया रेडियो के लिए अलग से 28 अरब 20 करोड़ 56 लाख रूपये का बजट रखा गया.

दूरदर्शन और ऑल इण्डिया रेडियो में DAVP (डॉयरक्ट्रेट ऑफ एडवर्टीजमेंट एंड विजुअल पब्लिसिटी) और DFP (डॉयरक्ट्रेट ऑफ फिल्म पब्लिसिटी) नामक सरकारी एजेंसियां विज्ञापन बांटने का काम करती हैं. इन्हें ये विज्ञापन देने के लिए 140 करोड़ रूपये का अलग बजट रखा गया.

मोदी जी इन 60 महीने में 22 महीने सफ़र करते रहे. यानी वे इन 60 महीने के हर 10वें दिन एक चुनावी रैली करते बरामद हुए. यानी हर 9वें दिन एक सरकारी योजना का ऐलान करते पाए गए.

जबकि 10 साल की सरकार में मनमोहन सिंह 614 दिन विदेश यात्रा पर रहे और 75 दिन रैलियां की. वहीं मोदी 5 साल में 565 दिन विदेश यात्रा पर रहे और 101 दिन रैलियां करते रहे.

मोदी सरकार ने इन 60 महीनों के दौरान कुल 161 योजनाओं का ऐलान किया. पूरी योजना का जितना बजट नहीं था, उससे कई गुना ज्यादा इन योजनाओं के प्रचार पर खर्च कर दिया. मोदी ने 50 योजनाओं के प्रचार पर 97 अरब 93 करोड़ 20 लाख रूपये खर्च कर दिया. जबकि इस देश में रजिस्टर्ड डिग्रीधारी बेरोजगार की संख्या 12 करोड़ है. ये आंकड़े खुद सरकार के हैं.

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने स्पष्ट रूप से बताया है कि चुनाव के समय जो पॉलिटिकल फंडिंग हो रही है, उसमें 46% फंडिंग के बारे में हमें पता ही नहीं है कि ये कहां से आ रही है और कौन कर रहा है ? इस फंडिंग का 90% पैसा BJP के पास आ रहा है. ये सीधे तौर पर ब्लैकमनी है.

देश में 17 वीं लोकसभा सीटों के लिए 7 चरणों में चुनाव खर्च के ब्योरे कुछ इस प्रकार हैं-

1. 91 सीट (50 हजार करोड़ रूपये खर्च)
2. 97 सीट (80 हजार करोड़ रूपये खर्च)
3. 115 सीट (82 हजार करोड़ रूपये खर्च)
4. 71 सीट (90 हजार करोड़ रूपये खर्च)
5. 51 सीट (2 लाख करोड़ रूपये खर्च)
6. 59 सीट (2 लाख करोड़ रूपये खर्च)
7. 59 सीट (2 लाख करोड़ रूपये खर्च)

यानी चुनाव के दौरान हर सेंकेंड 1 करोड़ रूपये खर्च होंगे. यानी 5 साल से एक मदारी हमें आंंकड़ों के इस मकड़जाल में फंसाकर सत्ता के मजे लूटता रहा. जब भी किसी ने सवाल पूछने की कोशिश की उसे सत्ता की पावर से धराशायी कर दिया. हम पिछले 5 साल से एक लोकतंत्र नहीं बल्कि मदारियों के बनाये ‘लोकतंत्र’ में जी रहे हैं. अब अगले 5 साल का फैसला आपके हाथ में है.




Read Also –

मोदी जी का विकल्प कौन है ? – विष्णु नागर
हे राष्ट्र ! उठो, अब तुम इन संस्थाओं को संबोधित करो
शुक्रिया इमरान ! भारत में चुनावी तिथि घोषित कराने के लिए
मोदी देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और संविधान से खिलवाड़ को चौकीदारी बता रहे हैं
मोदी की ‘विनम्रता’ !




प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]




Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

गंभीर विमर्श : विभागीय निर्णयों की आलोचना के कारण पाठक ने कुलपति का वेतन रोक दिया

बिहार के एक विश्वविद्यालय के कुलपति का वेतन शिक्षा विभाग ने इसलिए रोक दिया कि वे विभाग और …