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मोदी के निशाने पर अब सेना

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मोदी के निशाने पर अब सेना
2014 ई. में झूठ बोलकर देश की सत्ता पर काबिज नरेन्द्र मोदी की सरकार समूचे देश को तबाह करने के बाद अब सेना को तबाह करने के लिए अपने निशाने पर ले लिया है. देश की संसाधनों पर भूखे कुत्ते की तरह टुट पड़ने वाली यह मोदी सरकार देश की अर्थव्यवस्था को चीर-फाड़कर तबाह कर डाला है, तो वहीं देश की सीमाओं की रक्षा में तैनात सेना की कसमें खाने वाली यह मोदी सरकार सेना को कमजोर करने के तमाम उपाय करने के बाद अब सेना के जवानों की संख्या में तकरीबन 1.5 लाख की कटौती करने का संकेत देकर देश और दुनिया को मोदी सरकार क्या संदेश दे रही है, यह बतलाने की जरूरत नहीं है.

अभी सेना में करीब 13 लाख सैन्यकर्मी हैं. वर्तमान में आर्मी के कुल 1.2 लाख करोड़ के बजट है, जिसमें राजस्व की कमी का बहाना बनाकर सेना के ब्रिगेडियर पद को खत्म कर तकरीबन 1.5 लाख सैन्यकर्मी को सेना से निकालने का प्रस्ताव ला रही है. तर्क यह गढ़ा जा रहा है कि “सेना के मदों में से 83 फीसदी उसके राजस्व व्यय और वेतन सहित कई अन्य मद में खर्च हो जाता है. इसमें सेना से रिटायर्ड लोगों का पेंशन शामिल नहीं है. सेना को मिलने वाले बजट का सिर्फ 17 प्रतिशत यानी 26,826 करोड़ रुपये पूंजीगत खर्चों के लिए जाता है. यह वो राजस्व है जिसे लेकर सेना पूरी तरह खुश नहीं है. आने वाले समय में नौकरी में कटौती के बाद इससे बचने वाले 5 से 7 हज़ार करोड़ रुपये से हथियार खरीदे जाएंगे. इससे सेना के पास 31,826 से 33,826 करोड़ रुपये तक हो जाएंगे.”

मोदी सरकार के यह लचर तर्क तब किसी काम नहीं आता जब देश के बैंकों से तकरीबन 14.5 लाख करोड़ रूपया देश के चंद कॉरपोरेट घरानों द्वारा डकार लिया गया है और जिसे मोदी सरकार वसूलने के वजाय उन्हें छुट्टे सांड़ की तरह खुला छोड़ दिया है ताकि वह और ज्यादा लूट-खसोट कर सके और वक्त आने पर देश से पलायन कर विदेशों में ऐश की जिन्दगी व्यतीत कर सके.

देश की बेशकीमती संसाधनों को सस्ते दरों पर निजी कॉरपोरेट घरानों के हाथों बेच देने के बाद अब मोदी सरकार सेना से 1.5 सैनिकों की छुट्टी कर सेना को कमजोर बना रही है, जबकि दुनिया के तमाम देश अपने सैनिकों की तादाद और संसाधनों में लगातार बढ़ोतरी कर उसे और ज्यादा मजबूत बना रही है. ऐसे में मोदी सरकार की यह नीति देश की सुरक्षा के साथ खुला मजाक है.

विदित हो कि पाकिस्तान और सेना, गाय-गोबर-गोमूत्र और हिन्दुत्व के नाम पर देश में मोदी सरकार जिस प्रकार खुलेआम निजी गुंडों को संरक्षण दे रही है, वह देश की एकता-अखंडता के नाम पर खुला मजाक किया जा रहा है. अगर ऐसा ही सबकुछ चलता रहा तो लुंज-पुंज हो चुका हमारा यह देश इस काबिल ही नहीं बचेगा कि वह अपने पैरों पर खड़ा हो सके.

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