बीएसएनएल के बारे में आपको इतना तो पता है न कि लगभग 55 हज़ार कर्मचारी कभी भी घर पर बिठाए जा सकते हैं. अब इसकी आगे की कहानी मेरे से सुनिए. आपको इसलिए भी सुनना चाहिए कि कभी लोग बीएसएनएल की सिम लेने ब्लैक में 2000 रुपए भी देने को तैयार रहते थे, उस कंपनी का सिम अब शहर के किसी दुकान में नहीं बिकता. और अब तो इस कंपनी का कुल चालू घाटा 31,287 करोड़ रुपया तक पहुंच गया है. दरअसल मोदी को जब पीएम कैंडिडेट घोषित किया गया तब देश में कई टेलीकॉम कंपनियां थी और सभी प्रतिस्पर्धा में लगे हुए थे. मोदी को पैसे की जरूरत थी और उनके सबसे खास अडानी के पास उतने पैसे नहीं थे कि वे दोनों हाथों से मोदी को दे सके. बात मोटा भाई मुकेश अम्बानी के कानों तक पहुंची. मोटा भाई दौड़े-दौड़े गुजरात गए और मोदी से तीन बैठके हुई. बात पैसे को लेकर ही हुई. अंबानी की ओर से मोदी से दो सौदे किये गए. पहली बात रिलायन्स के बंद पड़े लगभग 1400 पेट्रोल पंप को किसी भी तरह जीवित करना. साथ ही 3600 और पेट्रोल पंप लाइसेंस की स्वीकृति. मोदी ने इसमें हां कह दिया.
मनमोहन सिंह के दौर में रिलायन्स के ये पेट्रोल पंप बंद पड़े थे. अब सब चालू है व फायदे में आ गई है. दूसरी बात तय हुई कि रिम मोबाईल के बाद टेलीकॉम इंडस्ट्री में दखल को सहयोग. मोदी ने इसमें भी हां कह दिया. फाईनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार 2016 में बीएसएनएल को 672 करोड़ का फायदा हुआ था और उम्मीद की गई थी चालू वित्त वर्ष में यह फायदा 2000 करोड़ तक पहुंचेगा. यही वह वर्ष था जब जिओ की 4जी सर्विस को लांच किया गया. जबकि इससे पहले सबसे पहले सरकारी कंपनी ही लांच करती थी. 2009 में बीएसएनएल ने 3जी सर्विस लांच किया था, इसके बाद ही निजी टेलीकॉम कंपनियों को लाइसेंस दिया गया था. लेकिन मोदी के दौर में ऐसा नहीं हुआ. सीधे निजी कंपनी को लाइसेंस दे दिया गया. नतीजा यह हुआ कि बीएसएनएल वहीं रह गई. प्रतिस्पर्धा में भी नहीं आ पाई. बीएसएनएल के 3जी लॉंच के 10 साल होने को है अभी तक 4 जी लांच नहीं कर पाई है. दौड़ से पहले ही 11 करोड़ ग्राहक वाली बीएसएनएल बाहर हो गई है. नतीजा यह हुआ कि कंपनी बुरी तरह से बर्बाद होने की कगार पर जा पहुंची है.
पिछले वर्ष ही कंपनी ने इससे उबरने के लिए मोदी सरकार को एक प्रस्ताव भेजा कि उनके बैंकों से लोन लेने के प्रस्ताव को सरकार मंजूर करे, लेकिन मोदी ने साफ इंकार कर दिया औऱ कहा कि अपने स्रोतों से रकम जुटाए.इसके ठीक दूसरी तरफ जिओ ने सभी बैंकों से कई हज़ार करोड़ रुपये लोन ले रखे हैं. मोदी और अम्बानी ने मिलकर धीरे -धीरे इस सरकारी कंपनी को बर्बाद कर दिया.
सरकारी तौर पर कहा जा रहा है 55 हज़ार कर्मचारियों को वीआरएस दिया जाएगा जबकि वास्तविकता में 1 लाख 76 हज़ार कर्मचारियों में से आधे घर पर बिठा दिए जाएंगे, बस चुनाव के आखिरी दिन का इंतजार है क्योंकि इन भावी बेरोजगारों से भी वोट की उम्मीद है मोदी को. मोदी ने छोटे भाई के लिए एचएएल को बर्बाद कर दिया तो बड़े भाई के लिए बीएसएनएल को.
लोगों को अब भी लगता है देश को मोदी चला रहे हैं जबकि देश को अम्बानी चला रहे हैं. मोदी अम्बानियों का चपरासी है, चौकीदार है. मालिक का हाथ नौकर के कंधे में होता है, नौकर का हाथ मालिक के कंधे में नहीं. देश को मोदी से नहीं, अम्बानी से खतरा है. देश को अम्बानियों से बचाइए.
- विक्रम सिंह चौहान
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