Home ब्लॉग पुलवामा में 44 जवानों की हत्या के पीछे कहीं केन्द्र की मोदी सरकार और आरएसएस का हाथ तो नहीं ?

पुलवामा में 44 जवानों की हत्या के पीछे कहीं केन्द्र की मोदी सरकार और आरएसएस का हाथ तो नहीं ?

46 second read
0
0
2,331

पुलवामा में 44 जवानों की हत्या के पीछे कहीं केन्द्र की मोदी सरकार और आरएसएस का हाथ तो नहीं

हत्यारों की इस जोड़ी ने सीआरपीएफ को निशाना बनाने का प्लान बनाया और आतंकवादियों को उसकी आवाजाही की सचूना देकर और सीआरपीएफ को जबरन सड़क मार्ग से बड़े पैमाने पर जाने का आदेश देकर 44 जवानों को मौत के घात उतार डाला और लगभग इतने को ही को बुरी तरह घायल करवा दिया. यह संभावना इसलिए भी जतायी जा रही है कि खुफिया विभाग ने इस विभत्स हमले के एक सप्ताह पहले ही इस हमले की चेतावनी जारी कर दी थी और इसलिए सीआरपीएफ की तरफ से हवाई मार्ग से स्थानांतरण की मांग की गई थी.  खुद गृहमंत्रालय यानि प्रधानमंत्री मोदी (क्योंकि मोदी सरकार का मतलब उनका मंत्रालय समूह नहीं वरन् खुद नरेन्द्र मोदी होता है) ने हवाई मार्ग की मांग को ठुकरा दिया और इस स्थानांतरण टुकड़ों में करने के वजाय बड़े पैमाने पर करने का आदेश दिया ताकि बड़े पैमाने पर हत्याओं को अंजाम दिया जा सके

बीते चार सालों में जम्मू कश्मीर में आतंकी हमलों की घटनाओं में 177 फीसदी से अधिक का इज़ाफा हुआ है. साल 2014 में राज्य में आतंकवाद की 222 घटनाएं हुई थीं जबकि 2018 में यह संख्या 614 रही. इस दौरान केन्द्र में भाजपा और कश्मीर मे भाजपा-पीडीपी की सरकार थी. देश में उन तमाम ताकतों के साथ भाजपा-आरएसएस का गठबंधन है, जो अलगावादी ताकतें हैं. चाहे वह खालिस्तान समर्थक अकाली दल हो, या काश्मीर में महबूबा मुफ्ती की पीडीपी. अंबानी-अदानी जैसी अकूत संपदा लूटने वाली कॉरपोरेट घराने हो, या देश का हजारों करोड़ रूपया लूटकर भागने वाला भगोड़ा मोदी एंड जौहरी कंपनी हो. भाजपा के टिकट से राज्य सभा का सांसद बना माल्या हो. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का भारतीय एजेंट ध्रुव वगैरह आरएसएस और भाजपा के भीतर छिपे तत्व हैं, जो देश की यहां तक कि सेनाओं की गुप्त जानकारी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी को मुहैय्या कराता है.

संभावना तो यहां तक जतायी जा रही है कि पुलावामा में मारे जाने वाले 44 जवानों के आवाजाही की खुफिया जानकारी इन आतंकवादियों तक पहुंचाने में भी इन्हीं आरएसएस-भाजपा की संलिपप्ता जाहिर होगी. खबरों के अनुसार खुफिया एजेंसी 8 फरवरी को ही किसी बड़े हमले की आशंका जतायी थी, जिसे दरकिनार कर दिया गया. वहीं बड़े पैमाने पर जवानों के स्थानांतरण हेतु जवानों के कमान ने सड़क मार्ग के बजाय हवाई मार्ग की मांग की थी, जिसे गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने रद्द कर दिया था. मतलब जवानों की बड़े पैमाने पर हत्या करवाने में कहीं केन्द्र सरकार का ही सीधा हाथ तो नहीं है. इस संभावना के पीछे एक और बातें जो जगजाहिर हो रही है कि वह है देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अनवरत् तेज होता चुनावी रैली में प्रचार.




विदित हो कि तीन राज्यों में भाजपा की हार ने भाजपा के नीचे की जमीन खिसका दी थी. देश भर में भाजपा और आरएसएस के एजेंट नरेन्द्र मोदी की देशघाती नीतियों ने भाजपा को आम जनों के बीच अलोकप्रिय बना दिया था, इसके बावजूद कि देश की तमाम मीडिया घरानों को आम जनता के मेहनत से कमाई से जमा किये गये हजारों करोड़ रूपये देकर खरीद लिया था, जो दिन-रात मोदी-भाजपा के गुणगान में लगी रहती है. भाजपा को लोकप्रिय बनाने के सारे हथकंडे एक के बाद एक पिट चुके थे. गाय, गोबर, हिन्दू-मुस्लिम, पाकिस्तान, दलित-आदिवासियों मुद्दे बुरी तरह पिट चुका है. देश के संवैधानिक संस्था चुनाव आयोग (ईवीएम), ईडी, सीबीआई यहां तक की सुप्रीम कोर्ट तक को खरीदने-धमकाने-अपने एजेंट बिठाकर मन-मुताबित इस्तेमाल करने और विरोधियों को खत्म करने की ऐड़ी-चोटी का जोर लगाने के बाद भी ये सारे मोहरे पिट गये.

ऐसे में आसन्न लोकसभा चुनाव से घबराई भाजपा को एक ऐसे नये मुद्दे की तालाश थी जिसपर राजनीति की घार तेज की जा सके. ऐसे में आखिरी उम्मीद के तौर पर इस हत्यारे मोदी-शाह की जोड़ी ने सैनिकों को निशाना बना सेना पर ‘आतंकवादी’ हमला कराकर बड़े पैमाने पर सैनिकों की हत्या कराना एक मुफीद रास्ता नजर आया, जिसपर चढ़कर चुनावी नैय्या पार लगायी जा सके. कश्मीर में खुफिया एजेंसी ने 8 फरवरी को बाकायदा IED हमले का अलर्ट जारी किया था. साफ तौर पर हिदायत थी कि बगैर इलाकों को सैनीटाइज किये सुरक्षा काफिले आगे न बढ़ें. इस बेहद अहम अलर्ट की अनदेखी कैसे और क्यों की गई ?

खुफिया विभाग द्वारा घटना के के पूर्व दी गई जानकारी का दस्तावेज (फोटो प्रति)

हत्यारों की इस जोड़ी ने सीआरपीएफ को निशाना बनाने का प्लान बनाया और आतंकवादियों को उसकी आवाजाही की सचूना देकर और सीआरपीएफ को जबरन सड़क मार्ग से बड़े पैमाने पर जाने का आदेश देकर 44 जवानों को मौत के घात उतार डाला और लगभग इतने को ही को बुरी तरह घायल करवा दिया. यह संभावना इसलिए भी जतायी जा रही है कि खुफिया विभाग ने इस विभत्स हमले के एक सप्ताह पहले ही इस हमले की चेतावनी जारी कर दी थी और इसलिए सीआरपीएफ की तरफ से हवाई मार्ग से स्थानांतरण की मांग की गई थी क्योंकि हमलास्थल के दोनों ओर पहले भी अनेक हमले हो चुके थे. परन्तु एक ओर तो हमले की खुफिया जानकारी का अनदेखा या छिपाया गया और दूसरी ओर खुद गृहमंत्रालय यानि प्रधानमंत्री मोदी (क्योंकि मोदी सरकार का मतलब उनका मंत्रालय समूह नहीं वरन् खुद नरेन्द्र मोदी होता है) ने हवाई मार्ग की मांग को ठुकरा दिया और इस स्थानांतरण टुकड़ों में करने के वजाय बड़े पैमाने पर करने का आदेश दिया ताकि बड़े पैमाने पर हत्याओं को अंजाम दिया जा सके

लक्ष्मी प्रताप सिंह अपने एक पोस्ट में लिखते हैं, ‘अक्टूबर महीने में मैंने एक पोस्ट लिखी थी कि मोदी के राइट हेंड और देश के सिक्युरिटी एडवाइजर अजित डोवाल का बेटा शौर्य डोभाल पाकिस्तानी उधोगपति सैयद अली अब्बास के पैसे से धंधा करता है. सैयद का नाम पाकिस्तान में आतंकवादियों को फंडिंग करने के लिए भी उछला था कि वो शेखों का पैसा पाकिस्तान के आतंकवादी ग्रुप्स तक पहुंचाता है. जैमिनी फाइनेंशियल सर्विस नाम की कंपनी पैसे के लेन-देन में ही डील करती है, जिसका प्रयोग नोटबन्दी में भी खूब हुआ था. मैंने तब भी कहा था की यदि अजीत डोवाल के बेटों की जांच हो तो कई विदेशी बैंकों में इनके अकाउंट और संपत्ति निकलेगी. वही हुआ, जब कारवां मैगजीन ने खुलासा करके 2 महीने बाद मेरे आरोपों को सिद्ध किया था.

‘उसी पोस्ट में मैंने भारत की सुरक्षा के खतरे की बात की थी. कल के हमले पर नज़र डालें तो एजेंसियों ने अलर्ट जारी किया लेकिन फिर भी उसे नजर अंदाज किया गया. कॉन्वॉय को बिना रास्ता सैनीटाइज किये जाने का क्लियरेंस दे दिया गया. ऐसी बहुत सी बातें आप को जानने को मिलेगी को सामान्य नहीं हैं. देशभक्ति की अफीम के नशे से बाहर निकल कर ध्यान दीजिये, पाकिस्तानी आतंकियों को पैसा मुहैया करने वाला अली अब्बास आप के देश की सारी ख़ुफ़िया एजेंसियों के सर्वे-सर्वा के बेटों को भी फण्ड करता है और ये वही बेटे हैं जो देश का कलाधन विदशों में खपते हैं, जिसे देशभक्ति तो कतई नहीं कहते.

2019 में भाजपा के गाय, मुस्लिम, मन्दिर जैसे ब्रह्मास्त्र चलेंगे नहीं. अंबानी, सीबीआई, रफाएल, योगी ने अलग किरिकिरी कराई है. विपक्ष सारा एक हो गया है, ममता ने केंद्र-सीबीआई को झुकाकर पावरफूल नेता वाली इमेज भी धो दी है, अब बस पकिस्तान का ही सहारा है. आतंकवाद और जंग के मद्दे पे पूरा देश एक हो जाता है, जो सवाल पूछेगा वो देशद्रोही घोषित हो जायेगा.

‘अक्टूबर में इनके अकाउंट की जांच के लिए लिखा था, जनवरी में कारवां ने रिपोर्ट में खुलासा कर दिया था, आज इसका पढ़ लो और दुआ करो कोई कारवां, द वायर, द हिन्दू जैसा कोई असली पत्रकार इसकी खोज करे. ये बात इन तक पहुंचा दो, नहीं पहुंचा, पाओ तो कम से कम खुद जरूर समझ लो.’

अब जब 44 जवानों की हत्या कर दी गई है, तब यह जानना बेहद संगीन है कि मोदी सरकार और भाजपाई कर्त्ताधर्त्ता क्या कर रहे थे ? राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने जहां अपना-अपना तयशुदा कार्यक्रम रद्द कर दिया था, वहीं नरेन्द्र मोदी उत्तराखंड में चुनावी भाषणबाजी कर रहे थे. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह कर्नाटक में वोट मांग रहे थे. अजय सिंह विष्ट, जो योगी जैसे नामों को धारण कर लिये हैं, केरल में चुनावी सभाओं को संबोधित कर रहे थे. पीयूष गोयल 2019 में सरकार बनाने के लिए तमिलनाडु में गठबंधन की बैठक रहे थे.

फडणवीस 2019 में सरकार बनाने के लिए शिवसेना के साथ गलबहियां कर रहे थे और वहीं राष्ट्रीय ढोल मनोज तिवारी वेलेंटाइन-डे का जश्न मनाते हुए ठुमके लगा रहे थे. इन लोगों ने अपना तयशुदा कार्यक्रम में रत्ती भर भी बदलाव नहीं किये थे. इससे और आगे बढ़कर 44 जवानों की हत्या का गम में लाल कार्पेट पर खड़े होकर हंसते हुए फोटो शूट करवा रहे थे. इसके उलट आप याद करें और तुलना करे उस दिन का जब दिल्ली की आम आदमी पार्टी की एक सभा में एक राजस्थानी किसान ने पेड़ से लटक कर अपनी जान दें दी थी, तब मीडिया और भाजपाईयों के कोहराम को याद कीजिए कि किस प्रकार अपनी घड़याली आंसू बहाया था और दलाल मीडिया ने किस प्रकार महीनों इस प्रकरण पर दिन-दिन भर कार्यक्रम आयोजित करता था, जो आज मोदी और आरएसएस की इस कृत्य पर चुप्पी साध गया है.




वहीं भाजपा के कार्यकर्त्ता देशभर में दंगे भड़काने के लिए फर्जी राष्ट्रवाद का ढोल पीटते हुए कश्मीरी मुसलमानों पर हमले कर रहे थे, जो आज तक जारी है, इसके वाबजूद की विभिन्न सरकारों ने हिदायती कानून जारी कर दिया है. पटना में ही एक कश्मीरी मुसलमान के दुकानों पर हमले किये गये हैं तो कुछ जगह ऑटो का सीसा तोड़ दिया गया है.

देश के नागरिक इन तमाम तथ्यों को अब समझने लगे हैं. इन राष्ट्रवादियों का पोल अब किसी भी तिकड़म से छिपने वाला नहीं है. देश केवल हत्या-दंगे फैला कर चुनाव जीत जाना भर नहीं होता. इतिहास लिखे जायेंगे. हमेशा लिखे जाते रहेंगे कि संघियों ने किस प्रकार आजादी के पहले देश के क्रांतिकारियों के खून से अपने हाथ रंगे थे और अब चुनाव जीतने के लिए किस प्रकार जवानों के खून से अपने हाथ रंग रहे हैं.




Read Also –

44 जवानों की हत्या के आड़ में फर्जी राष्ट्रवादियों की गुण्डागर्दी
पुलवामा : घात-प्रतिघात में जा रही इंसानी जानें
संविधान जलाने और विक्टोरिया की पुण्यतिथि मानने वाले देशभक्त हैं, तो रोजी, रोटी, रोजगार मांगने वाले देशद्रोही कैसे ?
सवालों से भागना और ‘जय हिन्द’ कहना ही बना सत्ता का शगल
70 साल के इतिहास में पहली बार झूठा और मक्कार प्रधानमंत्री




प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]



Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

एक वोट लेने की भी हक़दार नहीं है, मज़दूर-विरोधी मोदी सरकार

‘चूंकि मज़दूरों कि मौत का कोई आंकड़ा सरकार के पास मौजूद नहीं है, इसलिए उन्हें मुआवजा द…